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    बोझिल नहीं हुई जेब और दुरुस्त हो गई सेहत

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 27 Jun 2022 05:39 AM (IST)

    कासगंज संवाद सहयोगी जनऔषधि केंद्रों की संख्या जिले में बढ़ जाए तो निश्चित ही लोग जेनेरिक दवाइयों के लाभ से सेहत को दुरुस्त कर पाएंगे बल्कि महंगी दवाइयों के आर्थिक बोझ से बच जाएंगे।

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    बोझिल नहीं हुई जेब और दुरुस्त हो गई सेहत

    कासगंज, संवाद सहयोगी : जनऔषधि केंद्रों की संख्या जिले में बढ़ जाए तो निश्चित ही लोग जेनेरिक दवाइयों के लाभ से सेहत को दुरुस्त कर पाएंगे, बल्कि महंगी दवाइयों के आर्थिक बोझ से बच जाएंगे। तमाम लोग जेनेरिक दवाइयों से लाभांवित होकर अब अन्य मरीजों और तीमारदारों को इन्ही दवाइयों के खरीदने की सलाह दे रहें हैं। इधर, जागरूक होकर लोगों को चिकित्सकों को दवा का नाम नहीं साल्ट लिखने के लिए अनुरोध करना होगा। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक साल्ट ही लिखते हैं। जेनेरिक दवाइयां सस्ती होती हैं। इन दवाइयों का असर भी अच्छा होता है। मेरे परिवार के ताऊ को जोड़ों में दर्द की शिकायत थी। हमने बाजार से दवा न खरीदकर सरकारी अस्पताल के चिकित्सक से सलाह लेकर दवा खरीदी। दवा सस्ती मिली।

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    - दिनेश, तीमारदार जेनेरिक दवाइयां असरदार होती हैं। जागरूकता की कमी रहती है। इसलिए लोग इनका लाभ नहीं ले पाते। जनऔषधि केंद्र बढ़ने चाहिए। मैंने भी पूर्व में जेनेरिक दवाइयों का सेवन किया है। सस्ती और अच्छी दवाएं होती हैं।

    - दीपक कुमार, शिक्षक जिला अस्पताल में पहुंचने वाले मरीजों को अस्पताल की फार्मेसी से दवा दिलाते हैं। अस्पताल में जो दवाएं नहीं होती हैं उनके साल्ट लिखकर मरीजों को जेनेरिक दवाएं देने की सलाह देते हैं। अस्पताल में ही जनऔषधि केंद्र हैं।

    - डा. कृष्ण अवतार, चिकित्सक जेनेरिक दवाओं का असर ब्रांडेड दवाओं की तरह ही होता है। जेनेरिक दवाएं सिर्फ साल्ट के नाम से मिलती हैं। इन दवाओं की खरीद पर काफी छूट मिलती है। चिकित्सक से सलाह लेकर ही जेनेरिक दवाएं खरीदें।

    - डा. उत्कर्ष, चिकित्सक