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    गढ़मुक्तेश्वर गंगा मेले में भैंसा-बुग्गी पर रोक, भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बताया बेतुका निर्णय

    By Jagran NewsEdited By: Parveen Vashishta
    Updated: Thu, 27 Oct 2022 10:44 PM (IST)

    Garhmukteshwar Ganga Mela कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 29 अक्टूबर से हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में गंगा किनारे मेले का आयोजन किया जाना है। लंपी बीमारी के कारण स्थानीय प्रशासन ने मेले में पशुओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है जिससे भैंसा-बुग्गी के साथ प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।

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    गंगा मेले में भैंसा-बुग्गी पर रोक, नरेश टिकैत ने बताया बेतुका निर्णय

    मेरठ, जागरण संवाददाता। गढ़मुक्तेश्वर गंगा मेले में इस बार श्रद्धालु भैंसा-बुग्गी नहीं ले जा पाएंगे। पशुओं में चल रही लंपी बीमारी के कारण स्थानीय प्रशासन ने मेले में पशुओं के प्रवेश पर रोक लगाई है। हापुड़ की जिलाधिकारी मेधा रूपम ने डीएम मेरठ को पत्र भेजकर अवगत कराया है कि बड़ी संख्या में मेरठ के श्रद्धालु गढ़ गंगा मेले में शामिल होते हैं, ऐसे में समय रहते उन्हें जागरूक किया जाए। भैंसा-बुग्गी अथवा किसी भी जानवर को मेले में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उधर, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने इस निर्णय को बेतुका बताया है।

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    डीएम ने दिया जिलाधिकारी हापुड़ के पत्र का हवाला 

    जिलाधिकारी दीपक मीणा ने डीएम हापुड़ के पत्र के हवाले से बताया कि सभी जनपदों में पशुओं में घातक वायरल बीमारी लंपी स्किन डिजीज का प्रकोप है। मेले में पशुओं के एक स्थान पर एकत्र होने से यह बीमारी अन्य सभी संपर्क में आने वाले पशुओं में फैलने की संभावना है। डीएम ने साफ किया है कि मेले में भैंसा-बुग्गी के साथ प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। ऐसा करने की कोशिश करने वालों पर जुर्माने की कार्रवाई भी होगी। मेले में मुख्य रूप से किसानों की भागीदारी होती है। अधिकतर किसान भैंसा-बुग्गी और ट्रैक्टर-ट्रालियां के साथ मेले में तंबुओं के शहर बसाते हैं।

    29 अक्टूबर से मेले का आयोजन

    डीएम हापुड़ के पत्र में कहा गया है कि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 29 अक्टूबर से गढ़मुक्तेश्वर में गंगा किनारे मेले का आयोजन किया जाना है। मेले में आसपास के राज्यों और जनपदों से 20-25 लाख श्रद्धालु भाग लेते हैं। मेले के साथ-साथ मेले में अश्व प्रदर्शनी और क्रय-विक्रय का कार्य भी होता रहा है। शासन के निर्देशों पर मेले में अश्व प्रदर्शनी-क्रय विक्रय पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। श्रद्धालुओं से गंगा स्नान मेले में किसी भी घोड़े, गधे, खच्चर, गाय, बैल व भैंस को न ले जाने और किसी भी प्रकार की पशु प्रदर्शनी का आयोजन नहीं कराने की अपील की गई है।

    इन्होंने कहा, 

    मेरठ जनपद से काफी संख्या में श्रद्धालु गढ़मुक्तेश्वर गंगा मेले में हिस्सा लेते हैं। सभी श्रद्धालुओं से अपील है कि वह पशुओं को मेले में न ले जाएं। भैंसा-बुग्गी के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। किसानों, व्यापारियों और पशु विक्रेताओं से अपील है कि कानून का पालन करें और मेले के आयोजन में हापुड़ जिला प्रशासन का सहयोग करें।

    -दीपक मीणा, डीएम मेरठ

    यह बेतुका निर्णय है, इस पर विचार कर हापुड़ प्रशासन को इसे वापस लेना चाहिए। यह हमारी संस्कृति एवं सभ्यता से जुड़ा हुआ है। प्रशासन को ऐसे निर्णय लेने के बजाय लंपी बीमारी की रोकथाम की व्यवस्था बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

    -चौधरी नरेश टिकैत, अध्यक्ष भाकियू