Kasganj Flood Update: चमक उठे लोगों के चेहरे... खतरे के निशान से नीचे उतरी गंगा, इन इलाकों में टला बाढ़ का खतरा
गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर नीचे आने से कासगंज के तटीय ग्रामीणों को राहत मिली है। पिछले एक महीने से बाढ़ से जूझ रहे ग्रामीणों को अब पानी उतरने और जीवन सामान्य होने की उम्मीद है। सोरों और पटियाली जैसे क्षेत्रों में अभी भी जलभराव है। सिंचाई विभाग के अनुसार पहाड़ों से पानी न छोड़े जाने पर स्थिति और बेहतर होगी।

जागरण संवाददाता, कासगंज। एक माह से तटवर्ती क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति से जूझ रहे ग्रामीण को गंगा ने राहत दी है। गंगा खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर नीचे उतर गई। पहाड़ों से अभी भी पानी छोड़ा जा रहा है। नरौरा बैराज से एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है, लेकिन गंगा का जलस्तर कम होने से तटवर्ती ग्रामीणों को राहत मिली है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि गांव में भर पानी निकल जाएगा। उन्हें असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कछला पर मापा गया 162.30 मीटर गेज, 10 सेंटीमीटर घटी गंगा
पिछले एक माह से गंगा रौद्र रूप धारण किए हुए हैं। खतरे के निशान से लगातार ऊपर रहकर उफान भर रही है। सोरों, सहावर और पटियाली क्षेत्र में गंगा खेतों में खड़ी फसल में प्रवेश करने के बाद आबादी तक पहुंच गई। सोरों क्षेत्र के कई गांव अब भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। जबकि पटियाली में तो स्थति खराब है। यहां 20 से अधिक गांव जलमग्न हैं। ग्रामीणों की दिनचर्या प्रभावित है। स्वास्थ्य खान-पान, मवेशी के चारे सहित आवागमन को परेशान हैं।
बिजली और मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो रहे
बिजली गुल हो चुकी है। मोबाइल के नेटवर्क भी नहीं आ रहे। जिससे ग्रामीणों का संपर्क टूट गया है। गंगा की बाढ़ ने क्षेत्र के लोगों को परेशानी में डालने के बाद पूरी तरह बेवश कर दिया। पिछले तीन दिन से लगातार गंगा का जलस्तर घट रहा है। बुधवार को गंगा अचानक खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर नीचे चली गई। जिससे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ों से बड़ी मात्रा में पानी न छोड़ा जाए। जिससे गंगा का जलस्तर न बढ़ सके और गंगा धीरे-धीरे शांत हो जाए। बुधवार को नरौरा से एक लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है। इसका असर गंगा में दिखाई नहीं दे रहा है।
बाढ़ के पानी के निकलने के इंतजार में ग्रामीण
पटियाली क्षेत्र में 20 से अधिक गांव में गंगा की बाढ़ का पानी भरा हुआ है। ग्रामीण परेशान हैं। दैनिक चर्या की समस्याओं से जूझ रहे हैं। प्रशासन और समाजसेवी राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं, लेकिन यह राहत ग्रामीणों के लिए नाकाफी साबित हो रही है।
बुधवार को गंगा का जलस्तर घटने की खबर पर ग्रामीणों के चेहरे चमके। उनमें उम्मीद जागी है कि जल्द ही बाढ़ का पानी गांव से उतरेगा। उनकी फसलों की जो क्षति हुई है। प्रशासन आंकलन कर इसकी भरपाई करेगा। उनकी जीवनचर्या फिर से पटरी पर लौट आएगी। हालात पहले जैसे सामान्य हो जाएंगे।
गांव में गंगा की बाढ़ का पिछले एक माह से दंश झेल रहे हैं। घरों तक पानी भरा हुआ है। सड़कें डूब चुकी हैं। आवागमन स्टीमर और नाव से किया जा रहा है। - अशोक कुमार, राजेपुर कुर्रा
जीवनचर्या एक माह से अधिक समय तक प्रभावित रही है। ग्रामीणों ने बेवशी के साथ यह समय गुजारा है। राहत सामग्री से कोई राहत नहीं मिली है, परेशानी हैं। - संजीव कुमार, नगला जैली
गंगा में छोड़ा गया पानी आंकड़ों की नजर में
- हरिद्वार 72,669 क्यूसेक
- बिजनौर 64,863 क्यूसेक
- नरौरान 1,07529 क्यूसेक
- कछला पर गेज 162.30 मीटर
गंगा के जलस्तर में बुधवार काे बड़ी कमी आई है। जलस्तर 10 सेंटीमीटर घट गया है। जो खतरे के निशान से नीचे है। पहाड़ाें से पानी नहीं छोड़ा गया तो गंगा का जलस्तर और घटेगा। ग्रामीणों को राहत मिलेगी। - पंकज कश्यप, एई सिंचाई विभाग
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