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    साइबर ठगों को पकड़ने के लिए ये तरीका अपना रही यूपी पुलिस, 2.50 लाख रुपये खाते में कराए फ्रीज

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 08:12 PM (IST)

    लखनऊ में साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें सेवानिवृत्त शिक्षक और रेलवे अफसर को जालसाजों ने एटीएस और एसटीएफ का डर दिखाकर ठगा। पुलिस ने मामला दर्ज कर 2.50 लाख रुपये फ्रीज किए और जालसाजों की तलाश जारी है। आरोपियों ने पीड़ितों को गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर डराया था।

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। राजाजीपुरम निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक गया प्रसाद त्रिपाठी को एटीएस इंस्पेक्टर बनकर 12.57 लाख रुपये ठगने के मामले में साइबर क्राइम पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने ठगी के 2.50 लाख रुपये फ्रीज करा दिए हैं। साथ ही इंटरनेट प्रोटोकाल (आइपी) एड्रेस की मदद से जालसाजों की तलाश जारी है। आलमबाग निवासी सेवानिवृत्त रेलवे अफसर तेज बहादुर सिंह से दो बार में 18 लाख रुपये ठगने के मामले में भी पुलिस के हाथ अहम साक्ष्य लगे हैं। इसके आधार पर पुलिस जानकारी जुटा रही है।

    साइबर क्राइम थाने में दी गई शिकायत में गया प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि सात नवंबर को उनके पास अंजान नंबर से फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को एटीएस लखनऊ मुख्यालय में तैनात इंस्पेक्टर बताया। उसने पीड़ित से कहा कि आपके पाकिस्तान से गैर कानूनी संबंध हैं। दिल्ली के अफजल खान ने आपका मोबाइल नंबर पाकिस्तान वालों के पास होने की बात कही है।

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    इसके बाद गिरफ्तारी कर डर दिखाकर जालसाज ने उन्हें बातों में उलझाया फिर पुलिस कार्रवाई से बचाने के नाम पर उनके खाते से 12.57 लाख रुपये ठग लिए। इंस्पेक्टर ब्रजेश यादव ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर ठगी के 2.50 लाख रुपये फ्रीज कराए गए हैं। जालसाजों का पता लगाया जा रहा है। इसी तरह साइबर जालसाजों ने आलमबाग निवासी सेवानिवृत्त रेलवे अफसर तेज बहादुर सिंह को नौ नवंबर को अंजान नंबर से फोन किया।

    जालसाज ने बताया कि वह सूचना विभाग से बोल रहा है। उसने कहा कि आपके खाते से आधार कार्ड बना है जिससे आतंकियों को बड़ी रकम का लेनदेन हुआ है। इसके बाद उसने बताया कि आपके पास एटीएस से फोन आएगा बात कर लीजिएगा और फोन उठाने से पहले एटीएस का लोगो देख लीजिएगा। कुछ देर बाद एटीएस का लोगो लगे नंबर से एक काल आई।

    फोन करने वाले ने आतंकियों से लेनदेन के आरोप लगाते हुए जम्मू कश्मीर में मुकदमा दर्ज होने की बात कही। किसी अन्य को मामले की जानकारी देने से भी मना किया। डरा धमकाकर जालसाज ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट रखा और फिर दो बार में 18 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए।

    जालसाजों ने उन्हें गिरफ्तारी से संबंधित कूटरचित दस्तावेज भी दिखाए थे। ठगी का एहसास होने पर उन्होंने साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया। इंस्पेक्टर ब्रजेश यादव का कहना है कि जिन खातों में लेनदेन हुआ है उसका विवरण जुटाया जा रहा है। बैंक से भी जानकारी मांगी गई है। इसी के आधार पर जालसाजों की तलाश जारी है।