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    कानपुर: घटिया निर्माण होने से बैराज प्लांट बंद होने की कगार पर, 10 लाख लोगों के सामने जल सकंट

    By Abhishek VermaEdited By:
    Updated: Sat, 18 Jun 2022 04:17 PM (IST)

    कानपुर में भ्रष्टाचार की मार से बैराज प्लांट बंद होने की कगार पर आ गया है। घटिया पाइप डालने से परेशानी भी हो रही है। और रखरखाव का 178 करोड़ रुपये भी बकाया है। वहीं करीब 10 लाख लोगों को जल सकंट का सामना करना पड़ सकता है।

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    कानपुर में भष्टाचार की भेंट चढ़ा बैराज प्लांट बंद होने की कगार पर।

    कानपुर, [अंकुर श्रीवास्तव] जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल योजना (जेएनयूआरएम) के तहत 869 करोड़ रुपये की पेयजल योजना में हुआ घटिया निर्माण अफसरों के गले की हड्डी बन चुका है। भ्रष्टाचार में कई अफसर फंस सकते हैं। प्लांट के रखरखाव का 178 करोड़ रुपये बकाया होने के कारण रैमकी कांट्रैक्ट कंपनी ने प्लांट चलाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इससे बैराज प्लांट कभी भी बंद हो सकता है। अगर प्लांट बंद हुआ तो 10 लाख लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा।

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    घर-घर गंगा का पानी पहुंचाने के लिए जेएनयूआरएम के तहत वर्ष 2007 में पेयजल योजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इसे 2013 तक पूरा कर जलकल को हैंडओवर किया जाना था, लेकिन घाटिया निर्माण के चलते अब तक टेस्टिंग ही पूरी नहीं हो सकी है। नौ वर्ष बीत जाने के बाद भी 40 करोड़ लीटर की क्षमता के दो बैराज प्लांट में सिर्फ एक ही चालू है। इससे 10 लाख लोगों को सिर्फ छह करोड़ लीटर जलापूर्ति हो रही है। यह भी आए दिन किसी न किसी समस्या के चलते बंद हो जाती है। अब स्थित लगातार बिगड़ती जा रही है।

    जलनिगम के एक अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 से बैराज प्लांट के रखरखाव का भुगतान न होने से 178 करोड़ रुपये बकाया हो गया है। निर्माण कार्य कराने वाली रैमकी कांट्रैक्ट कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए हैं। अगर प्लांट बंद हो गया तो उसके जिम्मेदार जलनिगम के अफसर होंगे। अगर प्लांट चालू रहा तो शासन इसके रखरखाव का भुगतान कब करेगा इसका पता नहीं है। फिलहाल प्लांट बंद करने को लेकर चर्चाएं चल रही हैं।

    869 करोड़ रुपये में ये हुए थे कार्य- पाइप लाइन डालने, प्लांट का निर्माण और 76 पंपिंग स्टेशन, टंकियों का निर्माण कार्य कराया गया था।

    15 किलोमीटर बिछाई घटिया पाइप से रुकी जलापूर्ति- जेएनएनयूआएम योजना के तहत पहले चरण में 393.93 करोड़ रुपये से बैराज से कंपनी बाग चौराहे तक 2100 एमएम प्री स्ट्रेस्ट सीमेंट कंक्रीट (पीएससी) पाइप डाले गए थे। इसके बाद ग्लास फाइबर रीनफोर्स (जीआरपी) पाइप कंपनी बाग से फूलबाग तक और कंपनी बाग से बारादेवी तक लगभग 15 किलोमीटर तक डाले गए थे, लेकिन वर्ष 2015 जब टेस्टिंग की गई तो यह कार्य मानक अनुरूप नहीं मिला। अब तक 1100 से ज्यादा स्थानों पर यह पाइप लाइन फट चुकी है। घटिया पाइप डाल बिछाने की वजह से बैराज प्लांट पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा है।

    24 अभियंताओं पर दर्ज हो चुके मुकदमे- पेयजल योजना में घटिया पाइप लाइन डालने पर 24 अभियंताओं पर मुकदमे भी दर्ज हुए थे। मामले की जांच तो चल ही रही है, लेकिन विभागीय सूत्रों के मुताबिक, अभी कई और अफसर नप सकते हैं।

    जिम्मेदार बोले- रखरखाव का 178 करोड़ रुपये बकाया है। इससे प्लांट चलाने में दिक्कत आ रही है। रैमकी कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए हैं, लेकिन हम लोग प्लांट चालू रखना चाहते हैं। शहर में पानी की बड़ी समस्या है। - मोहम्मद अजमल, सहायक अभियंता, जलनिगम

    जेएनयूआरएम के प्रोजेक्ट का हाल

    फेज-एक की स्थिति

    प्रोजेक्ट की लागत-393.93 करोड़

    कार्य शुरू हुआ- वर्ष 2007 में

    वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता- 200 एमएलडी (गंगा बैराज)

    मुख्य पाइप लाइन-51.61 किमी

    घरेलू पाइप लाइन-700 किमी

    फेज दो की स्थिति

    प्रोजेक्ट की लागत-475.15 करोड़

    कार्य शुरू हुआ-नवंबर 2008 में

    वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता-200 एमएलडी (गंगा बैराज)

    गुजैनी में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट-28.5 एमएलडी

    मुख्य पाइप लाइन-65 किमी

    घरेलू पाइप लाइन-1045 किमी