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    बरसाना में राधा जन्मोत्सव पर भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम, आसमान से गिरती बूंदें के बीच प्रकटी कीरत सुता श्रीराधा

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 09:22 AM (IST)

    बरसाना में राधाष्टमी के अवसर पर लाड़ली महल में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। कीरत सुता श्रीराधा के प्राकट्योत्सव पर पूरा बरसाना राधा के भक्ति सागर में डूब गया। ब्रह्मांचल पर्वत राधामय हो गया। मंदिर में राधारानी का दूध दही शहद और यमुना जल से अभिषेक किया गया। भक्तों ने राधारानी के जयकारों से वातावरण गुंजायमान कर दिया। जन्मोत्सव के उल्लास में बरसाना में जमकर आतिशबाजी हुई।

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    बृषभानु नंदनी के विग्रह का अभिषेक किया गया। मंदिर परिसर में उमड़े श्रद्धालु। जागरण

    किशन चौहान, जागरण, बरसाना। राधा प्राकट्योत्सव में बरसाने का लाड़ली महल द्वापर युगीन कल्पना संजोने लगा, बरसाना में राधा जन्मोत्सव के पलों का साक्षी होने के लिए चारों दिशाओं से श्रद्धालु उमड़ पड़े। शनिवार रात से रविवार सुबह तक राधे के जयकारों से बरसाना गूंजता रहा। तड़के अभिषेक के साथ ही उमड़ी भीड़ शाम तक बनी रही।

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    ब्रजभूमि की महारानी राधारानी ने ब्रह्मांचल पर्वत पर वृषभानु महल में प्रकट हो गई। वर्षा और आतिशबाजी जन्मोत्सव का गुणगान करती रही जन्म से पूर्व रात दो बजे लाड़ली मंदिर पर बधाई गायन के बाद चार बजे मंदिर वेद मंत्रों से गूंज उठा। रात दो बजे से मंगल बधाइयों का गायन किया गया। इसमें दाई, मान, सवासनी, नाइन, नामकरण लीलाओं के पदों का प्रस्तुतिकरण किया गया।

    सुबह चार बजे से मंदिर के गर्भ ग्रह में घंटे-घडियाल बजने लगे

    सुबह चार बजे से मंदिर के गर्भ ग्रह में घंटे-घडियाल बजने लगे। भक्त राधारानी के जयकारे लगा रहे थे।

    सेवायतों ने ब्रजाचार्य नारायन भट्ट द्वारा प्रकट विग्रह को चांदी की चौकी में विराजमान किया तो कमल पुष्पों के सौंदर्य से अपने सौभाग्य पर चौकी मुस्करा उठी।

    मंदिर के सेवायत परिवारों के आचार्य वेद मंत्रों का उच्चारण करने लगे। मूल नक्षत्र में जन्मी राधारानी का बुधवार को सुबह चार बजे से लगातार एक घंटा अभिषेक चला। अभिषेक के पलों को आंखों में कैद करते भक्तों ने पलकों को झपकने नहीं दिया।

    इनसे किया गया अभिषेक

    दूध,दही,शहद, गाय का घी, इत्र, बूरा, 27 पेड़ों की पत्तियां, 27 जगह की रज, 27 कुओं का जल, सप्त अनाज, सात मेवा, सात फल से बारी-बारी से बृषभानु नंदनी के विग्रह का अभिषेक किया। आचार्यों ने वेद मंत्रों के साथ नवग्रह देवताओं का आह्वान किया। राधारानी को यमुना जी सहित सात नदियों के जल से भी स्नान कराया गया। जब तक मिट्टी के बर्तन से दूध की धारा निकलती रही, भक्त पुष्पों की बारिश करते रहे।

    पीले रंग की पोशाक धारण

    अभिषेक के उपरांत सुबह 5:30 बजे महारानी को पीले रंग की फरुआ नुमा पोशाक धारण कराई गई। राधा जन्म को देखकर श्रृद्धालु बरसाने वाली की जय, बृषभानु नंदनी की जय जयकार करने लगे। सेवायतों ने युगल स्वरूप की आरती उतारी।

    शीशमहल से भक्तों को दिए दर्शन

    सुबह करीब आठ बजे राधारानी ने शीश महल से भक्तों को दर्शन दिए। कृष्ण की आल्हादिनी शक्ति के अवतरित होने की खुशी में नंदगांव से लोग दूसरे दिन भी बधाई लेकर पहुंचे। बृषभानु जी को लाली के जन्म की बधाई देने के बाद यह लोग बृषभानोत्सव में जमकर थिरके। श्रद्धालु अपनी आराध्य का गुणगान अपने-अपने अंदाज में कर रहे थे। जिधर भी नजर घुमाकर देखा जाता था, उधर से राधा नाम का गुणगान होता सुनाई देता। नंदगांव और बरसाना वासियों ने बधाई पद प्रस्तुत किए।