CBSE स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए जरूरी अपडेट, स्कूलों के लिए आ गया है नया फरमान
सीबीएसई ने कक्षा 6 से 8 तक कौशल शिक्षा को अनिवार्य कर दिया है, जो शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू होगा। एनसीईआरटी की 'कौशल बोध श्रृंखला' की पुस्तकें अनिवार्य हैं, और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। छात्र परियोजना-आधारित शिक्षण पर ध्यान केंद्रित करेंगे, और हर साल 'कौशल मेला' आयोजित किया जाएगा। मूल्यांकन में विभिन्न घटकों को शामिल किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, मेरठ। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए कक्षा छह से आठवीं मे कौशल शिक्षा को सभी संबद्ध स्कूलों में अनिवार्य विषय के रूप में लागू कर दिया है। यह आदेश सी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से ही प्रभावी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप लिए गए इस निर्णय को अब तक भी स्कूलों ने प्रभावी रूप से लागू नहीं किया है।
इसकी जानकारी मिलने पर सीबीएसई ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए सभी स्कूलों से एनसीईआरटी की ओर से तैयार की गई ‘कौशल बोध श्रृंखला’ की किताबों को अनिवार्य रूप से इसी सत्र में लागू करने को कहा है। बोर्ड ने कहा है कि अब सभी संबद्ध स्कूलों को 2025–26 सत्र से ही इन पुस्तकों को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा।
एनसीईआरटी की ओर से विकसित कौशल बोध श्रृंखला कक्षा छह, सात और आठ के लिए तैयार की गई है। ये पुस्तकें प्रिंट और डिजिटल दोनों प्रारूपों में उपलब्ध हैं। स्कूल इन्हें एनसीईआरटी की वेबसाइट या सीबीएसई एकेडमिक पोर्टल से सीधे डाउनलोड भी कर सकते हैं। इन पुस्तकों का उद्देश्य छात्रों को व्यावहारिक अनुभव, रचनात्मकता और वास्तविक जीवन से जुड़ी परियोजनाओं के माध्यम से सीखने का अवसर प्रदान करना है।
होगा शिक्षकों का प्रशिक्षण भी
कौशल बोध पुस्तकों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सीबीएसई, एनसीईआरटी और पीएसएससीआइवीई के सहयोग से शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा। प्रशिक्षण से संबंधित विस्तृत जानकारी जल्द ही साझा की जाएगी। इससे पहले एक आनलाइन ओरिएंटेशन सत्र का आयोजन 10 नवंबर को दोपहर दो बजे किया जाएगा। स्कूलों को इसमें भाग लेने के लिए छह नवंबर तक पंजीकरण करना होगा। सीबीएसई ने पोर्टल पर सर्कुलर के साथ ही पंजीकरण लिंक भी साझा किया है। इसके अलावा किसी भी जानकारी के लिए स्कूल jsse.cbse@nic.in पर संपर्क कर सकते हैं।
ऐसे करना है कौशल शिक्षा का कार्यान्वयन
- शुरुआत : एनसीईआरटी की कौशल बोध पुस्तकें कक्षा छह से आठ तक पूर्व-व्यावसायिक विषय के रूप में सत्र 2025–26 से लागू होंगी।
- पाठ्यक्रम में एकीकरण : एनसीएफ-एसई 2023 के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 110 घंटे (लगभग 160 पीरियड्स) कौशल शिक्षा के लिए निर्धारित हैं। स्कूलों को सप्ताह में दो बार लगातार दो पीरियड्स इस विषय के लिए रखने हैं।
- परियोजना-आधारित शिक्षण : हर छात्र को प्रति कक्षा तीन परियोजनाएं करनी होंगी।इनमें जीवों के साथ कार्य, सामग्री और मशीनों के साथ कार्य व मानव सेवाओं से संबंधित कार्य शामिल हैं।
- करके सीखेंगे छात्र : कक्षा आठ तक छात्र कुल नौ परियोजनाएं पूरी करेंगे। उद्देश्य यह है कि छात्र ‘करके सीखें’, यानी सीखने का फोकस उत्पाद पर नहीं, बल्कि प्रक्रिया पर हो।
- परियोजनाओं का चयन : हर पुस्तक में छह परियोजनाएं दी गई हैं। स्कूल अपनी स्थानीय परिस्थितियों, संसाधनों और सामुदायिक उपलब्धता के अनुसार तीन परियोजनाएं चुन सकते हैं।
- शिक्षक चयन व प्रशिक्षण : हर कक्षा के लिए परियोजनाओं के प्रभारी शिक्षकों को नामित किया जाएगा। नामित शिक्षकों को सीबीएसई और एनसीईआरटी प्रशिक्षण देगा।
- संसाधन और प्रयोगशालाएं : जिन स्कूलों में कंपोजिट स्किल लैब हैं, वे उसमें उपलब्ध उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।
- कौशल मेला : हर शैक्षणिक वर्ष के अंत में स्कूलों में ‘कौशल मेला’ का आयोजन िहोगा, जिसमें छात्र अपनी परियोजनाएं, माडल और सीखे हुए कौशल प्रदर्शित करेंगे।
यह है परियोजना-आधारित मूल्यांकन का वेटेज
मूल्यांकन का तरीका - भार
लिखित परीक्षा 10%
मौखिक प्रस्तुति/वाइवा वाइस 30%
गतिविधि पुस्तक 30%
पोर्टफोलियो 10%
गतिविधियों के दौरान शिक्षक का अवलोकन 20%

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