UP: भ्रष्टाचार पर शिकंजा, कागजों पर गरीब दिखाकर दिया मुआवजा; निकला लखपति
Fraud in UP: मुआवजा घोटाले को लेकर सरोसा-भरोसा गांव की भूमि के गाटा संख्या-तीन की जांच के बाद भी यह पकड़ में नहीं आ रहा था कि भाई लाल व बनवारी लाल मुआवजे के लिए अपात्र थे या नहीं। नतीजतन परिषद ने आरोपितों के बैंक खातों की जांच कराई।

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुहिम
मनोज त्रिपाठी, जागरण, लखनऊः आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे मुआवजा घोटाले में कई उन लोगों को भी मुआवजा बांट दिया गया जो न तो पात्र थे और न ही गरीब। संबंधित राजस्व अधिकारियों ने इन्हें कागजों पर गरीब व अनुसूचित जाति का दिखाकर राजस्व रिकार्ड में हेराफेरी की थी। हकीकत में यह गरीब नहीं बल्कि लखपति थे।
इनके बैंक खातों से लाखों रुपये की राशि स्थानांतरित की गई थी। बैंक खातों की जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद राजस्व विभाग ने लखनऊ के जिलाधिकारी विशाख जी को मामले की की जांच के आदेश दिए हैं। सोमवार से मामले की जांच को शुरू की जाएगी।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को लेकर शासन ने 13 मई 2013 को लखनऊ, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, उन्नाव व हरदोई के जिलाधिकारियों को भूमि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही एक्सप्रेसवे का संरेखण (एलाइनमेंट) भी जारी कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के 302 किलोमीटर के एक्सप्रेसवे का संरेखण सामने आने के बाद मुआवजे का खेल शुरू हुआ था।
अधिकारियों ने भूमाफियाओं के साथ मिलीभगत करके कई दलितों को गरीब दिखाकर वर्ष 2007 से पहले से ग्राम समाज की भूमि पर काबिज दिखाया था। लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार और एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर इन लोगों को उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम-1950 की धारा 122 बी (4 एफ) के तहत मुआवजा दिया गया था।राजस्व परिषद के पास 12 वर्ष बाद इस मामले की पुनरीक्षण वाद आने के बाद एक बार परिषद भी घोटाले की तह तक नहीं पहुंच पाया था।
मुआवजा घोटाले को लेकर सरोसा-भरोसा गांव की भूमि के गाटा संख्या-तीन की जांच के बाद भी यह पकड़ में नहीं आ रहा था कि भाई लाल व बनवारी लाल मुआवजे के लिए अपात्र थे या नहीं। नतीजतन परिषद ने आरोपितों के बैंक खातों की जांच कराई।
यहीं से पूरा घोटाला पकड़ में आ गया। जिन तिथियों संरेखण और एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जा रही थी उससे पहले लाभार्थियों के बैंक खातों से कई बार बड़ी राशि दूसरे खातों में स्थानांतरित की गई थी। इसके बाद संबंधित बैंक खातों ने घोटाले की परतें खोल दीं। इस घोटाले में अभी कई और चेहरों सामने आएंगे।

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