कानपुर में घुसपैठियों की तलाश में छापेमारी, 37 संदिग्ध परिवार सामने आए; जांच के लिए भेजे गए दस्तावेज
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में घुसपैठियों को लेकर पुलिस व खुफिया विभाग एक्टिव हो गया है। बेकनगंज इलाके में पुलिस और खुफिया टीम ने छापेमारी की। वहां रहने वाले करीब 180 परिवारों के दस्तावेज जांचे गए। छापेमारी में 37 संदिग्ध परिवार मिले। पुलिस ने सभी के दस्तावेज जब्त कर जांच के लिए भेज दिए हैं। साथ ही उनपर निगरानी भी की जा रही है।
जागरण संवाददाता, कानपुर। बेकनगंज की जिस बस्ती को लेकर दैनिक जागरण पिछले कई महीनों से सवाल उठा रहा था, वहां पर सोमवार को पुलिस और खुफिया इकाई की टीम ने छापा मारा। पुलिस ने वहां रहने वाले 180 परिवारों के दस्तावेज जांचे हैं।
छापेमारी के दौरान 37 संदिग्ध परिवारों के दस्तावेज पुलिस ने जब्त कर लिए हैं। इनमें से कई ऐसे संदिग्ध परिवार भी है, जो भाषा और बोलचाल की दृष्टि से बांग्लादेशी लग रहे हैं, मगर उन्होंने स्थानीय आधार कार्ड व अन्य पहचान पत्र बनवाए हैं। पुलिस अब इस सभी जब्त दस्तावेजों की जांच कराने जा रही है। जांच के दौरान संदिग्ध लोगों से बस्ती छोड़कर न जाने को कहा है। वहीं स्थानीय पुलिस को उनकी निगरानी करने को कहा गया है।
बांग्लादेशी महिलाओं को किया गया था गिरफ्तार
15 दिन पहले कल्याणपुर पुलिस ने राधापुरम में अवैध रूप से रहने वाली बांग्लादेशी नाजमा उर्फ पूजा को दो अन्य महिलाओं के साथ गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसके साथ जो दो अन्य महिलाएं पकड़ी गईं थी उनमें से एक रीना कोलकाता और दूसरी ज्योति निषाद नई दिल्ली की रहने वाली है। नाजमा से जेल में की गई पूछताछ के आधार पर पुलिस ने तीन दिन बाद उसकी चचेरी बहन आखी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
दावा है कि आखी करीब 15 सालों से लखनऊ के एलडीए कालोनी में किराये का कमरा लेकर रह रही थी। उसने यहां अपना नाम मधु सिंह रखा हुआ था। इसके बाद दैनिक जागरण ने संदिग्ध बांग्लादेशियों के शहर में ठिकानों को लेकर अभियान चलाया था।
कई बार उठ चुका है मुद्दा
दैनिक जागरण ने पिछले साल भी जब इस संबंध में अभियान चलाया था तो बेकनगंज पुलिस थाना के सामने स्थित बस्ती का मुद्दा उठाया था। इस बस्ती में विभाजन के बाद शरणार्थी आकर ठहरे थे और बाद में यहां कपड़ा मार्केट बनी। हालांकि पिछले तीन दशक में इस स्थान से कपड़ा मार्केट उजड़ गया और उसके स्थान पर झोपड़ियां तन गईं।
सोमवार को एडीसीपी एलआइयू राजेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में बेकनगंज पुलिस ने पुलिस बल के साथ बस्ती में जांच अभियान शुरू किया। करीब पांच घंटे तक पुलिस टीम इस बस्ती की एक-एक झोपड़ी में रहने वालों की पड़ताल करती रही। पुलिस को बस्ती में 180 परिवार मिले।
एडीसीपी के मुताबिक जांच पड़ताल के दौरान सर्वाधिक झारखंड निवासी 27 आधार कार्ड धारक मिले। इसके अलावा बंगाल, असम और बिहार के आधार कार्ड पर संदिग्धों को चिह्नित किया गया। पुलिस ने ऐसे 37 परिवारों के आधार कार्ड जब्त किए, जिन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने यहां ऐसे सात आधार कार्ड धारकों को भी चिह्नित किया है, जिसकी वेषभूषा और बोली बंग्लादेशियों वाली है, मगर उन्होंने स्थानीय स्तर पर आधार कार्ड या पहचान से जुड़े अन्य दस्तावेज बनवा रखे हैं। इनकी भी गोपनीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
रैदास नगर के 24 संदिग्धों के दस्तावेज जांच को भेजे
पिछले दिनों जाजमऊ पुलिस और खुफिया विभाग की टीम ने रैदास नगर में छापेमारी की थी। यहां पुलिस ने 106 परिवारों के दस्तावेज चेक किए थे। पुलिस ने 24 संदिग्ध लोगों के दस्तावेज जांच को भेजे हैं।
विधानसभा और विधान परिषद में मुद्दा उठाने की तैयारी
संदिग्ध बांग्लादेशियों व रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या को लेकर दैनिक जागरण के अभियान की गूंज विधानसभा व विधान परिषद में सुनाई पड़ सकती है। एमएलसी अरुण पाठक नियम ने बांग्लादेशियों व रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ को लेकर ध्यानाकर्षण कराया है। अनुमति मिलने पर विधान परिषद में उक्त विषय पर चर्चा होगी। विधायक सुरेंद्र मैथानी ने भी मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही है।
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