पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्रीप्रकाश जायसवाल का निधन, कानपुर से तीन बार रहे सांसद
कानपुर से तीन बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्रीप्रकाश जायसवाल का शुक्रवार शाम निधन हो गया। 81 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। हृदय गति रुकने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उन्होंने कानपुर में कांग्रेस को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जागरण संवाददाता, कानपुर। पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्रीप्रकाश जायसवाल का शुक्रवार रात को निधन हो गया। कानपुर में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल लंबे समय से राजनीति में सक्रिय थे। उन्होंने कानपुर में न सिर्फ कांग्रेस को मजबूत स्थिति दी बल्कि केंद्रीय मंत्री रहते कानपुर के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट भी लाए। वहीं, श्रीप्रकाश जायसवाल के परिवार ने बताया है कि इनके बड़े बेटे सिद्धार्थ जायसवाल कनाडा में है। ऐसे मेंअंत्येष्टि रविवार को होगी।
लगातार तीन बार कानपुर से सांसद रहने और 10 वर्ष तक केंद्रीय मंत्री रहने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल का देर रात निधन हो गया। रात में पोखरपुर स्थित आवास पर तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें स्वजन हृदय रोग संस्थान ले गए, जहां डाक्टरों ने उनके निधन की पुष्टि की। हृदय रोग संस्थान के निदेशक डा. राकेश वर्मा ने बताया कि उन्हें जब अस्पताल लाया गया तो उनकी मृत्यु हो चुकी थी। पिछले काफी समय से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था।
कांग्रेस में 1999 से 2014 तक कद्दावर नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले 81 वर्षीय श्रीप्रकाश जायसवाल 1989 में मेयर बने थे। उस समय सभासद मेयर का चुनाव करते थे। वह 1999 में भाजपा सांसद जगतवीर सिंह द्रोण को हराकर पहली बार कानपुर लोकसभा सीट से सांसद बने थे। इसके बाद अगले ही वर्ष चार दिसंबर 2000 को सलमान खुर्शीद को हटाकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।
वह तीन जुलाई 2002 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव से उनकी राजनीति में और चमक आई। वह 23 मई 2004 को केंद्रीय गृह मंत्री बनाए गए। इसके बाद तीसरी बार वह 2009 में जीते तो उन्हें कोयला राज्यमंत्री बनाया गया। वह 26 मई 2014 तक इस पद पर रहे। इस समय तक श्रीप्रकाश जायसवाल का पद बहुत बड़ा हो चुका था और वह भाजपा की ओर से मैदान में उतरे सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी दोनों को हरा चुके थे।
आखिरकार 2014 में भाजपा को अपने पूर्व राष्ट्रीय डा. मुरली मनोहर जोशी को उन्हें हराने के लिए मैदान में उतारना पड़ा। श्रीप्रकाश जायसवाल 2014 का चुनाव हार गए। इसके बाद 2019 में सत्यदेव पचौरी ने उन्हें पराजित किया। वह 2024 का चुनाव नहीं लड़े और उनकी जगह आलोक मिश्रा को टिकट दिया गया। 25 सितंबर 1944 को जन्मे श्रीप्रकाश जायसवाल ने डीएवी कालेज से पढ़ाई की। उन्होंने कानपुर को श्रम शक्ति, उद्योग नगरी जैसी ट्रेनें दी। इसके साथ ही सीओडी पुल भी उन्हीं की देन है।
कोरोना काल से बिगड़ी तबियत, अब पहचानने में हो रही थी मुश्किल
पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री, गृह राज्यमंत्री व उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे श्रीप्रकाश जायसवाल के निधन से कांग्रेसियों में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्होंने कानपुर में कांग्रेस को काफी मजबूत स्थित में लाकर खड़ा किया था। न सिर्फ संगठन को मजबूत बनाया बल्कि मंत्री रहते शहर को कई योजनाएं दी। उन्होंने कानपुर से नई दिल्ली तक श्रम शक्ति एक्सप्रेस का परिचालन कराया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व राजीव गांधी के करीबी रहे श्रीप्रकाश को 2014 में भाजपा के डा. मुरली मनोहर जोशी के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद फिर वह 2019 में भी कांग्रेस के टिकट पर कानपुर से चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके थे। 2020 में कोरोना काल के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। वर्तमान में लोगों को पहचानने में भी उन्हें दिक्कत होने लगी थी।
जानें, राजनैतिक सफर
- 1977: कांग्रेस में सक्रिय राजनीति शुरू की
- 1984-85: प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बैकवर्ड संघ के पहले महामंत्री और बाद में चेयरमैन बने
- 1989: कानपुर नगर निगम के मेयर बने
- 1991-92: शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने
- 1993: छावनी विधानसभा से सतीश महाना के खिलाफ चुनाव लड़े और हारे
- 1998: कानपुर लोकसभा चुनाव सीट से चुनाव लड़े और हारे
- 1999: कानपुर लोकसभा चुनाव सीट से जीते
- 4 दिसंबर 2000 – 3 जुलाई 2002: प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे
- 2004: कानपुर लोकसभा चुनाव सीट से लगातार दूसरी बार जीते
- 23 मई 2004 से 22 मई 2009: केंद्रीय गृहराज्य मंत्री रहे
- 2009: कानपुर लोकसभा चुनाव सीट से लगातार तीसरे बार जीते
- 9 जनवरी 2011 – 26 मई 2014: केंद्रीय कोयला मंत्री रहे
- 2014: मोदी लहर में दिग्गज भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी से चुनाव हार गए

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