स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत 10 साल तक ब्याजमुक्त किस्तों में लेने का प्रस्ताव, वित्तीय अनियमितता का आरोप
पावर कारपोरेशन ने नए कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत 10 साल में किस्तों में वसूलने का प्रस्ताव दिया है, जिसपर उपभोक्ता परिषद ने विरोध जताया है। परिषद का कहना है कि आरडीएसएस योजना के तहत मीटर मुफ्त लगने चाहिए। परिषद ने आयोग से वसूली रोकने और कारपोरेशन पर कार्रवाई की मांग की है, क्योंकि इसे वित्तीय अनियमितता बताया गया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पावर कारपोरेशन ने नए कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत 10 वर्षों तक ब्याजमुक्त किस्तों में वसूलने की व्यवस्था दिए जाने के लिए नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया है। इससे नए कनेक्शन पर लगने वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर की किस्तें बहुत कम हो जाएंगी।
दूसरी तरफ उपभोक्ता परिषद ने आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर कहा है कि आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के परिसर में निशुल्क लगाने के लिए है। मीटर को नए कनेक्शन पर लगाकर 6016 रुपये की वसूली अवैधानिक है।
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर प्रदेश में नए कनेक्शन पर उपभोक्ताओं से स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत वसूलने पर रोक लगाने के साथ ही पावर कारपोरेशन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
आयोग में प्रस्तुत अपने प्रस्ताव में कहा है स्मार्ट प्रीपेड मीटर को नए कनेक्शन पर लगाते हुए इसकी कीमत वसूलना वित्तीय अनियमितता है।
विद्युत अधिनियम-2003 उपभोक्ताओं को पोस्टपेड अथवा प्रीपेड मीटर चुनने का विकल्प देता है। ऐसे में पावर कारपोरेशन सभी उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना क्यों बना रहा है। कारपोरेशन उपभोक्ताओं के घरों में बिना अनुमति के स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य रूप से लगा रहा है, जो असंवैधानिक है।
केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए 18,885 करोड़ रुपये की परियोजना मंजूर की गई थी। बिजली कंपनियों ने इसका टेंडर 27,342 करोड़ रुपये में किया।
आरोप लगाया है कि लगभग 8500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार उपभोक्ताओं पर डालने का प्रयास किया जा रहा है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर की लाइफ 10 वर्ष मानी जा रही है। जिसके आधार पर कारपोरेशन ने प्रस्ताव दाखिल किया है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर खर्च अतिरिक्त 8500 करोड़ रुपये की भरपाई की कोशिश की जा रही है।

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