Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    उत्तर प्रदेश में पंचायत सहायक करेंगे गांवों में बैकिंग का काम, ग्रामीणों को मिलेंगी बैंकिंग सुविधाएँ

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में पंचायत सहायक अब गांवों में बैंकिंग सेवाएं प्रदान करेंगे। उन्हें कृषि और स्वर्ण ऋण जैसे कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। एचडीएफसी बैंक के सहयोग से 210 पंचायत सहायकों को प्रशिक्षण दिया गया है। यह पहल ग्रामीणों को उनके गांव में ही बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराएगी, जिससे उन्हें ऋण और अन्य बैंकिंग कार्यों के लिए आसानी होगी।

    Hero Image

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। ग्राम पंचायतों में तैनात पंचायत सहायक जल्द ही गांव वालों की बैकिंग जरूंरतों को पूरा करने का बड़ा माध्यम बनेंगे। इनके माध्यम से गांव के लोग कृषि लोन, गोल्ड लोन के साथ बैकिंग से जुड़े अन्य काम करा सकेंगे। पंचायती राज विभाग पंचायत सहायकों को बैंकिंग करेस्पांडेंट (बैंक प्रतिनिधि) का काम करने के लिए प्रशिक्षण दिला रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एचडीएफसी बैंक के सहयोग से 210 पंचायत सहायकों को इसके लिए प्रशिक्षित कर दिया गया है। चरणबद्ध तरीके से राज्य के 57,694 ग्राम पंचायतों में तैनात सभी पंचायत सहायकों को बैकिंग करेस्पांडेंट का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।

    निदेशक पंचायती राज अमित कुमार सिंह के मुताबिक बैकिंग करेस्पांडेंट के रूप में काम करने वाले पंचायत सहायकों को बैकों की तरफ से कमीशन मिलेगा। पंचायत सहायकों द्वारा बैंकिंग का काम करने से गांव वालों को गांव के अंदर ही बैंकिंग सहुलियतें मिल जाएंगी।

    ग्रामीण लोन लेने के लिए सीधे पंचायत सहायक से संपर्क कर सकेंगे। पंचायत सहायक संंबंधित बैंक से लोन स्वीकृत कराने के साथ ही बैंकिंग से संबंधित अन्य काम करेंगे। शुरूआत में इन्हें लोन दिलाने और सावधि जमा जैसे काम दिए जाएंगे।

    बाद में जमा-निकासी करने का काम भी इनसे लिया जाएगा। विभाग ने पंचायत सहायकों से बैंकिंग करेस्पांडेट का काम लेने के लिए एचडीएफसी के साथ ही पंजाब नेशनल बैंक और एक्सिस बैंक से बातचीत की है।

    गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित समूहों से जुड़ी दीदियां भी ग्रामाीण क्षेत्रों में बैकिंग करेस्पांडेंट सखी (बीसी सखी) के रूप में काम कर रही हैं। पंचायत सहायकों द्वारा भी यह काम शुरू कर दिए जाने से गांव वालों को गांव में ही बैकिंग से संबंधित कार्यों के लिए दो विकल्प मिल जाएंगे।