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    Lucknow: यूपीपीसीएल के सेवानिवृत्त डीजीएम को दो दिन रखा डिजिटल अरेस्ट, 47 लाख की ठगी

    By Santosh Tiwari Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Sun, 16 Nov 2025 03:55 PM (IST)

    Lucknow Crime News: उनकी मांग कम नहीं हुई तो पीड़ित को ठगी का एहसास हुआ और जानकारी बेटे को दी। इसके बाद मुकदमा दर्ज कराया गया। साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर ब्रजेश यादव ने बताया कि आइपी एड्रेस की मदद से जालसाज की तलाश की जा रही है।

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    डिजिटल अरेस्ट

    जागरण संवाददाता, लखनऊ: जालसाजों ने खुद को सीबीआइ अफसर बताकर आलमबाग के श्रीनगर निवासी उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के सेवानिवृत्त डीजीएम को दो दिन डिजिटल अरेस्ट रखा। मनी लांड्रिंग केस में फंसाने का झांसा देकर उनसे 47 लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित ओम प्रकाश ने साइबर क्राइम थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।

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    पीड़ित के मुताबिक 11 नवंबर को उनके पास एक फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को सीबीआइ अफसर बताया और धमकाते हुए रुपये मांगे। आरोपितों ने फर्जी पुलिस कर्मी, जज और कोर्ट भी वीडियो काल पर दिखाया। उन्होंने मुंबई हाईकोर्ट में केस लगा होने की बात भी कही। धमकी देते हुए जालसाजों ने कई बार में 47 लाख रुपये ठग लिए। इसके बावजूद उनकी मांग कम नहीं हुई तो पीड़ित को ठगी का एहसास हुआ और जानकारी बेटे को दी। इसके बाद मुकदमा दर्ज कराया गया। साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर ब्रजेश यादव ने बताया कि आइपी एड्रेस की मदद से जालसाज की तलाश की जा रही है।

    साइबर जालसाजों ने बुजुर्ग से करीब 50 लाख रुपये सात खातों में ट्रांसफर कराए
    शेयर ट्रेडिंग में निवेश के नाम पर साइबर जालसाजों ने बुजुर्ग से करीब 50 लाख रुपये सात खातों में ट्रांसफर करा लिए। पीड़ित ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी है। इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। विवेकखंड-1 निवासी 60 वर्षीय अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले फेसबुक रील पर विप्रो के संस्थापक की एक रील देखी। जिसपर स्टॉक ट्रेडिंग का ऑफर देते हुए लिंक था। लिंक के जरिए पीड़ित भी व्हाट्सएप ग्रुप पर जुड़ गया। ग्रुप पर ट्रेडिंग संबंधी सूचनाएं दी जाती थी। जालसाजों ने आईपीओ के लिए एक अकाउंट खोलने की बात कहकर एक फार्म ग्रुप पर भेजा। जालसाजों ने कंपनी को सेबी से रजिस्टर्ड बताया। जाल में फंसे पीड़ित ने सात बार में 49,65,426 रुपये का निवेश कर दिया। मुनाफा न मिलने पर पीड़ित ने पड़ताल की तो ठगी का पता चला।