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    विधान सभा व लोक सभा की तर्ज पर बनेगी एमएलसी चुनाव की मतदाता सूची

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 11:08 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के शिक्षक और स्नातक कोटे की 11 सीटों के चुनाव के लिए मतदाता सूची अब तकनीक की मदद से तैयार की जाएगी। पहली बार ऑनलाइन मतदाता बनने की सुविधा दी गई है। स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए 1 नवंबर 2025 से कम से कम तीन वर्ष पूर्व स्नातक होना जरूरी है। आवेदन की अंतिम तिथि 6 नवंबर है।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विधान सभा व लोक सभा चुनाव की तर्ज पर इस बार एमएलसी चुनाव की मतदाता सूची भी तैयार की जाएगी। विधान परिषद की शिक्षक व स्नातक कोटे की 11 सीटों के चुनाव की मतदाता सूची में इस बार तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। अभी तक यह काम मैनुअल होता था, इस कारण आवेदन करने वाले कई मतदाताओं के नाम या तो छूट जाते थे या फिर उनके नाम गलत हो जाते थे। पहली बार इस चुनाव में आनलाइन मतदाता बनने की भी सुविधा प्रदान की गई है।

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    अगले वर्ष छह दिसंबर को पांच स्नातक निर्वाचन क्षेत्र व छह शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की सीटें रिक्त हो रही हैं। इनमें लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ व इलाहाबाद-झांसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं। शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ, बरेली-मुरादाबाद और गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र शामिल है।

    इन सीटों की मतदाता सूची बनाने का काम 30 सितंबर से शुरू हो चुका है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट (ceouttarpradesh.nic.in) से आनलाइन मतदाता बनने की भी सुविधा दी गई है। अब तक 27 हजार से अधिक स्नातक सीटों व पांच हजार शिक्षक सीटों के मतदाता आनलाइन आवेदन कर चुके हैं।

    आवेदन करने की अंतिम तिथि छह नवंबर है। स्नातक सीटों के मतदाता बनने के लिए मार्कशीट या डिग्री की पीडीएफ अपलोड करनी होती है। इससे पहले जितने भी चुनाव हुए सभी में मतदाता बनने के लिए आवेदन फार्म का निस्तारण मैनुअल होता था। टाइपिंग में भी गलतियां हो जाती थी। इस बार आनलाइन मतदाता सूची बनाने से गड़बड़ियों की संभावना कम है।

    मतदाता बनने की यह है शर्त

    स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के लिए एक नवंबर 2025 से कम से कम तीन वर्ष पूर्व स्नातक पास होना जरूरी है। वहीं, शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता बनने के लिए एक नवंबर 2025 से तत्काल पहले ऐसे शैक्षणिक संस्थान जिसका स्तर माध्यमिक विद्यालय से कम न हो, में विगत छह वर्षों के भीतर शिक्षण कार्य में न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि से कार्यरत होना जरूरी है।