Kasganj News: 20 गांवों में भरा पानी, नरौरा से सवा दो लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद बढ़ा बाढ़ का खतरा
नरौरा बैराज से गंगा में सवा दो लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से कासगंज में खतरा बढ़ गया है। गंगा खतरे के निशान से 17 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है जिससे कई गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। किसानों की फसलें डूब गई हैं और बिजली आपूर्ति ठप है। प्रशासन और सिंचाई विभाग स्थिति पर नजर रख रहे हैं।

जागरण टीम, कासगंज। नरौरा बैराज से गंगा में सवा दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। खतरा बढ़ गया है। गंगा खतरे के निशान से 17 सेंटीमीटर अभी भी ऊपर बनी हुई है। हालांकि पिछले दो दिनों से गंगा का जलस्तर घट रहा है। इसके बाद भी प्रवाह में कोई कमी नहीं है। पटियाली क्षेत्र के 20 से अधिक गांव के लोग अभी भी परेशान हैं। यहां गांव में भरा पानी नहीं निकल रहा। ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
पिछले कई दिनों से गंगा के जलस्तर में लगातार कमी आ रही है। शनिवार को भी गंगा का जलस्तर 162.57 मीटर पहुंचा है। जबकि शुक्रवार को जलस्तर 162.60 मीटर था। जलस्तर में कमी होने के बाद भी गंगा खतरे के निशान से अभी भी 17 सेंटीमीटर ऊपर है। पहाड़ों से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है।
जलस्तर कम होने के बाद भी गंगा 17 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर
शनिवार को नरौरा बैराज से दो लाख 21 हजार 804 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिससे तटवर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणों के लिए खतरा बढ़ा है। पटियाली क्षेत्र में पहले से ही 20 से अधिक गांव में बाढ़ का पानी आबादी क्षेत्रों में मौजूद है। ग्रामीणों का जनजीवन प्रभावित है। खेतों में खड़ी, मक्का, बाजरा, धान और गन्ना की फसल डूब जाने से किसानों काे आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों के मवेश भूखे, प्यासे बंधे हुए हैं। इनके चारे का भी प्रबंध नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण नाव से दूर दराज क्षेत्रों से मवेशियों के लिए चारा ला रहे है।
पटियाली क्षेत्र के ग्रामीणों का जन जीवन प्रभावित, बाढ़ का पानी गांव में भरा
ग्रामीणों के खान-पान की स्थति भी ऐसी बनी हुई है। इन्हें भी नाव के माध्यम से ही बाजार से खान-पान की सामग्री खरीद रहे हैं। पहाड़ों से पानी अधिक मात्रा में छोड़े जाने पर बाढ़ में बढ़ोत्तरी हो सकती है। इसे लेकर प्रशासन, सिंचाई विभाग और बाढ़ चौकियां सतर्कता बरत रहीं हैं।
गांव में नहीं है डेढ़ माह से बिजली
पटियाली क्षेत्र के 20 से अधिक गांव ऐसे हैं जहां गंगा की बाढ़ का पानी करीब डेढ़ माह से भरा हुआ है। इन गांव में मूलभूत सुविधाएं प्रभावित हो गई हैं। क्षेत्रीय लोगों को बिजली की आपूर्ति नहीं मिल पा रही है। मोबाइल कंपनियों के नेटवर्क भी गायब हैं। मोबाइल चार्ज नहीं हाे पा रहे हैं। बिजली न होने से रात के दौरान ग्रामीण दिए जलाकर घरों में उजाला करने को मजबूर हैं। गांव का संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
आवागमन के रास्ते भी बाधित हैं। बच्चों की शिक्षा पिछड़ रही है। विद्यालयों में पानी भरा हुआ है। बच्चे विद्यालय नहीं जा पा रहे हैं। हालांकि शिक्षा विभाग ने आसपास के क्षेत्र में बच्चों की शिक्षा का प्रबंध किया है, लेकिन आवागमन सुलभ न होेने के कारण बच्चे विद्यालयों में शिक्षाध्ययन को नहीं पहुंच पा रहे हैं।
गंगा में छोड़ा गया पानी
- हरिद्वार 1,10,833 क्यूसेक
- बिजनौर 1,14,867 क्यूसेक
- नरौरा 2,21,804 क्यूसेक
- कछला पर गेज 162.57 मीटर
गंगा के जलस्तर में शनिवार को तीन सेंटीमीटर की कमी हुई है, लेकिन गंगा खतरे के निशान से 17 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। नरौरान से पानी छोड़े जाने के बाद प्रवाह बढ़ गया है। सतर्कता बढ़ा दी गई है। - पंकज कश्यप, एई सिंचाई विभाग
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