CM योगी आदित्यनाथ ने RSS की फंडिंग को लेकर दिया बड़ा बयान, बोले-ओपेक के देश या इंटरनेशनल चर्च नहीं देता पैसा
Divya Geeta Prerna Utsav:

दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरएसएस की फंडिंग को लेकर कयास लगाने वालों को रविवार को करारा जवाब दिया। लखनऊ में आयोजित दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे और उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत के सामने ही संघ की फंडिंग को लेकर शानदार जवाब दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में कहा कि लोग पूछते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को फंड कहां से आता है। मैं तो उन्हें यह कहना चाहता हूं कि संघ को कोई विदेशी, देश या बाहरी संगठन फंड नहीं करता। आरएसएस तो यह तो समाज के सहयोग, लोगों की निःस्वार्थ भावना और राष्ट्रप्रेम से चलता है। सौ वर्षों में कोई सौदेबाजी नहीं की। कुछ लोगों ने सेवा को सौदेबाजी का जरिया बनाया है। वो लोभ, लालच, दबाव से भारत की डेमोग्राफी को बदलने के लिए... भारत की आत्मा पर प्रहार करने का प्रयास कर रहे हैं। आरएसएस तो देश में सौ वर्षों से ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ सेवा कार्य कर रहा है और कभी भी सेवा के नाम पर सौदा नहीं किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सेवा के नाम पर सौदा करते हैं और वही भारत की आत्मा पर प्रहार करने की कोशिश कर रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे पास दुनिया के कई लोग, राजदूत, हाई कमिश्नर आते हैं और पूछते हैं कि क्या आरएसएस से आपका जुड़ाव है। हम कहते हैं कि हां, हमने आरएसएस में एक स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया है। वो पूछते हैं कि ये इतना बड़ा संगठन कैसे हो गया, इसकी फंडिंग का पैटर्न क्या है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि हम कहते हैं कि आरएसएस की फंडिंग का कोई पैटर्न नहीं है। कोई ओपेक के देश यहां पैसे नहीं देते, यहां कोई इंटरनेशनल चर्च पैसा नहीं देता। यहां समाज के सहयोग से संगठन खड़ा हो रहा है, और समाज के भले के लिए समर्पित भाव से कार्य करता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भगवदगीता धर्म की वास्तविक प्रेरणा है। हमने धर्म को उपासना विधि मात्र नहीं माना है। उपासना विधि उसका छोटा सा भाग है। हर व्यक्ति अपने पंथ, संप्रदाय, उपासना विधि के अनुरूप आस्था को तय कर लेता है, लेकिन मुख्य रूप से धर्म हमारे यहां जीवन जीने की कला है। हमने इसे ही ‘वे आफ लाइफ’ के रूप में कहा है।
उन्होंने श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः’ को सुनाया। कहा कि दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं होता होगा, जहां युद्ध का मैदान धर्म क्षेत्र के रूप में जाना जाता हो, लेकिन हमने हर कर्तव्य को पवित्र भाव के साथ माना है। अच्छा करेंगे तो पुण्य और गलत करेंगे तो पाप के भागीदार बनेंगे। यह मानकर हर सनातन धर्मावलंबी अच्छा करने का प्रयास करता है। सब कुछ होते हुए भी हमने कभी श्रेष्ठता का डंका नहीं पीटा। भारत की भूमि ने जियो और जीने दो की प्रेरणा दी।
उन्होंने मुख्य अतिथि डा. मोहन भागवत को निष्काम कर्म का प्रेरणास्रोत बताया और कहा कि दुनिया से आए अंबेसडर, हाई कमिश्नर हमसे पूछते हैं कि आप लोगों का आरएसएस से जुड़ाव है, तब हम कहते हैं कि हां! हमने स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया है। वे इसकी फंडिंग पैटर्न पूछते हैं, तब हम बताते हैं कि यहां ओपेक के देश या इंटरनेशनल चर्च पैसा नहीं देता। यहां संगठन समाज के सहयोग से खड़ा हो रहा है और समाज के लिए हर क्षेत्र में समर्पित भाव से कार्य करता है। किसी भी पीड़ित की जाति, मत-मजहब, क्षेत्र, भाषा की परवाह किए बिना हर स्वयंसेवक उसकी सेवा को ही अपना कर्तव्य मानता है। राष्ट्र प्रथम के भाव के साथ हर पीड़ित संग खड़ा होना आरएसएस की प्रेरणा है। आरएसएस ने पिछले 100 वर्षों में सेवा के साथ कोई सौदेबाजी नहीं की, लेकिन कुछ लोगों ने दुनिया व भारत में सेवा को ही सौदे के माध्यम बनाया है। वे लोभ, लालच और दबाव से भारत की डेमोग्राफी को बदलने के लिए छल व छद्म का सहारा लेकर अपना ताना-बाना बदलकर भारत की आत्मा पर प्रहार करने का प्रयास कर रहे हैं। इन स्थितियों में भगवान की वाणी श्रीमद्भगवदगीता नई प्रेरणा बन सकती है।
उन्होंने कहा कि कहा कि कुछ लोगों ने भारत और विश्व में सेवा को सौदेबाजी का माध्यम बनाया है। वो लोभ, लालच, दबाव से भारत की डेमोग्राफी को बदलने के लिए, हर प्रकार के छल और छद्म का सहारा लेकर के, अपना ताना-बाना बदलकर कर भारत की आत्मा पर प्रहार करने का प्रयास कर रहे हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने कहा कि गीता के 700 श्लोक सनातन धर्मावलंबियों के लिए जीवन का मंत्र हैं। धर्म मात्र उपासना विधि नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। उन्होंने कहा कि गीता हमें निष्काम कर्म की भावना सिखाती है। भारत ने दुनिया को जियो और जीने दो तथा वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश दिया है। जहां धर्म और कर्तव्य होंगे, वहीं विजय सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि अपने धर्म का पालन करते हुए मृत्यु को स्वीकार करना भी श्रेष्ठ माना गया है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमने पूरे भारत को धर्मक्षेत्र माना इसलिए युद्ध का मैदान भी हमारे लिए धर्मक्षेत्र ही है। धर्मक्षेत्र में जो युद्ध लड़ा जा रहा है, वह कर्तव्यों के लिए लड़ा जा रहा है. यही भाव सामने आता है तो अंत में परिणाम यह होता है कि जहां धर्म और कर्तव्य होगा, वहीं विजय होगी, इससे इतर कुछ नहीं हो सकता. किसी को गुरूर नहीं पालना चाहिए कि अधर्म के मार्ग पर चलकर विजय प्राप्त हो जाएगी।
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इस अवसर पर स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि आज का कोलाहल भरा समय गीता के उपदेश की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी तभी सफल होगी जब नागरिक भी स्मार्ट और संवेदनशील हों, और इसके लिए गीता का ज्ञान आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गीता का संदेश घर-घर तक पहुंचना चाहिए और बच्चों की शिक्षा में भी गीता के संस्कार शामिल होने चाहिए।

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