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    अलर्ट! दीपावली में उल्लू को खतरा, कानपुर चिड़ियाघर में पहरा

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 04:51 PM (IST)

    कानपुर चिड़ियाघर में दीपावली पर वन्यजीवों की सुरक्षा बढ़ाई गई है। उल्लुओं को विशेष सुरक्षा दी जा रही है, क्योंकि अंधविश्वास के चलते उन्हें खतरा रहता है। पटाखों से जानवरों को बचाने के लिए सीसीटीवी से निगरानी रखी जा रही है और जू कीपरों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। लोगों से चिड़ियाघर के पास पटाखे फोड़ते समय सावधानी बरतने की अपील की गई है।

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    जागरण संवाददाता, कानपुर। दीपावली पर चिडियाघर में उल्लू वन कर्मियों की सुरक्षा में रहेंगे। उनके बाड़ों के बाहर पहरा रहेगा। अन्य वन्यजीवों को भी पटाखों व आग से बचाने को लेकर निगरानी रहेगी। सीसीटीवी से बाडों पर नजर रखने के साथ वनकर्मी गश्त करते रहेंगे। आतिशबाजी के दौरान चिंगारी से चिड़ियाघर के वन्यजीवों को नुकसान न हो, इसके लिए पानी व अग्निशमन यंत्र के साथ चौकसी बरती जाएगी।

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    दीपावली पर अंधविश्वास के चलते उल्लू की जान आफत में पड़ जाती है। इनके अंगों का उपयोग तंत्र-मंत्र में किया जाता है। इसको लेकर वन विभाग ने चौकसी बढ़ा दी है, चिड़ियाघर प्रशासन ने भी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। चिड़ियाघर में 20 उल्लू हैं, इनके बाड़ों के बाहर वन कर्मियों को तैनात करने के साथ ही हर गतिविधि पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। 

    उल्लू न केवल वन्य जीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बेहद खतरनाक है। उल्लू पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इसी को देखते हुए कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

    दीपावली पर चिड़ियाघर में वन्यजीव पटाखों की आवाज से सहम सकते है,इसके लिए चिड़ियाघर निदेशक डा. कन्हैया पटेल ने जू कीपरों को उनके आस-पास रहने तथा देखभाल करने के निर्देश दिए गए हैं। चिड़ियाघर 1200 से अधिक वन्यजीव हैं। इनमें काले हिरण सहित हिरण प्रजाति के वन्यजीव शोर से सहम जाते हैं। 

    लोगों से अपील भी की गई है कि आतिशबाजी करते समय इस बात का ध्यान रखे कि राकेट व अन्य पटाखों की रुख चिडियाघर की तरफ न रहे। वहीं वन विभाग ने भी वन कर्मियों को ऐसे स्थानों पर सतर्कता बढाने को कहा है, जहां अवैध रूप से पक्षियों का कारोबार होता है।

    तीन साल की सजा

    भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के तहत उल्लू संरक्षित श्रेणी का पक्षी है। उल्लू के शिकार या तस्करी पर कम से कम तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है।