तकनीक युग में कंपनियों ने प्लेसमेंट का तरीका बदला, व्यावहारिक अनुभव के बूस्टर डोज से नौकरी की गारंटी
तेजी से बदलती तकनीक के दौर में कंपनियों ने प्लेसमेंट के तरीके बदले हैं। बीटेक के साथ कौशल प्रमाण पत्र जरूरी है। क्लाउड कंप्यूटिंग साइबर सुरक्षा डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में वैश्विक संस्थानों से प्रमाण पत्र बेहतर नौकरी दिलाते हैं। व्यावहारिक अनुभव और इंटर-डोमेन ज्ञान की मांग बढ़ रही है। तकनीकी रूप से कुशल युवाओं की आवश्यकता है।

अखिलेश तिवारी, जागरण कानपुर। तेजी से बदल रही तकनीक व प्रतिस्पर्धा के युग में कंपनियों ने प्लेसमेंट का तरीका भी बदल दिया है। बीटेक पास युवाओं से अब इंजीनियरिंग के सैद्धांतिक ज्ञान के साथ कौशल का प्रमाण पत्र भी मांगा जा रहा है। क्लाउड कंप्यूटिंग (जैसे एडब्ल्यूएस व एज्यूरे), सेल्सफोर्स , साइबर सिक्योरिटी, डाटा एनालिटिक्स व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अब वैश्विक शिक्षण संस्थानों से अतिरिक्त प्रमाण-पत्र ही बेहतर नौकरी की गारंटी है।
आइआइटी और अन्य इंजीनियरिंग संस्थानों से बीटेक डिग्री पूरी करने वाले युवाओं को अब डबल इंजन की ताकत लगानी पड़ रही है। केवल बीटेक डिग्री ही सफलता की कुंजी नहीं है। इसके लिए युवाओं को व्यावहारिक अनुभव का बूस्टर डोज अपने प्रोफाइल में जोड़ना पड़ रहा है। इंजीनियरिंग संस्थानों में इस साल आयोजित कैंपस प्लेसमेेंट में इंटरव्यू राउंड के दौरान तकनीकी कंपनियों ने उन युवाओं को तरजीह दी है जिन्होंने वैश्विक स्तर पर कोई महत्वपूर्ण कौशल विकास कार्यक्रम पूरा किया है।
बीते कुछ महीनों में यह ट्रेंड और भी स्पष्ट हुआ है। क्लाउड कंप्यूटिंग , सेल्सफोर्स , साइबर सिक्योरिटी, डेटा एनालिटिक्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र में उन युवाओं को प्राथमिकता मिल रही है जिनके पास विशिष्ट दक्षता प्रमाण-पत्र है। इसमें भी विश्वविख्यात संस्थानों जैसे एमआइटी, आक्सफोर्ड, स्टैनफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों द्वारा कोरसेरा , यूडेमी, एडएक्स जैसे आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से प्राप्त प्रमाण पत्रों को अधिक अहमियत मिल रही है।
नंदिता गिरी सीनियर साफ्टवेयर इंजीनियर माइक्रोसाफ्ट।
माइक्रोसाफ्ट की सीनियर साफ्टवेयर इंजीनियर नंदिता गिरी इसे स्पष्ट करते हुए बताती हैं कि यदि किसी छात्र की अकादमिक श्रेष्ठता 60 प्रतिशत है लेकिन उसने एआइ, क्लाउड या फुल स्टैक डेवलपमेंट से जुड़े 2-3 प्रोजेक्ट पूरे किए और मान्य सर्टिफिकेट है। तो उसकी प्रोफाइल उस छात्र से कहीं अधिक मजबूत मानी जाती है जिसके अंक 80 प्रतिशत से ऊपर हैं लेकिन उसने कोई व्यावहारिक कौशल नहीं सीखा।
नंदन मिश्र सीईओ एल्गो 8।
आइआइटी कानपुर के पूर्व छात्र और एल्गो8 के सीईओ नंदन मिश्र बताते हैं कि वास्तव में, यह बदलाव केवल चयन प्रक्रिया में नहीं, बल्कि काम करने की संस्कृति में भी देखने को मिल रहा है। आज कंपनियां ऐसे युवाओं को पसंद करती हैं जो सीखने की इच्छा रखते हों, तेजी से बदलती तकनीकों को अपनाने में सक्षम हों, और टीम के साथ मिलकर समस्या-समाधान में योगदान दे सकें। एकेडमिक नालेज ज़रूरी है, लेकिन वह केवल नींव है।
पीएसआइटी के ग्रुप डायरेक्टर डा. मनमोहन शुक्ला ने बताया कि इंडस्ट्री में इंटर-डोमेन नालेज की भी मांग बढ़ रही है। उदाहरण के तौर पर, एक आइओटी इंजीनियर को आज क्लाउड के बारे में भी पता होना चाहिए, और एक डेटा साइंटिस्ट को एपीआइ इंटिग्रेशन या यूआइ टूल्स की मूलभूत जानकारी होनी चाहिए। आज इंडस्ट्री को ऐसे युवा चाहिए जो तकनीकी तौर पर कुशल प्रशिक्षित हों और तुरंत अपने प्रोजेक्ट पर काम कर सकें। डिग्री के साथ टेक्निकली स्किल का प्रमाण पत्र सफलता की गारंटी है। पीएसआइटी भी अपने विद़्यार्थियों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने पर शतप्रतिशत फीस का इनाम दे रहा है। इससे वैश्विक स्तर के संस्थानों के साथ प्रोजेक्ट पूरा करने और कार्यक्षमता व योग्यता विकास की होड़ बढ़ी है।
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इन कोर्सेज की है मांग
- क्लाउड कंप्यूटिंग ( एडब्ल्यूएस सर्टिफाइड साल्यूशंस आर्कीटेक्ट , गूगल क्लाउड प्रोफेशनल क्लाउड आर्कीटेक्ट , माइक्रोसाफ्ट अज्यूरे फंडामेंटल्स)
- साइबर सिक्योरिटी ( सीआइएसएसपी, सर्टिफाइड एथिकल हैकर)
- आर्टीफियल इंटेलीजेंस एवं मशीन लर्निंग (माइक्रोसााफ्ट सर्टिफाइड : अज्यूरे एआइ इंजीनियर एसोसिएट , एनविडिया जेटसन एआइ सटिफिकेशंस)
- डेटा साइंस ( सर्टिफाइड डेटा प्रोफेशनल)
- ब्लाकचेन ( ब्लाकचेन स्पेसलाइजेशन)
- प्रोजेक्ट मैनेजमेंट ( पीएमपी, सर्टिफाइड स्क्रम मास्टर )
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