'उपभोक्ता का अधिकार है पोस्ट या प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगवाना', परिषद ने कंपनियों पर लगाया बड़ा आरोप
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि उपभोक्ताओं को पोस्टपेड या प्रीपेड स्मार्ट मीटर चुनने का अधिकार है। परिषद ने बिजली कंपनियों पर विद्युत अधिनियम 2003 के उल्लंघन का आरोप लगाया है। नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन से मीटर लागत पर रिपोर्ट मांगी है। परिषद ने बिजली कंपनियों द्वारा दरें बढ़ाने की तैयारी का भी विरोध किया है, क्योंकि उनके पास उपभोक्ताओं का अतिरिक्त धन है। परिषद ने उपभोक्ताओं के हित में कार्रवाई की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि बिजली के पोस्ट या प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगवाने का अधिकार आज भी उपभोक्ताओं के पास सुरक्षित है।
इसके बाद भी बिजली कंपनियां राज्य में विद्युत अधिनियम 2003 के विपरीत प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगा रही हैं। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस संदर्भ में बिजली कंपनियों के विरुद्ध राष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बीती नौ अक्टूबर को सार्वजनिक किए गए ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2025 में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) में संशोधन का प्रविधान नहीं किया है। इससे स्पष्ट है कि केंद्र सरकार ने पोस्ट-पेड या प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगवाने का अधिकार उपभोक्ताओं को दिया है।
इसके बाद भी बिजली कंपनियां प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगा रही हैं। इस मामले में उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया है, जिसे लेकर आयोग ने पावर कारपोरेशन से मीटर लागत पर 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
उन्होंने यह भी कहा कि बिजली कंपनियां बिजली की दरें बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं, जबकि बिजली कंपनियों और पावर कारपोरेशन के पास उपभोक्ताओं का लगभग 33,122 करोड़ रुपये अतिरिक्त है। इसलिए बिजली की दरें बढ़ाने का मतलब नहीं है। फिर भी कंपनियां व पावर कारपोरेशन बिजली की दरों में 28 से 45 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की साजिश रच रही हैं।
विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार वार्षिक राजस्व आवश्यकता स्वीकार होने के 120 दिनों के भीतर नई दरों की घोषणा हो जानी चाहिए थी। अब 165 से अधिक दिन बीत चुके हैं और दरों का निर्धारण अभी तक नहीं किया गया है। इसलिए बिजली की दरें बढ़ाने की कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इस मामले में उपभोक्ताओं के हित में निर्णय लिया जाए। साथ ही चेतावनी दी है कि उपभोक्ताओं के हितों को लेकर परिषद की तरफ से आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।

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