नया नियम: उत्तर प्रदेश में दैनिक वेतनभोगी और संविदा कर्मियों को झटका, अब नहीं कर सकेंगे पेंशन का दावा
उत्तर प्रदेश सरकार ने पेंशन हकदारी तथा विधिमान्यकरण अध्यादेश-2025 लागू किया है जिसके अनुसार अब दैनिक वेतनभोगी और संविदा पर कार्यरत कर्मचारी पेंशन के लिए दावा नहीं कर सकेंगे। यह अध्यादेश 1 अप्रैल 1961 से प्रभावी है। नियुक्ति नियमावली के अनुसार न होने पर पेंशन का दावा मान्य नहीं होगा। सरकार का उद्देश्य पेंशन संबंधी मुकदमों में अपना पक्ष मजबूत करना है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। दैनिक वेतनभोगी और संविदा पर कार्यरत रहे कार्मिक अब पेंशन के लिए दावा नहीं कर सकेंगे। इस संबंध में राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश पेंशन हकदारी तथा विधिमान्यकरण अध्यादेश-2025 लागू किया है। एक अप्रैल 1961 से प्रभावी किए गए अध्यादेश से अब ऐसे कार्मिक पेंशन के लिए दावा नहीं कर सकेंगे जो किसी विभाग में भर्ती के लिए तय नियमावली के अनुसार नियुक्त नहीं हुए थे।
अपर मुख्य सचिव वित्त दीपक कुमार द्वारा जारी शासनादेश में अधिकरियों से कहा है कि पेंशन स्वीकृति से संबंधित प्रकरणों में अब अध्यादेश में दी गई व्यवस्था के अनुसार ही कार्यवाही सुनिश्चित करें।
कहा गया है कि सरकार के संज्ञान में आया है कि विभागों या विभागों के संगठनों में ऐसे व्यक्ति कार्यरत रहे हैं जिनकी नियुक्ति किसी नियमावली/विनियमावली में दी गई भर्ती प्रक्रिया के अनुसार मौलिक रूप से नहीं हुई है और न ही कभी किसी नियमावली के तहत उनका विनियमितीकरण किया गया।
ऐसे व्यक्तियों द्वारा न्यायालयों में वाद दायर किए जा रहे हैं कि सरकारी कार्मिकों की तरह उन्हें भी पेंशन दिया जाए। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक दैनिक वेतन और संविदा पर कार्यरत रहे सात हजार से अधिक कार्मिकों ने पेंशन के लिए न्यायालयों में वाद दायर कर रखा है।
पेंशन से संबंधित वादों में विभाग अब इस अध्यादेश के हवाले से न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रख सकेगा।
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