लखनऊ में संदिग्ध बांग्लादेशियों पर शिकंजा कसेगी एटीएस, सफाई कर्मियों का ब्योरा मांगा
लखनऊ में संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान करने का जिम्मा एटीएस को सौंपा गया है। एटीएस ने नगर निगम से सफाई कर्मचारियों का ब्योरा मांगा है, क्योंकि कचरा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, लखनऊ। संदिग्ध बांग्लादेशियों को चिह्नित करने का जिम्मा अब आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) संभालेंगी। अभी तक नगर निगम व पुलिस ही संदिग्ध बांग्लादेशियों के अभिलेखों की जांच कर रही थी। एटीएस ने नगर निगम से कूड़ा प्रबंधन और सफाई का काम देख रही कार्यदायी संस्थाओं के श्रमिकों का ब्योरा मांगा है।
एटीएस की तरफ से यह पत्र नगर निगम पहुंचा है, जिसके बाद नगर निगम ब्योरा जुटाने में लग गया है। इसमें कार्यदायी संस्थाओं के ठेकेदारों के साथ ही सफाई श्रमिकों की प्रमाणित सूची, निवास स्थान, पहचान प्रमाण पत्र और मोबाइल नंबर भी देना है।
एटीएस की तरफ से नगर निगम को बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी व रोहिंग्याओं की मौजूदगी की जांच की जा रही है। मिली सूचना के अनुसार नगर निगम लखनऊ में भी कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से कचरा प्रबंधन और सफाई कार्य में लगे श्रमिकों में अधिकतर बांग्लादेशी और रोहिंग्या होने के इनपुट मिले हैं।
नगर निगम के एक अधिकारी के मुताबिक ठेकेदारों से भी कहा गया है कि सूचनाएं उपलब्ध कराने में कोई गड़बड़ी न की जाए। दरअसल पुलिस और नगर निगम के पास संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान करने का कोई संसाधन नहीं है, जबकि वे आधार कार्ड के हिसाब से खुद को असम का बता रहे हैं।
हालांकि पुलिस ने एनआरसी नंबर (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) मांगा तो अधिकांश नहीं दे पाए थे। उधर, नगर निगम के पांच जोनों में कूड़ा प्रबंधन का कार्य देख रही मेसर्स लखनऊ स्वच्छता अभियान ने भी जब कंपनी में कार्य कर रहे सफाई कर्मचारियों से एनसीआर नंबर मांगा तो 168 कर्मी नौकरी छोड़कर चले गए। अब वे क्या कर रहे हैं? यह भी जांच का विषय है। दरअसल इसमें से कई कूड़ा बटोरने और कबाड़ी का काम करते हैं।
एक रंग की ठेलिया से पकड़े जाएंगे संदिग्ध बांग्लादेशी
संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान करने के लिए नगर निगम ने भी योजना चालू की है। अब कूड़ा उठाने वाली ठेलियों की नंबरिंग की जाएगी और उनका रंग लाल या हरा होगा। महापौर सुषमा खर्कवाल ने पत्र लिखकर कहा था कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या नगर निगम के विभिन्न वार्डों में झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं।
कूड़ा बीनने और कबाड़ बेचने के साथ यह लोग अराजकता भी फैलाते हैं। इसमें शामिल घुसपैठिओं को बाहर करने के लिए एक ही रंग की ठेलिया होनी चाहिए, जिस पर नंबर पड़ा हो। इसके बाद नगर आयुक्त गौरव कुमार की तरफ से भी आदेश जारी कर ठेलियों में नंबर व उसका एक रंग रखने को कहा गया है, जिससे कोई अन्य कूड़ा उठाते मिले तो पकड़ा जा सके।
नगर निगम के स्थानीय ठेकेदारों के पास 5300, जोन दो, पांच व आठ देखने वाली कंपनी के पास 2500 और जोन एक, तीन, चार, छह, सात और आठ देखने वाली कंपनी के पास तीन हजार कथित बांग्लादेशी कार्य कर रहे हैं।

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