उत्तर प्रदेश में रेलवे ठेकों में कमीशनखोरी की सीबीआई जांच होगी, अधिकारियों पर शिकंजा कसेगा
लखनऊ में सीबीआई रेलवे ठेकों में कमीशनखोरी की जांच कर रही है। एफडीआर के साथ अनुभव प्रमाण पत्रों की भी जांच होगी। अधिकारियों की मिलीभगत से आय प्रमाण पत्रों में गड़बड़ी की आशंका है। लखनऊ वाराणसी और गोरखपुर में छापेमारी की गई जिसमें कई दस्तावेज जब्त किए गए। एंटी करप्शन ब्रांच ने पहले भी कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सीबीआइ रेलवे ठेकों में कमीशनखोरी के मामलों में एफडीअार (सावधि जमा रसीद) के साथ ही अनुभव प्रमाणों पत्रों की भी पड़ताल करेगी। सीबीआइ जांच में रेलवे के कई अधिकारियों की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।
सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ को संदेह है कि अधिकारियाें की मिलीभगत से आय प्रमाण पत्रों में भी खेल किया गया था। दस्तावेजों की जांच में आपसी साठगांठ के चलते लापरवाही बरती गई। दस्तावेजों की जांच के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
सीबीआइ ने रेलवे ठेकों में फर्जी एफडीआर का प्रयोग किए जाने की शिकायतों पर दो दिन पूर्व लखनऊ में उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे मंडलीय कार्यालय, वाराणसी में रेल मंडल मुख्यालय व गोरखपुर में जोनल मुख्यालय में छानबीन की थी। इनमें सबसे अधिक गड़बड़ी वाराणसी में जाने का तथ्य भी सामने आया है।
सीबीआइ ने छानबीन के दौरान 10 एफडीआइ के अलावा कई अनुभव प्रमाण पत्र भी कब्जे में लिए हैं। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने दो माह पूर्व भी कमीशनखोरी के मामले में कार्रवाई की थी।
तब गति शक्ति प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा व सीनियर सेक्शन इंजीनियर (ड्राइंग) अशोक रंजन समेत अन्य अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था।
टैंजेंट इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक प्रवीण कुमार सिंह व कर्मचारी जिमी सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। तब सीबीआइ को बिल पास कराने के नाम पर लाखों की घूस लिए जाने की शिकायत मिली थी।
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