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    Lucknow News: डीलरशिप देने के नाम पर कारोबारी से ठगे एक करोड़ रुपये, फर्जी वेबसाइट के जर‍िए बनाया शि‍कार

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 07:57 AM (IST)

    लखनऊ में साइबर अपराधियों ने कार डीलरशिप के नाम पर एक नया घोटाला किया है। विपुल खंड के रवितोष अस्थाना को फर्जी वेबसाइट के माध्यम से 1.01 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। जालसाजों ने रजिस्ट्रेशन और सिक्योरिटी के नाम पर पैसे लिए। शक होने पर पीड़ित ने जांच की तो धोखाधड़ी का पता चला। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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    डीलरशिप देने के नाम पर कारोबारी से ठगे 1 करोड़।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। साइबर जालसाजों ने अब एक और नया तरीका लोगों को फंसाने के लिए निकाल लिया है। जालसाजों ने गूगल पर कार कंपनी की फर्जी वेबसाइट बनाई। फिर डीलरशिप देने के नाम पर विपुल खंड निवासी रवितोष अस्थाना को फंसाया और लिंक भेजकर फार्म भरवाया। उसके बाद रजिस्ट्रेशन, एनओसी, सिक्योरिटी समेत तमाम मदों के नाम पर 1.01 करोड़ रुपये ठग लिए। मांग बढ़ने पर पीड़ित ने पड़ताल की तो ठगी का पता चला। पीड़ित ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।

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    विपुल खंड-5 निवासी सीएस इंफ्रा कंस्ट्रक्शन के उपाध्यक्ष रवितोष अस्थाना ने बताया कि मई में बलिया के रसड़ा में कार कंपनी की डीलरशिप लेने के लिए गूगल पर सर्च किया। टोयोटा भारत डीलर वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर पीड़ित ने आवेदन फार्म भरा। 15 मई को सीआरएम अभिजीत पाटिल द्वारा भेजे गए मेल में दस्तावेज जमा करने को कहा गया। उसके बाद 6 जून को हेड डीलर डेवलपमेंट सेल विनोद जैन के नाम से मेल पर कांट्रेक्टर लेटर भेजा गया।

    पीड़ित रवितोष ने बताया कि पंजीकरण, एनओसी, लाइसेंस शुल्क व सिक्योरिटी के नाम पर 1,01,16,790 रुपये जमा कराए गए। उसके बाद उन्हें कार कंपनी के सीईओ का साइन किया हुआ लेटर भेजा गया। पीड़ित ने लेटर पर दिए गए डीआइएन चेक किया तो वह सही मिला। इसके बाद 23 जून को उनसे 1.62 करोड़ रुपये जमा करने को कहा गया तो उन्होंने इनकार कर दिया।  शक होने पर पीड़ित ने दोबारा सर्च किया तो कार कंपनी की दूसरी वेबसाइट पर मिली। पीड़ित ने उस साइट पर सभी दस्तावेज भेजे तो कंपनी ने बताया कि सभी पेपर व मेल आईडी फर्जी है।

    इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि यूआरएल की मदद से वेब साइट संचालक को ट्रेस किया जा रहा है। साथ कार कंपनी को मेल किया गया है। ताकि गिरोह के बारे में पता लगाया जा सके।

    क्‍या करें?

    • अगर किसी वेबसाइट को खोलते हैं, तो यूआरएल समेत अन्य बिंदु चेक कर लें।  
    • दो से तीन बार चेक करें, पेमेंट ट्रांसफर करने से पहले संबंधित के बारे में जानकारी कर लें।  
    • साइबर ठगी का शिकार होने पर तत्काल 1930 पर काल करें।
    • स्थानीय साइबर सेल पर जाकर शिकायत दर्ज कराएं।