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    खुद को IAS बता 150 लोगों से करोड़ों की ठगने वाला डॉक्टर गिरफ्तार, स्टिंग में हुआ चौंकाने वाला राजफाश

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 03:23 AM (IST)

    दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे डॉक्टर को गिरफ्तार किया है जो खुद को आईएएस बताकर 150 से ज्यादा लोगों से करोड़ों रुपये ठग रहा था। एक स्टिंग ऑपरेशन के ज़रिये इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ। आरोपी सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से पैसे लेता था। पुलिस ने उसके पास से कई फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं और आगे की जांच जारी है।

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। गुजरात कैडर का आइएएस और आइपीएस बताकर 150 से अधिक लोगों से 80 करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह का सरगना डाक्टर विवेक मिश्रा को कमता तिराहे के पास से चिनहट और सीआइडी की संयुक्त टीम ने गुरुवार को गिरफ्तार किया।

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    यह गिरोह दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड समेत कई राज्यों में फैला है। इंस्पेक्टर सीआइडी रमेश चंद्र तिवारी ने बताया कि विवेक अपनी बहन और अन्य लोगों के साथ मिलकर ठगी करता था। उनकी तलाश में सीआइडी टीम दबिश दे रही थी।

    इंस्पेक्टर ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित डाक्टर विवेक मिश्रा उर्फ विवेक आनंद मिश्रा मूल रूप से झारखंड के बोकारो जिले के चास स्थित शिवपुरी कालोनी का रहने वाला है। इस गिरोह का राजफाश एक वकील के स्टिंग में हुआ था।

    इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने वाले वकील डा. आशुतोष मिश्रा ने बताया कि उनकी मुलाकात डा. विवेक मिश्रा से जून 2018 में पीजीआइ स्थित एक होटल में हुई थी। विवेक ने खुद को 2014 बैच का गुजरात कैडर का आइपीएस अधिकारी बताया था। उसने कहा था कि अगर कोई काम हो तो बताएं, कराने में आसानी होगी।

    जब विवेक के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि वह फेसबुक और वाट्सऐप पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर नौकरी के नाम पर रुपये ऐंठता था और लड़कियों से चैटिंग करके उन्हें शादी का झांसा देकर ठगी करता था।

    डा. विवेक अपनी बहन निधि और विधि को भी गुजरात कैडर का आइपीएस और आइजी स्तर का अधिकारी बताता था। ऐसे में उन्होंने साक्ष्य जुटाने के लिए स्टिंग आपरेशन किया। उन्होंने अपने जूनियर वकीलों के साथ मिलकर खुद को नौकरी के लिए उम्मीदवार के रूप में पेश किया और डा. विवेक मिश्रा से पांच लाख रुपये में नौकरी की डील तय की।

    उन्होंने लखनऊ और गुजरात में कथित आइएएस को कुल साढ़े चार लाख रुपये दिए थे। अक्टूबर 2018 में उन्हें गृह मंत्रालय गुजरात सरकार के जनसंपर्क अधिकारी के रूप में नियुक्ति पत्र मिला। इसके बाद अप्रैल 2019 में स्पोर्ट्स कोटा के तहत डिप्टी एसपी का एक और नियुक्ति पत्र दिया गया। जांच कराई तो दोनों नियुक्ति पत्र फर्जी पाए गए। इसके बाद उन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराई।

    साथी आनंद बनता था डिप्सी एसपी, जयंत देता था फर्जी सिम

    इंस्पेक्टर चिनहट दिनेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि गिरोह के तार एक दो नहीं बल्की कई राज्यों में फैले हैं। विवेक के साथ बेबी तिवारी, मीरा रावत, आनंद कुमार, जयंत कुमार, रूपा ठाकुर समेत अन्य लोग मिले हुए हैं। जांच में सामने आया कि विवेक का साथी आनंद कुमार ठगी के दौरान सभी के सामने डिप्टी एसपी बनकर आता था।

    वहीं, जयंत कुमार अलग-अलग लोगों से बात करने के लिए फर्जी सिम दिलवाता था। ऐसे में पूरी जानकारी करने के लिए विवेक की पुलिस कस्टडी रिमांड ली जाएगी।

    यह था मामला

    इंस्पेक्टर चिनहट दिनेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विकल्पखंड निवासी डा. आशुतोष मिश्रा ने 24 जुलाई 2019 को चिनहट थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। बताया था कि डा. विवेक मिश्रा अपने बहन निधि मिश्रा , विधि मिश्रा के साथ मिलकर खुद को आइएएस व आइपीएस बताकर ठगी करता है।

    आरोप था कि जालसाज भाई-बहन ने मिलकर 150 से ज्यादा लोगों से 80 करोड़ रुपये की ज्यादा की ठगी की है। जानकारी करने के लिए उन्होंने भाई बहनों का स्टिंग किया था। इंस्पेक्टर ने बताया कि मामला बड़ा होने पर सीआइडी को जांच ट्रांसफर कर दी गई।