Indo-Nepal News: चमकेंगी भारत-नेपाल सीमा पर बसी 59 ग्राम पंचायतें, वाइब्रेंट विलेज में आएंगे पर्यटक
महराजगंज और सिद्धार्थनगर के 59 गांवों को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत विकसित किया जाएगा। इन गांवों में सड़क दूरसंचार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होमस्टे बनाए जा रहे हैं और युवाओं को गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
विश्वदीपक त्रिपाठी, महराजगंज। नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में विकास की रफ्तार को गति देने के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत महराजगंज व सिद्धार्थनगर जिले के 59 गांवों का कायाकल्प किया जाएगा। 25 व 26 अगस्त को दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में सीमावर्ती जिलों के डीएम व सीडीओ की बैठक में इन गांवों में प्रथम चरण में सड़क व दूर संचार का ढांचा सुदृढ़ करने का निर्देश दिया गया है। जिसके बाद जिले में इस संबंध में प्रस्ताव बना कर शासन को भेजा जाएगा।
पहले चरण में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में महराजगंज के 34 व सिद्धार्थनगर के 25 गांवोंं का चयन किया गया है। इस योजना से दोनों जिलों के लगभग एक लाख लोग लाभान्वित होंगे। इस कार्यक्रम के तहत गांवों में सामाजिक, शैक्षिक, बुनियादी ढांचे और पर्यटन सर्किट के विकास के माध्यम से आजीविका के विविध टिकाऊ अवसर सृजित किए जाएंगे , ताकि लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाया जा सके।
महराजगंज के चयनित पंचायतों में निचलौल तहसील की 20, नौतनवा तहसील की 13 व फरेंदा की एक ग्राम पंचायतें शामिल हैं। इसी तरह सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ तहसील के 13 व नौगढ़ तहसील के 12 गांवों का चयन हुआ है। महराजगंज में पहले वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत तीन ग्राम पंचायतों का चयन हुआ था।
बैठक के बाद सीमावर्ती सभी गांवों को इस योजना में शामिल किया गया है। दो दिवसीय बैठक में महराजगंज के सीडीओ अनुराज जैन व सिद्धार्थनगर के सीडीओ बलराम सिंह ने अपने जिले का प्रतिनिधित्व किया था।
युवाओं को मिला रोजगार , पर्यटकों के स्वागत को स्टे होम तैयार
गांव में स्टे होम , नाव से पर्यटकों को सैर कराते युवा व ग्रामीण महिलाओं के हुनर को मिला अंतरराष्ट्रीय बाजार। हम बात कर रहे हैं अप्रैल 2025 में वाइब्रेंट विलेज योजना से चयनित महराजगंज जिले के ईटहिया, गिरहिया व चंडीथान गांव की। कभी आर्थिक तंगी से जूझते ग्रामीणों को इस योजना ने आशा की नई किरण जगाई है।
घर के एक हिस्से को ग्रामीणों ने सजा कर स्टे होम में तब्दील कर दिया है। तीनों गांवों में बने 15 स्टे होम पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार हैं। यहां पर्यटकों के रुकने के लिए प्रति दिन 899 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है। सावन माह में ईटहिया शिवमंदिर आए बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन स्टे होम में ठहरे।
लम्हुआ तालाब में नाव में बैठ आनंद लेते पर्यटक। जागरण
स्टे होम का पंजीकरण निधि पोर्टल पर भी कराया गया है। तीनों ग्राम पंचायतों के 30 युवाओं को पर्यटन विभाग ने गाइड के तौर पर प्रशिक्षित किया है। यह युवा पर्यटकों को यहां के दर्शनीय स्थलों के बारे में बता बेहतर ढंग से जानकारी दे रहे हैं।
ईटहिया से सटे लम्हुआ तालाब में स्टीमर पर बैठ कर आनंद लेते पर्यटक भी बदलते सीमावर्ती गांवों की कहानी कह रहे हैं। प्रशिक्षण लेने के बाद अपने उत्पादों को तैयार कर रहीं लक्ष्मी देवी, रीमा देवी व आरती ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत निश्चित रूप से हमारे गांव में बदलाव आया है। विलेज कोआर्डिनेटर संतोष, लम्हुआ तालाब में नाव चलाने वाले रामस्नेही साहनी व ध्रुव साहनी ने कहा कि पहले हम बेरोजगार थे। योजना का लाभ मिला तो बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं।
महिलाओं के निर्मित उत्पाद को मिला बाजार:
वाइब्रेंट विलेज योजना में तीनों गांवों के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को भी शामिल किया गया है। महिलाएं मूंजा से बनी डलिया, दौरी और अन्य उत्पाद तैयार कर रहीं हैं। गिरहिया बंजारी पट्टी की महिलाएं कपड़ों पर आकर्षक कढ़ाई और सिलाई के डिजाइन बना रहीं हैं।
ये उत्पाद बीते दिनों ईटहिया मंदिर में लगे एक माह के सावन मेले में खूब बिके। समूह की महिलाओं को मंदिर में चढ़ने वाले फूल-पत्तियों के अवशेष से अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है। सहायक पर्यटन अधिकारी प्रभाकर मणि त्रिपाठी ने बताया कि अगरबत्ती बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले फूलों को एकत्र कर सुखाया जाता है। फिर मशीन से उन्हें पीसकर पाउडर बनाते हैं। जिससे महिलाएं अगरबत्ती बना आय अर्जित कर रहीं हैं।
वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत महराजगंज के चयनित गांव:
जिले में पहले बाइब्रेंट विलेज योजना के तहत तीन ग्राम पंचायतों ईटहिया, चंडीथान व गिरहिया का चयन हुआ था। अब इसे बढ़ाकर केंद्र सरकार में 34 कर दिया है । जिसमें राजमंदिर कला, बटईडीहा, एकसड़वा, नईकोट, लक्ष्मीपुर कैथवलिया , जंगल गुलरिहा, अहिरौली, श्यामकाट, फरेंदी, कैथवलिया उर्फ बरगदही, खनुआ, अराजी सरकार उर्फ बैरियहवा, झींगटी ,चटिया, बहुआर खुर्द, अमड़ा उर्फ झुलनीपुर, धमऊर, पड़ौली, लोहरौली, डुमरी, निपनिया, बोदना, पिपरिया, कपिया, बैठवलिया, ढेसो, बजहा उर्फ अहिरौली, चंदा, बेलवा, अर्जुनही, भेड़िहारी को जोड़ दिया गया है।
कार्यशाला में प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि सीमावर्ती गांवों को सशक्त बनाने के लिए विभागीय योजनाओं का अधिकाधिक समन्वय किया जाएगा। प्रथम चरण में सड़क व दूर संचार पर फोकस करने का निर्देश है। सीमावर्ती गांव न केवल बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण होंंगे, बल्कि आदर्श विकास का माडल भी प्रस्तुत कर सकेंगे। इस संबंध में शीघ्र ही प्रस्ताव बना कर शासन को भेजा जाएगा।
-अनुराज जैन, सीडीओ, महराजगंज
सीमावर्ती गांवों के विकास की दृष्टि से यह योजना मील का पत्थर साबित होगी। सड़क संपर्क, बेहतर शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाएं और आधुनिक तकनीक से जुड़ी सुविधाएं इन गांवों तक पहुंचाई जाएंगी। विशेष रूप से नेटवर्क कनेक्टिविटी, स्मार्ट कक्षाएं और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। -बलराम सिंह , सीडीओ सिद्धार्थनगर
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