सतर्कता से Cyber Crime का शिकार होने से बचे कई बुजुर्ग, लोगों को मैसेज से किया जागरूक
Prevention From Cyber Crime: बात अगर ठगी की जाए तो सबसे ज्यादा गंभीर मामले डिजिटल अरेस्ट से जुड़े हैं, जिनमें अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआइ या एनआइए अधिकारी बताकर वीडियो काल पर लोगों को घंटों डराते हैं।

सतर्कता से वह बच गए
जागरण संवाददाता, लखनऊ: साइबर अपराधी आए दिन ‘डिजिटल अरेस्ट’, केवाइसी अपडेट, इनकम टैक्स नोटिस, बिजली बिल भुगतान, लोन एप, फर्जी कूरियर पार्सल और आनलाइन पार्ट टाइम जाब जैसे तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। बात अगर छह महीने की जाए तो करोड़ो रुपये की ठगी हो चुकी है।
गोमतीनगर निवासी रूप कुमार शर्मा को शुक्रवार को जालसाजों ने लिंक भेजा, जिसे खोलने पर वह ठगी का शिकार हो सकते थे, लेकिन सतर्कता से वह बच गए। इसके बाद उन्होंने सभी को वाट्सएप कर जागरूक किया और मैसेज न खोलने की अपील की। बात अगर ठगी की जाए तो सबसे ज्यादा गंभीर मामले डिजिटल अरेस्ट से जुड़े हैं, जिनमें अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआइ या एनआइए अधिकारी बताकर वीडियो काल पर लोगों को घंटों डराते हैं। आरोपित नकली कार्यालय, वर्दी और गिरफ्तारी वारंट दिखाकर दबाव बनाते हैं और बैंक विवरण मांगते हैं।
राजाजीपुरम निवासी पूर्व रेलवे अफसर और शिक्षक को आतंकी का डर दिखाकर जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट से 30.57 लाख रुपये ठगे। इस मामले में साइबर थाने की पुलिस ने जालसाजों के खाते में 6.5 लाख रुपये फ्रीज कर दिए हैं। जालसाजों ने पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के खातों में रुपये ट्रांसफर किए थे। शेष रकम पाने के लिए वह थाने का चक्कर काट रहे हैं।
अलीगंज की एक महिला बैंक कर्मचारी के साथ फर्जी केवाइसी अपडेट के नाम पर 4.25 लाख रुपये उड़ा लिए गए। पीड़िता ने कहा बैंक और पुलिस में दर्जनों चक्कर काटे, लेकिन छह महीने बाद भी पैसा वापस नहीं मिला। परिवार पर कर्ज का बोझ पड़ गया है। इसी तरह इंजीनियरिंग छात्र को आनलाइन पार्ट टाइम जाब आफर देकर 1.8 लाख रुपये की ठगी की गई। उधर, इंदिरानगर जी ब्लाक निवासी आनंद कुमार राय को उनका परिचित बनकर फोन किया, फिर बीमारी के नाम पर तीन दिन के अंदर कई बार में ढाई लाख रुपये ऐंठ लिए। ठगी की जानकारी होने पर पुलिस से शिकायत की। यह तो महज कुछ मामले हैं, जिनमें पीड़ित परेशान है। ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जिनमें ठगी का शिकार होने के बाद उनकी रकम वापस नहीं मिली।
डर या लालच में न लें कोई निर्णय
पुलिस उपायुक्त अपराध, कमलेश दीक्षित ने बताया कि लोगों से अपील की है कि डर या लालच में लिए गए निर्णय ही अपराधियों का हथियार बनते हैं। ऐसे में किसी की बात में बिल्कुल न फंसे। अगर ठगी का शिकार होते हैं, तुरंत शिकायत करें। जिससे रकम बचाई जा सके। ठगी के मामले में जितनी देर करेंगे, रकम वापस पाने में उतना वक्त लगेगा।
कैसे बचें साइबर ठगी से
सरकारी एजेंसियां कभी वाट्सएप या वीडियो काल पर गिरफ्तारी या पूछताछ नहीं करतीं। कोई भी कालर आधार, ओटीपी, बैंक डिटेल, या स्क्रीन शेयरिंग मांगे तो तुरंत काल काटें। किसी भी अनजान लिंक या ऐप को डाउनलोड न करें। बिजली बिल, टैक्स, बैंक अपडेट जैसे संदेशों पर आधिकारिक वेबसाइट से ही सत्यापन करें। आनलाइन नौकरी या निवेश के नाम पर पैसे भेजने से पहले जांच जरूर करें। ठगी होते ही 1930 या www.cybercrime.gov.in पर तुरंत शिकायत करें, देरी से पैसा वापस मिलने की संभावना कम हो जाती है।

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