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    जांच में बढ़ सकती है घोटाले की रकम, LPG पाइपलाइन प्रोजेक्ट में धांधली के मामले में CBI आरोपित अधिकारियों को जल्द करेगी तलब

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 12:53 AM (IST)

    सीबीआई ने एलपीजी पाइपलाइन परियोजना में मुआवजा घोटाले की जांच के तहत तेल कंपनी के आरोपित अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी करके कई संपत्ति दस्तावेज बरामद किए हैं। मामले की जांच सात और जिलों- लखनऊ, गाजीपुर, जालौन, जौनपुर, देवरिया, गोरखपुर और झांसी तक बढ़ सकती है, जिससे घोटाले की राशि बढ़ने की संभावना है। सीबीआई जल्द ही आरोपित अधिकारियों को तलब कर पूछताछ करेगी।    

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सीबीआइ ने एलपीजी पाइपलाइन परियोजना में मुआवजे के नाम पर की गई धांधली के मामले में तेल कंपनी के आरोपित अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान संपत्ति के कई दस्तावेज भी बरामद किए हैं। मामले की जांच सात अन्य जिलों में बढ़ने के साथ ही घोटाले की धनराशि में भी बढ़ोतरी हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ आरोपित अधिकारियों को जल्द तलब कर उनसे पूछताछ करेगी। उनकी संपत्तियों भी जांच के घेरे में होंगी। लखनऊ, गाजीपुर, जालौन, जौनपुर, देवरिया, गोरखपुर व झांसी में भी जांच शुरू हो सकती है।

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    सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने कांडला-गोरखपुर एलपीजी पाइपलाइन परियोजना में भूमि अधिग्रहण व अन्य कार्यों के लिए मुआवजे की राशि में 6.50 करोड़ रुपये की धांधली के मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की है। सीबीआइ ने मंगलवार को लखनऊ, प्रयागराज व नोएडा स्थित आरोपित अधिकारियों के आवासों पर छापेमारी भी की थी, जिसमें संपत्तियों के कई दस्तावेज बरामद हुए थे।

    नौ जिलों में भी गड़बड़ी पकड़ी

    परियोजना में प्रयागराज व भदोही में 6.12 करोड़ रुपये की धांधली के अलावा अन्य नौ जिलों में भी गड़बड़ी पकड़ी जा चुकी है। इनमें रायबरेली में 24.72 लाख रुपये, प्रतापगढ़ में 51 हजार रुपये, आजमगढ़ में 54 हजार रुपये, कानपुर नगर में 2.37 लाख रुपये, कानपुर देहात में 3.74 लाख रुपये, उन्नाव में 1.74 लाख रुपये व ललितपुर में 5.51 लाख रुपये की धांधली पकड़ी गई थी। मऊ व वाराणसी में भी गड़बड़ी पकड़ी गई थी। सूत्रों का कहना है कि अन्य जिलों में भी भूमि सर्वेक्षण, स्वामित्व की पुष्टि करने, फसल व निर्माण के नुकसान का आंकलन करने व मुआवजे की घोषणा की प्रक्रिया में अनियमितता की आशंका है।

    अधिकारियों की मिलीभगत से गैर-लाभार्थियों के बैंक खातों में मुआवजे की रकम ट्रांसफर कर हड़पी गई। सूत्रों के अनुसार सेवानिवृत्त एडीएम रामकेश यादव को परियोजना में निर्णायक अधिकारी बनाया गया था, जिन्हें गड़बड़ी की शिकायत की गई थी। शुरुआती जांच में आइओसीएल के मुख्य प्रबंधक गौरव सिंह की धांधली में प्रमुख भूमिका सामने आई थी। गौरव सिंह ने अपने भाई आशीष सिंह तथा करीबी अभिषेक पांडे व विशाल द्विवेदी को परियोजना में राजस्व अधिकारी बनवाया था।

    मामले में आइओसीएल (इंडियल आयल कारपोरेशन) के तत्कालीन जीएम फैसल हसन के अलावा गौरव सिंह, प्रबंधक (परियोजनाएं) सुनील कुमार अहिरवार, अभियंता विनित सिंह व सूर्य प्रताप सिंह समेत आठ आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज है। परियोजना के लिए तेल कंपनी आइओसीएल, बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड) व एचपीसीएल (हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड) के संयुक्त उपक्रम आइएचबी लिमिटेड का गठन किया गया था।