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    अंसल को दिवालिया घोषित करने के बाद से तीन हजार होम बायर्स परेशान, अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 10:42 AM (IST)

    लखनऊ में अंसल एपीआई के होम बायर्स घर और भूखंड पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। एनसीएलटी द्वारा अंसल को दिवालिया घोषित करने के बाद से तीन हजार से अधिक होम बायर्स परेशान हैं। यूपी रेरा और एनसीएलएटी से निराशा मिलने के बाद बायर्स ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। उन्होंने अंसल एपीआई के खिलाफ नारे भी लगाए और मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई।

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। इंदिरा नगर की सुरभि वर्मा कहती हैं कि 2013 में सुशांत गोल्फ सिटी में 63 लाख रुपये का भूखंड खरीदने के लिए 25 लाख रुपये जमा किया था, कोरोना कालखंड में उनके पति की मौत हो चुकी है। अंसल एपीआइ से भूखंड पाने के लिए दौड़ रहे हैं, कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।

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    अमीनाबाद की ऊषा यादव ने 2011 में रि-सेल में 27 लाख रुपये की कीमत वाले भूखंड के लिए 13.50 लाख रुपये जमा किया। कोरोना में उनका व्यवसाय बंद हो चुका है, घर मिल रहा किराये के मकान में बच्चों के सहारे जीवन जी रहे हैं। अब होम बायर्स का एक समूह प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट में ले जाएगा। रविवार को निर्णय लिया गया कि दीपावली बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका की जाएगी।

    ऐसा दर्द मेसर्स अंसल प्रापर्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर (अंसल एपीआइ) की योजना में निवेश करने वाले तीन हजार से अधिक होम बायर्स का है। 25 फरवरी को राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) ने अंसल एपीआइ को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू किया था, उसके बाद से लोग बेहद परेशान हैं।

    लखनऊ विकास प्राधिकरण के भरोसे घर व भूखंड खरीदने वालों की अब कोई सुन नहीं रहा। रविवार को अंसल के होम बायर्स एमार ग्रीन सिटी में जुटे और निर्णय लिया कि अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, क्योंकि यूपी रेरा हस्तक्षेप नहीं कर रहा और एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी ला अपीलेट ट्रिब्यूनल) में तारीख पर तारीख मिल रही है।

    प्रशांत सिन्हा ने बताया, अंसल एपीआइ के 200 होम बायर्स का समूह बना है, इसका विधिवत पंजीकरण कराया जा रहा है, इन सभी ने निर्णय लिया है कि सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए, क्योंकि आठ महीने में किसी तरह की राहत नहीं मिल सकी है। उन्होंने बताया, मुख्यमंत्री कार्यालय में दो बार आवेदन कर चुके हैं, वहां से एलडीए भेजा गया, अवर अभियंता ने कुछ भी सुनने के बजाय दो टूक कहा, इस मामले में एनसीएलएटी ही कुछ कर सकता है।

    राजाजीपुरम के एसआर वर्मा ने कहा, यूपी रेरा से स्वीकृत भूखंड खरीदा था लेकिन, अब कहा जा रहा उसे कंसोर्सियम ने किसी और को बेच दिया। राजधानी में ऐसी मनमानी हो रही है।

    गोमती नगर के अखिल अग्रवाल ने कहा, किसी पर एक एफआइआर होती है तो पुलिस कार्रवाई करती है लेकिन, 250 एफआइआर के बाद भी आरोपित खुलेआम घूम रहा है। प्रकरण एनसीएलएटी में है तो पुलिस क्यों मौन हो गई है। होम बायर्स ने अंसल एपीआइ मुर्दाबाद, मुख्यमंत्री जी मदद कीजिए के नारे भी लगाए गए।