छांगुर मामले से भी सरकार नहीं ले रही सबक, लखनऊ में अभी भी चल रहे 111 अवैध मदरसे
लखनऊ में सैकड़ों मतांतरण कराने वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर के नेटवर्क के खुलासे के बाद भी प्रशासन ने सबक नहीं लिया है। पुराने शहर में आज भी 111 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे चल रहे हैं, जिन पर कोई नियंत्रण नहीं है। जांच में पता चला कि मदरसे धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित हैं और बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जा रही है। प्रशासन ने रिपोर्ट शासन को भेज दी है और निर्देशों का इंतजार है।
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राजीव बाजपेयी, लखनऊ। सैकड़ों मतांतरण कराने वाले बलरामपुर के जलालुददीन उर्फ छांगुर के नेटवर्क के खुलासे के कई माह बीत जाने के बाद भी प्रशासन सबक सीखता नहीं दिख रहा है। लखनऊ में खासकर पुराने शहर में आज भी 111 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं, जिनकी गतिविधियों पर प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है।
यह स्थिति तब है जब अवैध मदरसों को बंद कराने को लेकर शासन स्तर से लगातार दिशा निर्देश जारी हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि राजधानी में चल रहे इन अवैध मदरसों के बारे में प्रशासन को जानकारी नहीं है। मदरसों की रिपोर्ट शासन को भेजी चुकी है, लेकिन अब तक इनको बंद करने के निर्देश नहीं मिलने से गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दो वर्ष पूर्व नेपाल सीमा से सटे जिलों में संचालित मदरसों में संदिग्ध गतिविधियों के बाद राज्य सरकार ने मदरसों की जांच पड़ताल के निर्देश दिए थे। इसके बाद लखनऊ प्रशासन ने 200 से अधिक मदरसों की जांच की थी। जिला प्रशासन, पुलिस और मदरस बोर्ड की संयुक्त टीम की जांच में कई हैरान करने वाली बातें सामने आई थीं।
प्रशासन ने जो रिपोर्ट सौंपी थी उसके अनुसार कुल 99 मदरसों का पंजीकरण था, जिनमें 19 मदरसे अनुदानित थे। इसके अलावा 111 मदरसे ऐसे थे, जिनके पास किसी तरह की मान्यता नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद उनका संचालन किया जा रहा था।
जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि बगैर पंजीकरण के चल रहे मदरसे अलग-अलग धार्मिक संस्थाओं और संगठनों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं और वहीं से इनकी फंडिंग है। जांच टीम को इन मदरसों से आय और खर्च का कोई ब्योरा भी नहीं उपलब्ध कराया गया था।
इन मदरसों में कितने बच्चे पढ़ते हैं, इसकी भी स्पष्ट जानकारी संचालकों द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई थी। जिन बच्चों के नाम रजिस्टर में दर्ज थे उनके पते भी स्पष्ट नहीं थे। अधिकतर बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी।
इन मदरसों पर नियंत्रण इसलिए भी जरूरी है क्योंकि गत वर्ष ही पुलिस ने दुबग्गा में जमी आतुल कासिम अल इस्लामिया मदरसे से 21 बच्चों को मुक्त कराया था, जिनको बिहार से लाकर यहां रखा गया था। बच्चों से पूछताछ में सामने आया था कि उनको कटटरपंथी शिक्षा दी जा रही थी। कई मदरसों में इस तरह की शिकायतें आती रही हैं।
इससे पहले जुलाई 2021 में काकोरी के ही सीते विहार कालोनी में एटीएस ने एक मकान में छापा मारकर अलकायदा के एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2017 में एटीएस ने इसी इलाके में आइएस आतंकी सैफुल्ला को मुठभेड़ के बाद ढेर किया था।
लखनऊ में संचालित इन अवैध मदरसों के बारे में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सोम कुमार का कहना है कि हम लोगों ने जांच के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। अवैध मदरसों के नियंत्रण को लेकर नए सिरे से नियमावली बनाई जा रही है। किसी तरह के दिशा-निर्देश मिलने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।

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