रामराज्य का उजास, विकास का विश्वास
प्रभु श्री राम भारत के प्राण हैं और दीपावली उन प्राणों की पुनर्स्थापना का महोत्सव है। यह वह क्षण है जब संपूर्ण भारत अपनी आत्मा के आलोक में सराबोर हो जाता है। जब अंधकार के विरुद्ध पूरा राष्ट्र एक साथ खड़ा होता है। प्रत्येक दीप में आस्था, आत्मबल और आदर्श का उजास झिलमिलाता है।

प्रणय विक्रम सिंह। प्रभु श्री राम भारत के प्राण हैं और दीपावली उन प्राणों की पुनर्स्थापना का महोत्सव है। यह वह क्षण है जब संपूर्ण भारत अपनी आत्मा के आलोक में सराबोर हो जाता है। जब अंधकार के विरुद्ध पूरा राष्ट्र एक साथ खड़ा होता है। प्रत्येक दीप में आस्था, आत्मबल और आदर्श का उजास झिलमिलाता है।
दीपक का जलना अंधकार से असहमति की घोषणा है। यह आशा की पुनर्स्थापना, विश्वास के पुनर्जागरण और मानवता की अमरता की अनुभूति है। प्रभु श्री राम की प्राणप्रिय नगरी अयोध्या आज उसी जीवंत आशा की साकार अभिव्यक्ति है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के यशस्वी नेतृत्व में रामराज्य की वह मर्यादा पुनः जागृत हुई है, जहां शासन सेवा है, नीति निष्ठा है और विकास में वंचित को वरीयता है।
मोदी जी का मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ रामराज्य की वाणी का आधुनिक अनुवाद है।
आज अंत्योदय से आत्मनिर्भरता तक हर योजना में राम के आदर्श श्वास ले रहे हैं। 'उज्ज्वला' की लौ माता शबरी की आस्था का विस्तार है। प्रधानमंत्री आवास योजना के हर घर में रघुनंदन की करुणा का निवास है। आयुष्मान भारत और एक जनपद एक - मेडिकल कॉलेज योजना में 'सर्वे सन्तु निरामया' का भाव है। जन धन योजना समानता का नया अध्याय है और मिशन शक्ति माता सीता की मर्यादा एवं मां दुर्गा के तेज का प्रतिरूप है।
डिजिटल इंडिया और हर घर जल, पारदर्शिता व सेवा के आधुनिक प्रतीक हैं। मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भरता के वही स्वदेशी स्वर हैं, जो श्री राम के जीवन में परिश्रम, सादगी और स्वावलंबन के रूप में झलकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी जी के नेतृत्व और डबल इंजन सरकार के सतत प्रयासों से प्रदेश में पिछले आठ वर्षों में 6 करोड़ लोगों का गरीबी रेखा से ऊपर उठना, प्रति व्यक्ति आय का दोगुना होना, कौशल विकास मिशन द्वारा 14 लाख युवाओं को आत्मनिर्भरता का प्रशिक्षण मिलना और 8.5 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी सेवा में अवसर प्राप्त होना "नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना, नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना" जैसे रामराज्यीय भाव का सजीव प्रतिरूप हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस की अपराधियों के साथ 15 हजार से अधिक मुठभेड़ें, निरंतर ध्वस्त होती अपराध की लंकाएं और अब तक 256 दुर्दांत अपराधियों का यमलोक गमन रामवाणी 'निसिचर हीन करउँ महि, भुज उठाइ पन कीन्ह' को सजीव रूप में चरितार्थ करते हुए 'भयमुक्त समाज' के संकल्प को साकार करती हैं।
उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय से सामाजिक सुरक्षा की उत्कृष्ट यात्रा 'रामनीति' का ही अनुगमन है। यह उसी का सुफल है कि मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना से 25.96 लाख बेटियों के सपनों को पंख मिले हैं, तो निराश्रित महिला पेंशन योजना ने 36.75 लाख माताओं और बहनों के जीवन में सुरक्षा और सम्मान का प्रकाश फैलाया है और दो लाख से अधिक ‘लखपति दीदी’ आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दीपशिखा बन चुकी हैं।
मातृशक्ति, मातृभूमि और मानवता की रक्षा रामराज्य की प्रखर प्रेरणा है। अत्याचारी रावण का वध इसी बात का प्रतीक है। ऑपरेशन सिंदूर आज उसी नीति का आधुनिक स्वरूप है। पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत की निर्णायक कार्रवाई केवल सामरिक सफलता नहीं, नारी अस्मिता और राष्ट्र-गरिमा की रक्षा का यज्ञ है। यह उस भारत का परिचय है जो राम की नीति पर चलता है जो संयमी है, पर निष्क्रिय नहीं। ऑपरेशन सिंदूर आधुनिक काल का वही रामकाज है, जहां शक्ति मर्यादा में स्थिर है और नीति धर्म में निहित।
यह वही भारत है, जो कहता है हम अपनी परंपरा से पोषित हैं, पर अपने पुरुषार्थ से प्रगतिशील हैं।
राम भारत के इतिहास नहीं, भारत की प्रवृत्ति हैं। रामकथा भारत के भीतर से नहीं निकली, भारत स्वयं राम की कथा से निकला है। इसीलिए इस धरती के सात्विक संस्कार, संवैधानिक मर्यादा और लोकतांत्रिक आदर्श सभी मर्यादा पुरुषोत्तम से जुड़े हैं।
राम और राष्ट्र पूरक भी हैं, पर्याय भी। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का भाव 'राम तत्व' से ही उपजता है।देश में 'राम तत्व' जितना प्रबल होगा, राष्ट्र उतना ही सामर्थ्यवान बनेगा और 'विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश' का संकल्प उतनी ही दृढ़ता से साकार होगा।
निर्बल के बल राम हैं। निर्बल को सबल बनाने का प्रयास ही रामकाज है। यही कारण है कि योगी जी की अगुवाई में स्थानीय उद्यमिता, आंचलिक शिल्प, कुटीर उद्योग और स्वदेशी प्रवृत्ति सशक्त हो रही है। ODOP योजना उसमे समृद्धि के नए आयाम जोड़ रही है।
आज जब राष्ट्र प्रभु श्री राम के अयोध्या पुनरागमन के उत्सव दीपोत्सव को मना रहा है तब यहां की असंख्य दीपमालिका मिट्टी के दीयों से सजी हैं। स्वदेशी श्रम, स्थानीय कुम्हारों के कौशल और भारतीय आत्मा की सुगंध से भरपूर। अयोध्या आज यह सिखा रही है कि भक्ति और विकास विरोधी नहीं, पूरक हैं।
यह दीपोत्सव उस भारत का उत्सव है, जो रामराज्य के सिद्धांतों पर चलकर 'विकसित भारत- विकसित उत्तर प्रदेश' की दिशा में अग्रसर है। अयोध्या का दीपोत्सव इसीलिए केवल परंपरा नहीं, नव-संस्कृति, स्वदेशी स्वाभिमान और नव-संवेदना का उत्सव है। हर दीप में श्रम का तेज है, विश्वास का ताप है और विकास की दिशा है।
महान सनातन संस्कृति की रंगोली 'दीपोत्सव' भारतीय दर्शन, अध्यात्म और राष्ट्रीय आस्था का वह प्रकाशमय शृंगार है, जो जन-जन को हर प्रकार के अंधकार से लड़ने की प्रेरणा देता है। यह केवल दीयों का नहीं, दर्शन का उत्सव है। यह मानवीय मूल्यों के उत्थान का जनोत्सव है,
सद्भाव, समता और सह-अस्तित्व के भाव का संगम है।
जब श्री अयोध्या जगमगाती हैं, तो भारत का हृदय प्रकाश से भर उठता है। जब सरयू तट पर दीप झिलमिलाते हैं, तो लगता है कि मानो सृष्टि स्वयं आरती उतार रही हो।
अयोध्या का दीपोत्सव दिखाता है कि जब परंपरा उत्पादन से जुड़ती है, जब संस्कृति उद्यम से मिलती है, तब स्वदेशी आलोक बनकर सम्पूर्ण राष्ट्र को प्रकाशित करता है।
इस बार दीपावली पर अपने आत्मीय जनों को स्वदेशी वस्तुएं ही भेंट करें। स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग कीजिए। जब हमारा उपभोग, हमारा उत्पादन और हमारा उत्सव सब कुछ अपनेपन से आलोकित होगा, तब स्वदेशी से स्वशासन और सुशासन का मार्ग प्रशस्त होगा है। यह मार्ग हमें आर्थिक सशक्तिकरण, सामाजिक समावेशन और राष्ट्रीय आत्मगौरव की सिद्धि तक ले जाएगा।
उत्सव की इस दिव्य बेला में ध्यान रहे कि आपके घर के साथ पड़ोसी का घर भी जगमगाए। आपके घर के मिष्ठान का स्वाद किसी निर्धन की कुटिया तक अवश्य पहुंचे। कोई भूखा न सोए, किसी निर्धन के घर में अंधेरा न रहने पाए। तभी आपका दीप जलाना सार्थक होगा।
दीपोत्सव पर जलता हुआ हर दीपक हमें अपनी आस्था, आर्थिकी और अपनी अस्मिता से जोड़ता है।
प्रभु श्री राम जन्मभूमि मंदिर में दीपोत्सव के प्रज्वलित असंख्य दीये दुनिया की हर उस सभ्यता के लिए आशा के प्रतीक हैं, जिसकी आस्था को कभी कुचला गया, जिसकी अस्मिता को अपमानित किया गया, जिसके अस्तित्व को मिटाने का प्रयास हुआ।
दीपावली के दीये कह रहे हैं कि पावन राम मंदिर 'राष्ट्र मंदिर' है और 'रामधर्म' ही राष्ट्रधर्म है।
इसी भावना के साथ आज जब दीये प्रज्वलित करें, तब एक दीप माँ भारती के नाम,
एक दीप प्रभु श्रीराम मंदिर के नाम,
एक दीप अपने सैनिकों के सम्मान में
एक दीप बलिदानी रामभक्तों की स्मृति में
एक दीप विकसित भारत विकसित उत्तर प्रदेश के संकल्प के समर्थन में अवश्य जलाएं।
यह दीपदान नहीं, संकल्पदान है।
हर लौ में राष्ट्ररक्षा का तेज है, हर प्रकाश में जनकल्याण का व्रत है।
प्रकाश पर्व आप सभी के लिए मंगलमय हो और आपके अंतःकरण में निहित 'रामतत्व' जागृत हो।
जय श्री राम।
जय माँ भारती।
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