अद्भुत... 23 वर्षों से यूपी के इस थाने में कैद हैं श्रीकृष्ण, राधा और बलराम की मूर्ति, जन्माष्टमी पर मिलती एक दिन की रिहाई
कानपुर देहात में थाने में भगवान श्रीकृष्ण राधा और बलराम की मूर्ति कैद है। 23 सालों से उन्हें रिहाई का इंतजार है। उनके दर्शन के लिए हर साल जन्माष्टमी पर्व पर एक दिन के लिए रिहा किया जाता है। जन्माष्टमी के दिन नए वस्त्र उन्हें पहनाने के बाद विधि विधान से पूजन अर्चन करते हैं।

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में भगवान श्रीकृष्ण, राधा और बलराम 23 वर्ष से थाने में कैद हैं। सुनने में काफी अटपटा लग रहा होगा लेकिन ये सच है। हर साल उन्हें जन्माष्टमी के दिन ही बाहर निकाला जाता है। उनका पूजन होता है।
कानूनी दांवपेंचों के कारण पिछले 23 वर्षों से शिवली थाने के मालखाने में कैद भगवान श्रीकृष्ण, राधा और बलराम की अष्टधातु की मूर्तियां जन्माष्टमी के पावन पर्व पर एक दिन के लिए कैद से बाहर निकाली जाती है। शनिवार को पुलिस कर्मियों ने परंपरा का निर्वाह करते हुए मूर्तियों को मालखाने से बाहर निकाल उनकी साफ-सफाई की, नए वस्त्र पहनाए और विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया।
2002 में हुआ था करोड़ों का चोरी कांड
शिवली कस्बे के राधा-कृष्ण मंदिर से 12 मार्च 2002 की रात चोरों ने करोड़ों रुपये कीमत की अष्टधातु से निर्मित मूर्तियां चोरी कर ली थीं। इनमें भगवान श्रीकृष्ण, राधा और बलराम जी की तीन बड़ी मूर्तियों के साथ ही श्रीकृष्ण और राधा जी की दो छोटी मूर्तियां शामिल थीं। चोरी की जानकारी होते ही मंदिर के सर्वराकार आलोक दत्त चतुर्वेदी ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया। उस समय के तत्कालीन कोतवाल राजुल गर्ग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घटना के एक सप्ताह के भीतर चोरों को गिरफ्तार कर लिया। उनकी निशानदेही पर तालाब से मूर्तियां बरामद कर ली गईं और चोरों को जेल भेज दिया गया। हालांकि कुछ महीनों बाद चोर तो जेल से छूट गए, मगर बरामद मूर्तियां कानूनी प्रक्रिया पूरी न होने के कारण आज भी थाने के मालखाने में ही कैद हैं।
हर जन्माष्टमी पर होती है परंपरागत रिहाई
घटना के बाद से हर वर्ष जन्माष्टमी के मौके पर मूर्तियों को मालखाने से एक दिन के लिए बाहर निकाला जाता है। पुलिस कर्मचारी स्वयं भगवान की मूर्तियों को निकालकर उनकी सफाई करते हैं, उन्हें नए वस्त्र पहनाते हैं और श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद परंपरा के मुताबिक मूर्तियों को पुनः मालखाने में रख दिया जाता है।
श्रद्धालुओं में व्यथा और आस्था दोनों
स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान को चोरों से तो बचा लिया गया लेकिन कानूनी उलझनों के चलते वे अभी तक थाने की कैद से मुक्त नहीं हो पाए हैं। हालांकि, हर जन्माष्टमी पर उन्हें बाहर निकालकर पूजा करना क्षेत्रवासियों की आस्था और विश्वास को जीवित रखे हुए है।
कोतवाल प्रवीण कुमार यादव ने बताया कि परंपरा के अनुसार इस बार भी मूर्तियों को बाहर निकालकर उनका विधिपूर्वक पूजन किया गया और फिर से मालखाने में सुरक्षित रख दिया गया है।
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