वन विभाग की जमीन का ही करा दिया फसल बीमा, घोटाले में तीन लोगों पर FIR
महोबा जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 40 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया है। अब तक 26 नामजद सहित कई लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है और 8 गिरफ्तार किए गए हैं। आरोप है कि वन विभाग की जमीन का भी बीमा करा लिया गया। जांच में बीमा कंपनी कृषि विभाग और जनसेवा केंद्र संचालकों की मिलीभगत सामने आ रही है।

जागरण संवाददाता, महोबा । जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत करीब 40 करोड़ से अधिक का घोटाला किया गया। इसे लेकर अब जिले में लगातार कार्रवाई की जा रही है। 27 अगस्त को उपनिदेशक कृषि रामसजीवन की तहरीर पर बीमा कंपनी इफको टोकयो के जिला प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी सहित अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया।
शनिवार को भी थाना कुलपहाड़ में तीन आरोपितों पर मुकदमा दर्ज किया गया। जांच में सामने आया कि इन लोगों ने वन विभाग की जमीन पर बीमा करा लिया। अब तक कुल 26 नामजद सहित अन्य के विरुद्ध मुकदमा हाे चुका है और आठ आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है।
तहसील कुलपहाड़ के ग्राम सतारी निवासी वन विभाग के बीट प्रभारी मलखान सिंह ने बताया कि वह जैतपुर क्षेत्र के प्रभारी है। उनकी बीट अंतर्गत गाटा संख्या 157, 158, 160-घ व गाटा संख्या 174-य वन विभाग की भूमि को क्रमश: देवकरन, अनिल कुमार व कमलेश निवासीगण ग्राम जैतपुर कुलपहाड़ ने अपनी भूमि बताकर फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करा लिया।
बीट प्रभारी ने दी सूचना
बीट प्रभारी ने इसकी सूचना थाना कुलपहाड़ में दी। थानाध्यक्ष कुलपहाड़ राधेश्याम वर्मा ने बताया कि मुकदमा दर्ज किया गया है। विवेचना की जा रही है। हालांकि अभी पूरे मामले की जांच चल रही है और कई अन्य के भी नाम सामने आ सकते है। इसके पूर्व 9 सितंबर को तीन आरोपितों को पकड़कर शहर कोतवाली पुलिस ने जेल भेजा। 10 सितंबर को थाना पनवाड़ी व अजनर में 10 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया।
11 सितंबर को थाना कुलपहाड़ में 7 तो वहीं चरखारी में पांच लोगों कुल 12 के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया। इनमें दो बीमा कंपनी के कर्मचारी भी है। वहीं शहर कोतवाली पुलिस ने 11 सितंबर को ही पांच और लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। शनिवार को भी कुलपहाड़ में तीन पर मुकदमा दर्ज हुआ। इस तरह अब तक इस मामले में 26 नामजद व अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है और आठ लोगों को जेल भेजा गया है।
इस पूरे खेल में बीमा कंपनी, कृषि विभाग के साथ ही जनसेवा केंद्र संचालकों का खेल है। हालांकि जांच अभी चल रही है और कईयों के और नाम सामने आ सकते है। खास बात है कि इन लोगों ने नादी, नाले, चकमार्ग और पहाड़ की जमीनों का भी बीमा करा लिया और किसी को भनक तक नहीं लगी। उपनिदेशक कृषि रामसजीवन ने बताया कि जांच अभी चल रही है। जो भी नाम सामने आएंगे उनके विरुद्ध कार्रवाई कराई जाएगी।
इस तरह बीमा भुगतान में हुआ खेल
पूरे खेल में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने बीमा कंपनी से सांठगांठ कर ऐसे गांवों को चुना जिसमें चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। बीमा करने के लिए पोर्टल पर भू-स्वामी व बटाईदार अपना बीमा करा सकता है। चकबंदी प्रक्रिया वाले गांवों का डाटा प्रदर्शित नहीं होता, जिससे कोई भी 10 रुपये के स्टांप पर बटाईनामा बनवाकर किसी की भी जमीन से बीमा करा सकता है। इसमें वह जो जानकारी भर देता है वह सही मानी जाती है।
खाली स्टांप भी इसमें लगाया जा सकता है। उसी के कागजातों के आधार पर बीमा होता है। इसकी जांच बीमा कंपनी ही करती है। इसे बाद फर्जीवाड़ा कर रहा व्यक्ति टोल फ्री नंबर पर फोन कर नुकसान की जानकारी देता है। इसकी जांच भी बीमा कंपनी करती है और क्लेम पास कर भुगतान दे देती है।
जाहिर है कहीं न कहीं बीमा कंपनी के लाेग भी इसमें शामिल है। किसी भी मामले का सत्यापन नहीं करया। यदि सत्यापन कराया जाता तो शायद फर्जी भुगतान होने से बच जाता। उपनिदेशक कृषि रामसजीवन कहते है जांच अभी चल रही है।
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