जानलेवा मधुमक्खियां, शोर और धूल से गुस्साईं, खेत में किसानों पर किया हमला, एक की मौत और तीन घायल
महोबा के पवा गांव में हार्वेस्टर से फसल कटाई के दौरान मधुमक्खियों के हमले से एक किसान की दुखद मौत हो गई। हार्वेस्टर के शोर से मधुमक्खियां उत्तेजित हो गईं और उन्होंने किसानों पर हमला कर दिया। सुभाष नामक किसान को कई जगह काटा गया जिससे वह बेहोश हो गया और अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया।

जागरण संवाददाता, महोबा। खेत पर हार्वेस्टर से उर्द की फसल की कतराई हो रही थी। तभी उसके शोर और धूल उड़कर पास के बबूल के पेड़ में लगे छत्ते में पहुंची। इस पर मधुमक्खियों ने किसानों पर हमला बोल दिया। जिससे लोगों ने इधर उधर जाकर अपने को सुरक्षित किया। वहीं एक किसान को कई जगहों पर काटने के चलते वह अचेत होकर गिर पड़ा।
उसे स्वजन जिला अस्पताल लाए और यहां परीक्षण के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। तीन अन्य लोग भी मामूली रूप से घायल हो गए। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की है।
थाना श्रीनगर क्षेत्र के ग्राम पवा में किसान सुभाष के खेत में हार्वेस्टर मशीन से उर्द फसल की कतराई चल रही थी। ग्रामीणों के मुताबिक करीब छह से सात लोग यहां पर मौजूद थे। पास में ही बबूल के पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था। हार्वेस्टर के शोर और इसके धूल के गुबार के चलते मधुमक्खियों ने लोगों पर हमला बोल दिया।
35 वर्षीय सुभाष पुत्र स्व. धनाराम के शरीर पर दर्जनों की संख्या में मधुमक्खियों ने काटा और वह इससे वह अचेत हो गए। लोगों में अफरा-तफरी मच गई और इधर उधर भागकर उन्होंने खुद को बचाया। सुभाष को स्वजन जिला अस्पताल लाए और यहां चिकित्सक ने परीक्षण के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं 38 वर्षीय राजकुमार, 32 बृजेंद्र, 30 संतोष भी घायल हो गए। घटना से सुभाष के स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल बना हुआ है।
दिवंगत के भतीजे जितेंद्र ने बताया कि खेत पर काम चल रहा था। पास में ही पेड़ में मधुमक्खियों का छत्ता लगा है। चाचा को ज्यादा काट लिया और उनकी मौत हो गई। केवल उन्हें ही जिला अस्पताल लाया गया। खेत पर अन्य लोग भी काम कर रहे थे। वह मामूली रूप से घायल हुए।
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जिला अस्पताल के डा. पंकज राजपूत ने बताया कि मधुमक्खी के डंक में विष होता है। यदि कई मधुमक्खियां किसी व्यक्ति को कई जगहों पर काटती है तो एनाफिलेक्सिस एलर्जिक प्रतिक्रिया हाेने लगती है। जिससे रक्तचाप में अचानक गिरावट आती है और वायुमार्ग संकुचित हो जाते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। साथ ही तेज़ नाड़ी चलने के साथ ही चकत्ते पड़ जाते है। यह जानलेवा हो जाता है।
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