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    यहां होती है खंडि‍त शि‍वल‍िंग की पूजा, औरंंगजेब को भी अपनी सेना के साथ होना पड़ा था नतमस्‍तक

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 03:20 PM (IST)

    कौशांबी के कड़ाधाम में स्थित महाकालेश्वर नाथ मंदिर भारत का तीसरा ऐसा मंदिर है जहाँ खंडित शिवलिंग की पूजा होती है। मान्यता है कि इसकी स्थापना पांडवों ने की थी। औरंगजेब ने इसे तोड़ने की कोशिश की पर शिवलिंग से निकली मधुमक्खियों ने उसकी सेना को तहस-नहस कर दिया। सावन में यहाँ रुद्राभिषेक करने वालों का तांता लगा रहता है और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

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    कालेश्वर नाथ मंदिर में पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग।- जागरण

    जागरण संवाददाता, कौशांबी। देवाधिदेव महादेव का कड़ाधाम स्थित ''महा कालेश्वर नाथ'' मंदिर अपने आप में अद्भुत है। यह भारत का तीसरा ऐसा मंदिर है, जहां खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक महा कालेश्वर नाथ धाम की स्थापना महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान की थी। बाद में मुगल शासक औरंगजेब ने शिवलिंग तोड़ने का प्रयास किया, लेकिन भोलेनाथ का वह बाल भी बांका नहीं कर सका। बाद में औरंगजेब को अपनी सेना सहित भगवान शिव के सामने नतमस्तक होना पड़ा था।

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    सावन माह की शुरुआत से ही गंगा नदी के किनारे स्थापित ''महा कालेश्वर नाथ'' में रुद्भाभिषेक करने वालों का तांता लगता है। हिंदू धर्म में खंडित मूर्ति की पूजा पूर्ण रूप से वर्जित है, लेकिन भारत में तीसरा एकमात्र महा कालेश्वर नाथ धाम मंदिर ऐसा है, जहां लोग खंडित शिवलिंग की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में श्रद्धाभाव से पूजा-पाठ करने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो भक्त कालसर्प योग से ग्रसित हो, यदि वह यहां आकर भगवान भोले को श्रद्धा भाव से नमन करते हुए रुद्राभिषेक कराता है तो बाबा की कृपा उस पर बरसती है।

    धर्मराज युधिष्ठिर ने स्थापित किया था शिवलिंग

    महाभारत काल में कड़ाधाम को कारकोटक वन के नाम से जाना जाता था। इसी वन में पांडव पुत्रों ने अज्ञातवास का कुछ समय व्यतीत किया था। अज्ञातवास के दौरान जब धर्मराज युधिष्ठिर के मन में भगवान भोलेनाथ के दर्शन पूजन की इच्छा जागृत हुई तो उन्होंने शिव की आराधना करने के लिए यहीं पर शिवलिंग की स्थापना की। पांडु पुत्रों ने जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की। आज यह स्थान कालेश्वर नाथ नागा आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है।

    शिवलिंग से निकली मधुमक्खियों ने औरंगजेब की सेना को किया था तहस-नहस

    क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने भारत के मंदिरों पर आक्रमण कर उन्हें तोड़ने के साथ लूटना शुरू किया तो उसके सैनिकों ने कड़ाधाम स्थित पांडु पुत्र युधिष्ठिर द्वारा स्थापित महा कालेश्वर मंदिर पर भी धावा बोला। जब सेना ने आक्रमण किया तो तत्कालीन महंत उमराव गिरी उर्फ नागा बाबा ने मुगलिया सेना से मंदिर को बचाने के लिए पहले तो भगवान शिव की आराधना की और सैनिकों से शिवलिंग न तोड़ने का अनुरोध किया।

    कड़ाधाम के विनय पंडा बताते हैं कि औरंगजेब के आदेश पर सैनिकों ने फरसे से शिवलिंग को तोड़ने के लिए उस पर तीन बार वार किया तो पहले वार में शिवलिंग से दूध की धार निकली। दूसरे वार पर शिवलिंग से खून की धार निकाली और जब सैनिकों ने तीसरा बार किया तो शिवलिंग से लाखों मधुमक्खियों का झुंड निकला और मुगल सैनिकों पर हमला कर दिया।

    मधुमक्खियां का हमला इतना खतरनाक था कि औरंगजेब की सारी सेना तबाह हो गई। बाबा भोलेनाथ की महिमा को दो सैनिकों ने माना और उन्होंने हाथ जोड़कर अपनी माफी मांगी तो मधुमक्खियां ने उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। बचे हुए सैनिकों ने जब इस घटना की जानकारी मुगल शासक औरंगजेब को दी तो उसने बाबा के सामने माथा टेका।

    मनवांछित मन्नत पूरी करते हैं भोलेनाथ

    इस शिव मंदिर की सबसे खास बात और मान्यता यह है कि जो भी लड़की भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर में उनकी सच्चे हृदय से पूजा-आराधना कर जलाभिषेक करती है एवं 16 सोमवार का व्रत करती है। भगवान शिव उसे मनवांछित वर का आशीर्वाद देते हैं और उसके वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि और शांति की गंगा प्रवाहित होती रहती है।

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