Tigress Trapped : लखीमपुर में गोला के देवीपुर में दहशत फैला रही बाघिन को भारी पड़ा लालच, पिंजरे में हुई कैद
Tigress Trapped in Cage in Lakhimpur Kheri ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए घटनास्थल का पुलिस और वन विभाग ने मौका मुआयना कर गांव के पूरब एक पिंजरा लगाया था। जिसमें लगातार शिकार के तौर पर बकरी को बांधा जा रहा था। बुधवार रात बाघिन पिंजरे में कैद होने के बाद दहाड़ने लगी तब ग्रामीणों को इसके फंसे होने का एहसास हुआ।
संवाद सूत्र, जागरण, लखीमपुर खीरी : तराई के लखीमपुर खीरी जिले के गोला रेंज इलाके के देवीपुर गांव में एक हफ्ते से डर का पर्याय बनी बाघिन शिकार के लालच में पिंजरे में स्वतः कैद हो गई है। जिससे ममरी के ग्रामीणों और वनकर्मियों ने राहत की सांस ली है।
इस बाघिन का वैसे तो लंबे अरसे से क्षेत्र के ग्राम मूड़ा सिरकटा, रानीगंज, धरमपुर, रामनगर कलकत्ता, देवीपुर, उदयपुर समेत एक दर्जन गांवों में मूवमेंट बना हुआ था। ग्रामीण बताते हैं कि गोला की पश्चिमी बीट के ग्राम देवीपुर में इस बाघिन की लगातार मौजूदगी एक हफ्ते से बनी हुई है। बाघिन ने एक हफ्ते में गांव के रामू समेत दो लोगों की बकरियों को मारा था। इसके अलावा खेतों में बाघिन की चहलकदमी देखी जा रही थी।
बकरी का शिकार करने के लालच में फंसी बाघिन
ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए घटनास्थल का पुलिस और वन विभाग ने मौका मुआयना कर गांव के पूरब एक पिंजरा लगाया था। जिसमें लगातार शिकार के तौर पर बकरी को बांधा जा रहा था। बुधवार रात बाघिन पिंजरे में कैद होने के बाद दहाड़ने लगी, तब ग्रामीणों को इसके फंसे होने का एहसास हुआ। तब ग्रामीणों की भीड़ मौके पर एकत्र होने लगी। सूचना पर पहुंचे वन कर्मियों ने पिंजरे को अपनी कस्टडी में लेकर जंगल के अंदर सुरक्षित स्थान पर रख लिया है। बाघिन की मौजूदगी वाले स्थल का डीएफओ संजय विस्वाल, रेंजर संजीव कुमार तिवारी ने मौका मुआयना किया है।
जंगल के अंदर सुरक्षित स्थान पर रोका गया
गोला के रेंजर संजीव कुमार तिवारी ने बताया कि परीक्षण में बाघिन होने की पुष्टि हुई है। जिसको जंगल के अंदर सुरक्षित स्थान पर रोका गया है। इसको एक-दो के बाद में उचित स्थान पर छोड़ा जाएगा।
रत्नापुर में है बाघिन व शावकों का शोर
गोला रेंज के रत्नापुर में दो लोगों को निवाला बनाने के बाद तीन शावकों के साथ मौजूद बाघिन ग्रामीणों और वनकर्मियों के लिए चुनौती बनी हुई है। डेढ़ महीने से बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने की कवायद में तमाम संसाधन लगाए गए हैं, लेकिन अभी सफलता नहीं मिल पा रही।
उधर महेशपुर के रोशन नगर, घमहाघाट, अयोध्यापुर जमुनहा, बिहारीपुर, शेरपुर, उदयपुर,आंवला इलाके में बाघों की चहल कदमी बनी हुई है।
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