यूपी में सिखाई जाएगी कचरे से खाद बनाना, स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम के दौरान जन भागीदारी बढ़ाने का होगा प्रयास
लखनऊ में घरों से निकलने वाले गीले और सूखे कचरे को अलग कर खाद बनाने का अभियान तेज किया जाएगा। वर्तमान में कचरे को स्रोत से अलग करने की प्रक्रिया धीमी है जिसे स्वच्छता सेवा अभियान में जनभागीदारी से बढ़ाया जाएगा। स्वच्छ वातावरण प्रोत्साहन समिति (एसवीपीएस) घरों में जाकर खाद बनाने की विधि सिखाएगी। घर पर खाद बनाना कचरा प्रबंधन में महत्वपूर्ण कदम है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। घरों से निकलने वाले गीले व सूखे कचरे को अलग करके जैविक खाद बनाने का अभियान तेज किया जाएगा। इसमें नागरिकों को घर पर ही सूखा व गीला कूड़ा अलग-अलग करने की जानकारी दी जाएगी। वर्तमान में कचरे को उसके स्रोत से ही अलग-अलग करने की प्रक्रिया की रफ्तार काफी धीमी है। ऐसे में स्वच्छता सेवा अभियान के दौरान इसमें जन भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।
नगर विकास विभाग का दावा है कि प्रदेश के शहरी क्षेत्र के 61 प्रतिशत घरों से कूड़ा लिया जाता है। हालांकि इसमें से भी गीला व सूख कूड़ा अलग-अलग लेने के मामले में विभाग पिछड़ा हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2023 में गीला व सूखा कूड़ा उसके स्रोत पर ही अलग-अलग करके लेने का प्रतिशित मात्र 18.23 ही था। काफी प्रयासों के बाद वर्ष 2025 में कूड़े का स्रोत से ही अलग-अलग करने की प्रक्रिया बढ़कर सिर्फ 26 प्रतिशत ही पहुंची है। इसलिए इसे बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
नगर विकास विभाग के अनुसार घर से निकलने वाले कूड़े का 60 फीसदी गीला कचरा होता है। जिसे दोबारा उपयोग किया जा सकता है। इसे सफाई मित्र को बिना अलग-अलग किए देने से इसका इस्तेमाल नहीं हो पाता है। इसे प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए वार्डों में बनी स्वच्छ वातावरण प्रोत्साहन समिति (एसवीपीएस) के सदस्य गीले कचरे से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया सिखाएंगे।
इसमें घर-घर जाएंगे और मोहल्लों के पार्कों में सामूहिक रूप से भी इसकी जानकारी दी जाएगी। अध्यक्ष सहित सात सदस्यों वाली समिति में शामिल वार्ड के वरिष्ठ नागरिक, युवा, महिलाएं, सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता, सफाई मित्र इसमें सक्रिया भूमिका निभाएंगे।
घर से निकले गीले कूड़े जिसमें सब्जियों-फलों के छिलके, चाय की पत्ती, बिना तेल व नमक वाला बासी खाना, नारियल जटा, सूखे पत्ते, पेपर नैपकिन, गत्ता आदि से लगभग 30 से 45 दिन में खाद तैयार हो जाती है। इसे खाद का उपयोग बगीचे, गमलों में किया जा सकता है।
घर पर खाद बनाना कचरा प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मिट्टी के छोटे से गड्ढे, बाल्टी, टंकी या प्लास्टिक ड्रम में खाद बनाई जा सकती है। स्वच्छता ही सेवा अभियान के दौरान इसे और तेज करते हुए घर-घर तक इसका संदेश पहुंचाया जाएगा। स्वच्छ भारत मिशन के इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर भी इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। -ऋतु सुहास, अपर निदेशक, नगर विकास
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