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    यूपी में ग्रामीण शिक्षकों को मिला शहरी संवर्ग में समायोजन का मौका, 46 जिलों के 1812 स्कूल हुए नगरीय सीमा में शामिल

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 12:01 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में ग्रामीण शिक्षकों को शहरी संवर्ग में समायोजित होने का मौका मिला है। 46 जिलों के 1812 स्कूलों को नगरीय सीमा में शामिल किया गया है। इससे शिक्षकों को शहरी क्षेत्र में स्थानांतरण का अवसर मिलेगा और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। यह ग्रामीण शिक्षकों के लिए एक सुनहरा अवसर है।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बेसिक शिक्षा विभाग ने ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षकों को शहरी संवर्ग में शामिल होने का अवसर दिया है। इसमें उन विद्यालयों के शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं, जो अब विस्तारित नगर सीमा में आ चुके हैं। प्रदेश के 46 जिलों में कुल 1812 परिषदीय विद्यालयों को नगरीय सीमा में शामिल किया गया है।

    इन स्कूलों में फिलहाल 692 प्रधानाध्यापक, 5324 सहायक अध्यापक, 1893 शिक्षामित्र और 568 अनुदेशक कार्यरत हैं। वर्षों से इन नगरीय स्कूलों में नई नियुक्तियां न होने और कई शिक्षकों के सेवानिवृत्त हो जाने से छात्र-शिक्षक अनुपात बिगड़ गया है। उदाहरण के तौर पर वाराणसी जिले में नगर सीमा में शामिल 73 विद्यालयों में 119 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि जरूरत 216 शिक्षकों की है।

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    अन्य जिलों में भी नगरीय क्षेत्र में शामिल विद्यालयों की ऐसी ही स्थिति है। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी शासनादेश के अनुसार, विस्तारित नगरीय सीमा में आने वाले ग्रामीण स्कूलों के अध्यापकों से उनकी सहमति (विकल्प) लेकर उन्हें शहरी संवर्ग में शामिल किया जाएगा। संबंधित अध्यापकों से लिखित विकल्प लेकर उनके समायोजन की प्रक्रिया तय समय में पूरी की जाएगी।

    हालांकि, जिन शिक्षकों का समायोजन शहरी संवर्ग में किया जाएगा, उनकी वरिष्ठता शहरी संवर्ग में सबसे नीचे मानी जाएगी। यानी वे शहरी शिक्षकों की सूची में जूनियर स्तर से शुरुआत करेंगे। यह व्यवस्था इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों और पूर्व में जारी शासनादेशों में संशोधन के क्रम में लागू की जा रही है।

    शासन ने बेसिक शिक्षा विभाग से कहा है कि इस निर्णय के अनुरूप संवर्ग निर्धारण, वेतन संरचना और सेवा शर्तों से जुड़ी कार्यवाही शीघ्र पूरी की जाए ताकि विस्तारित नगर सीमा में आने वाले शिक्षकों के बीच किसी प्रकार का भ्रम न रहे। इस निर्णय से न केवल शिक्षकों के पदस्थापन और वेतनमान से जुड़ी अनिश्चितता खत्म होगी, बल्कि नगरीय क्षेत्रों में स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी दूर होने की उम्मीद है।

    नगरीय क्षेत्र में नहीं हुईं भर्तियां

    वर्ष 1981 की बेसिक शिक्षा शिक्षक सेवा नियमावली में नगरीय और ग्रामीण संवर्ग अलग-अलग हैं। इसके बाद जहां ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्तियां लगातार होती रहीं, वहीं नगरीय क्षेत्र की अनदेखी होती रही। बाद में यह निर्णय लिया गया कि ग्रामीण क्षेत्र में पांच वर्ष की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को नगरीय क्षेत्र में तैनाती दी जा सकेगी। वर्ष 2011 में कुछ ग्रामीण शिक्षकों का समायोजन नगरीय क्षेत्र में किया गया। इसके बाद नगरीय क्षेत्र में शिक्षकों के समायोजन को लेकर कुछ नहीं हुआ। कई विद्यालय शिक्षामित्रों के सहारे संचालित हैं। परिणामस्वरूप नगरीय स्कूलों में छात्र संख्या घटती गई और कई विद्यालय बंद होने की स्थिति में पहुंच गए।

    परिषदीय स्कूल और शिक्षकों की स्थिति:

    • नगरीय क्षेत्र में स्कूलों की संख्या: 4,010
    • ग्रामीण क्षेत्र में स्कूलों की संख्या: 1,32,000
    • प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक : 3,38,590
    • उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक : 1,20,860
    • प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त पद : 45,256
    • उच्च प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त पद : 8,041

    इन जिलों के विद्यालयों होंगे शामिल

    लखनऊ, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, बहराइच, अयोध्या, श्रावस्ती, गोंडा, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, वाराणसी, आजमगढ़, आगरा, शामली, हापुड़, जौनपुर, जालौन, प्रतापगढ़, ललितपुर, अमरोहा, शाहजहांपुर, हमीरपुर, फतेहपुर, मऊ, मुजफ्फरनगर, रामपुर, कन्नौज, मैनपुरी, महोबा, प्रयागराज, हरदोई, हाथरस, बांदा, भदोही, गाजियाबाद, उन्नाव,बदायूं, चित्रकूट, अलीगढ़, एटा, बुलंदशहर, बस्ती, मथुरा व बरेली के विद्यालय शामिल हैं।