मऊ में फर्जी नियुक्ति मामले में 42 शिक्षकों समेत 73 पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज
Mau latest news मऊ जिले में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों से शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में 42 शिक्षकों और अधिकारियों समेत 73 लोगों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। शिकायत मुख्यमंत्री से की गई थी जिसके बाद विभाग ने जांच कराई।

जागरण संवाददाता, मऊ। समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित 19 विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में शहर कोतवाली में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
इस मामले में तत्कालीन बीएसए, तीन समाज कल्याण अधिकारी, तीन एबीएसए, 20 प्रबंधक और 42 शिक्षकों सहित कुल 73 लोगों को आरोपित किया गया है। यह प्राथमिकी जिला समाज कल्याण अधिकारी विकास रश्मि मिश्रा की तहरीर पर दर्ज की गई है, जिसमें 14 अज्ञात आरोपित भी शामिल हैं।
कोतवाल अनिल सिंह ने बताया कि एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। आरोप है कि जनपद के 19 आंबेडकर स्कूलों में कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर 42 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई थी, जिसके बाद विभाग ने गंभीरता से जांच कराई। मंगलवार को कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया।
नामजद शिक्षकों में कुलदीप नारायण, गौरव कुमार पांडेय, जितेंद्र सिंह, राजमती यादव, राकेश कुमार दीक्षित, वंदना कौशल और अन्य का नाम शामिल है। इसके अलावा, जिला समाज कल्याण अधिकारियों में बलदेव त्रिपाठी, विमला राय और जितेंद्र मोहन शुक्ल का नाम भी सामने आया है। आरोप है कि नियुक्ति के दौरान संबंधित अधिकारियों ने दस्तावेजों में हेरफेर कर नियुक्ति की थी।
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इस मामले की गंभीरता को देखते हुए समाज कल्याण विभाग ने त्वरित कार्रवाई की है। जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई, जिससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी हुई, बल्कि शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता भी प्रभावित हुई है।
इस मामले में शामिल सभी आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। समाज कल्याण विभाग ने यह सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ईमानदारी से करें और किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं।
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इस घटना ने शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर ध्यान आकर्षित किया है। समाज कल्याण विभाग की इस कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस प्रकार, यह मामला न केवल एक धोखाधड़ी का मामला है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करता है। समाज कल्याण विभाग की इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी और शिक्षा का स्तर ऊंचा रहेगा।

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