रोगी को मेडिकल कालेज से निकाल निजी अस्पताल ले गया एंबुलेंस चालक... कमीशन मिला 90 हजार, यूं हुआ राजफाश
एक एम्बुलेंस चालक ने मरीज को मेडिकल कॉलेज से निजी अस्पताल में भर्ती कराके 90 हजार रुपये का कमीशन कमाया। जांच में पता चला कि चालक ने आर्थिक लाभ के लिए ऐसा किया। इस मामले में निजी अस्पताल की मिलीभगत की आशंका है, जिसकी जांच जारी है। कमीशनखोरी का पर्दाफाश होने से एम्बुलेंस चालक की भूमिका सामने आई।

मेरठ मेडिकल कालेज। (प्रतीकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, मेरठ। मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों को बरगलाकर कमीशन के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराने का मामला उजागर हुआ है। गाजियाबाद के एक तीमारदार ने निजी एंबुलेंस चालक पर मरीज को मेडिकल कालेज से अल्फा अस्पताल में भर्ती कराने का आरोप लगाया है। बदले में चालक को 90 हजार का कमीशन मिला। डिप्टी सीएमओ की जांच के बाद एंबुलेंस चालक पर मेडिकल थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
गाजियाबाद के रहने वाले हरद्वारी लाल ने बताया कि उनके बेटे मुकेश कुमार को लकवा मार गया था। उपचार कराने के लिए वह 15 नवंबर को मेरठ मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचे और इमरजेंसी में भर्ती करा दिया। उपचार भी शुरू हो गया। अगले दिन परिसर में खड़ी एक निजी एंबुलेंस का चालक तुषार उनके पास आया और बताया कि 20 से 25 हजार में उनके मरीज का उपचार मंगल पांडेय नगर स्थित अल्फा अस्पताल में करा देगा। यह अस्पताल डाक्टर अमित कुमार चलाते हैं।
झांसे में आकर उन्होंने इमरजेंसी से बेटे को निकालकर 16 नवंबर को अल्फा अस्पताल में भर्ती करा दिया। वहां मुकेश की तबीयत और बिगड़ती चली गई। इस पर उसे दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल रेफर कर दिया गया। हरद्वारी लाल ने बताया कि उन्हें पता चला कि तुषार ने अस्पताल से 90 हजार का कमीशन लेकर फंसाया है। सीएमओ से इस मामले की शिकायत की। डिप्टी सीएमओ डा. महेश चंद्रा ने मामले की जांच की। जांच में आरोप सही पाए गए।
एंबुलेंस चालकों का है गिरोह
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि हरद्वारी लाल की तहरीर पर मेडिकल थाने में एंबुलेंस चालक पर मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच में आ रहा है कि मेडिकल कालेज के बाहर निजी एंबुलेंस संचालक गिरोह बनाकर खड़े रहते हैं। मरीजों को मेडिकल कालेज से झांसा देकर निजी अस्पतालों में भर्ती कराकर कमीशन वसूलते हैं। इस पूरे रैकेट की जांच की जाएगी।
तीमारदार की स्थिति देख सिर्फ 90 हजार की रकम ली गई : एंबुलेंस मरीज लेकर अस्पताल आई थी, इसलिए भर्ती कर लिया गया। मरीज का 1.62 लाख का बिल बना था। तीमारदार की स्थिति देखकर सिर्फ 90 हजार की रकम ली गई। उसके बाद परिवार के लोग दिल्ली रेफर कराकर ले गए।-इमरान, मैनेजर अल्फा अस्पताल

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