एनकाउंटर पर ‘गरमाई’ राजनीति के बीच ‘ठंडे’ हो रहे बदमाश, अखिलेश और योगी सरकार में कितना अंतर?
उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों की संख्या में वृद्धि हुई है जिसमें 2012 से 2017 के बीच 34 से बढ़कर 2017 से 2024 के बीच 209 हो गई है। पूर्व आईपीएस अधिकारी आरकेएस राठौर का मानना है कि एनकाउंटर पुलिस और बदमाशों के बीच एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो बदमाशों में पुलिस की दहशत बढ़ाती है और आम लोगों में गुंडों का भय कम करती है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पुलिस मुठभेड़ में मारा गया बदमाश किस जाति का था? इन दिनों एनकाउंटर के बाद पुलिस को इस सवाल का सामना सबसे पहले करना पड़ रहा है। सुलतानपुर डकैती में शामिल रहे आरोपी मंगेश यादव के पांच सितंबर को मारे जाने के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जाति देखकर जान लिए जाने का बयान देकर राजनीति गरमा दी थी।
पक्ष-विपक्ष के बीच कानून-व्यवस्था को लेकर शुरू हुई जुबानी जंग भी तेज है और इसके बीच पुलिस कार्रवाई का सिलसिला भी जारी है। सुलतानपुर डकैती का आरोपित अनुज प्रताप सिंह सोमवार सुबह पुलिस की गोली लगने से ढेर हुआ और रात में गाजीपुर में दो सिपाहियों की हत्या की संगीन वारदात में शामिल रहा जाहिद भी मारा गया।
इस वर्ष अब तक 15 बदमाश पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो चुके हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारी आरकेएस राठौर कहते हैं कि ‘हर पुलिस मुठभेड़ की मजिस्ट्रेट जांच होती है। एनकाउंटर पुलिस व बदमाशों के बीच एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इससे बदमाशों में पुलिस की दहशत बढ़ती है तो आम लोगों में गुंडों का भय कम होता है’।
209 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए
पुलिस आंकड़ों की बात की जाए तो वर्ष 2012 से 2017 के मध्य पुलिस मुठभेड़ में 34 अपराधी मारे गए थे। बीते सात वर्षाें में अब तक कुल 209 अपराधी एनकाउंटर में मारे गए हैं। इनमें 163 इनामी बदमाश हैं। 46 बदमाश ऐसे थे, जिन पर इनाम घोषित नहीं था।
मारे गए बदमाशों में पांच लाख का इनामी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे, प्रयागराज में दिनदहाड़े उमेश पाल की हत्या में शामिल माफिया अतीक अहमद (अब मृत) का बेटा असद, कुख्यात अंशू दीक्षित, पांच लाख का इनामी दस्यु गौरी यादव व अन्य कुख्यातों के नाम शामिल हैं। पांच वर्ष पूर्व 2018 में सर्वाधिक 41 बदमाश पुलिस की गोली लगने से ढेर हुए थे।
एक नजर आंकड़ों पर
वर्ष | मुठभेड़ में ढेर बदमाश |
2012 | 10 |
2013 | 05 |
2014 | 07 |
2015 | 08 |
2016 | 04 |
2017 | 27 |
2018 | 41 |
2019 | 34 |
2020 | 26 |
2021 | 26 |
2022 | 14 |
2023 | 26 |
जब भूखा शेर बाहर निकलता है…
मुठभेड़ों की बढ़ी संख्या के सवाल पर पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि ‘यह वर्तमान सरकार की अपराध व अपराधियों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति का परिणाम है। जो लोग एनकाउंटर पर सवाल उठाते हैं, उन्हें राजनीतिक लाभ के लिए केवल बयानों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच में शपथपत्र देकर अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए’।
कहते हैं, ‘पुलिस आक्रामक होकर अपना काम कर रही है। जब भूखा शेर बाहर निकलता है, तब मुठभेड़ होती है। इसके लिए साहस, सूचना व समन्वय बेहद महत्वपूर्ण होता है’।
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