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    आजम पर कार्रवाई तो फिर विक्रम सैनी पर क्यों नहीं?, जयंत चौधरी ने स्पीकर सतीश महाना को पत्र लिखकर मांगा जवाब

    By Jagran NewsEdited By: Umesh Tiwari
    Updated: Tue, 01 Nov 2022 11:37 PM (IST)

    UP Politics जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से कहा कि कोर्ट से सजा के बाद सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां की सदस्यता रद कर दी गई। आपकी सक्रियता की प्रशंसा की जानी चाहिए किंतु पूर्व के मामले में आपकी निष्क्रियता देखते हैं तो सवाल खड़ा होता है।

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    रालोद अध्यक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखकर मांगा जवाब

    लखनऊ, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी ने सपा के कद्दावर नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां की विधायकी जाने पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से पत्र लिखकर सवाल पूछा है। उन्होंने कहा कि आजम की विधानसभा की सदस्यता चली गई किंतु खतौली के विधायक विक्रम सैनी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। जयंत ने जन लोक प्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए सतीश महाना से विक्रम सैनी के प्रकरण में भी शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।

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    जयंत चौधरी ने पत्र में लिखा स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में आपके कार्यालय द्वारा पारित फैसला लेते हुए सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद कर दी गई। जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की प्रशंसा की जानी चाहिए, किंतु जब हम पूर्व में घटित ऐसे ही मामले में आपकी निष्क्रियता देखते हैं तो सवाल खड़ा होता है। क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति-व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है?

    जयंत चौधरी ने आगे लिखा इस संदर्भ में आपका ध्यान मैं मुजफ्फरनगर की खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी के प्रकरण में आकृष्ट कराना चाहूंगा, जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के लिए स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने 11 अक्टूबर, 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो वर्ष की सजा सुनाई गई। उस प्रकरण में आपकी ओर से आज तक कोई पहल नहीं की गई।

    उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है? यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा जब तक आप भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसी ही पहल नहीं करते। मुझे उम्मीद है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए विक्रम सैनी के मामले में भी शीघ्र ऐसा निर्णय लेंगे, जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है भिन्न-भिन्न नहीं।

    विधान सभा सचिवालय को नहीं मिली कोर्ट के निर्णय की प्रति

    भाजपा विधायक पर कार्रवाई न करने के बारे में पूछने पर प्रमुख सचिव विधान सभा प्रदीप दुबे ने कहा कि विधान सभा सचिवालय किसी दोषसिद्ध विधायक को अयोग्य नहीं ठहराता। अयोग्यता तो दोषसिद्धि के निर्णय के साथ ही मान ली जाती है। न्यायालय द्वारा किसी विधायक को दोषी ठहराये जाने के निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि मिलने पर ही विधान सभा सचिवालय उनकी सीट को रिक्त घोषित करता है। विक्रम सैनी को सजा दिये जाने के अदालत के निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि हमें नहीं मिली है। निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि मिलने पर उनकी सीट को रिक्त घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी।