तापमान में गिरावट, सुबह-शाम की ठंडक ने बढ़ाई किसानों की टेंशन! आलू की फसल के लिए कृषि वैज्ञानिकों की एडवाइजरी जारी
मैनपुरी में तापमान गिरने से आलू की फसल में रोगों का खतरा बढ़ गया है। कृषि वैज्ञानिक किसानों को सुबह-शाम खेतों का निरीक्षण करने की सलाह दे रहे हैं। झुलसा रोग से बचाव के लिए मैनकोजेब जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करने और तना गलन रोकने के लिए जल निकासी बेहतर रखने की सलाह दी गई है।

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी। सर्दी के साथ आलू किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। तापमान में गिरावट, सुबह-शाम की नमी से आलू की फसल पर रोगों का खतरा बढ़ गया है। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डॉ. रामनगीना सिंह का कहना है कि किसान इस मौसम में खेतों का सुबह-शाम निरीक्षण करें। पत्तियों पर काले धब्बे, किनारों का सूखना, तने का काला पड़ना या पत्तियों का मुड़ना बीमारी के शुरुआती संकेत हैं।
आलू के उपचार के लिए किसानों को कृषि वैज्ञानिक ने दी सलाह
खेत में अत्यधिक नमी रोगों की रफ्तार बढ़ा देती है, इसलिए सिंचाई केवल आवश्यकता के अनुसार ही करें। रात के समय सिंचाई बिल्कुल न करें, क्योंकि इससे तापमान अचानक गिर जाता है और पाला लगने की संभावना बढ़ जाती है। खेत की मेड़ पर धुआं का भी सहारा ले सकते हैं। मौसम में उतार-चढ़ाव आगे भी जारी रहेगा। ऐसे में समय पर सावधानी और उचित प्रबंधन ही किसानों की फसल को सुरक्षित रख सकता है।
फसल बचाने के उपचार व उपाय
विशेषज्ञ के अनुसार झुलसा रोग की रोकथाम के लिए मैनकोजेब, कापर आक्सीक्लोराइड या ब्लाइटोक्ष जैसे कीटनाशकों का छिड़काव सात से 10 दिन के अंतराल पर करें। तना गलन रोकने के लिए खेत की जलनिकासी बेहतर रखें। पत्ती कुंचन की समस्या होने पर रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटाकर नष्ट कर दें। खेत में संतुलित उर्वरक का प्रयोग, विशेष रूप से पोटाश की पर्याप्त मात्रा, फसल को रोगों के प्रति मजबूत बनाती है।

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