Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चेक बाउंस होने पर एक साल जेल की सजा, अब डेढ़ गुणा रुपया करना होगा वापस

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 08:32 PM (IST)

    मेरठ में मकान के सौदे में दिए गए चेक बाउंस होने पर न्यायालय ने धर्मेन्द्र मलिक नामक व्यक्ति को एक साल की कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, न्यायालय ने चेक की राशि का डेढ़ गुना, यानी 6.16 लाख रुपये, वापस करने का भी आदेश दिया है। यह मामला कंकरखेड़ा निवासी आदेश कुमार से जुड़ा है, जिन्होंने धर्मेन्द्र मलिक से मकान का सौदा किया था।

    Hero Image

    जागरण संवाददाता, मेरठ। मकान का बैनामा करने की एवज में एडवांस लिए गए 4.11 लाख रुपये का दिया चेक बाउंस होने पर एक युवक को न्यायालय अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय ने एक साल के कारावास की सजा सुनाई है। चेक की धनराशि का डेढ़ गुणा 6.16 लाख रुपया वापस करने का भी आदेश न्यायालय ने दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अधिवक्ता सतेन्द्र कुमार जांगिड ने बताया कि उनके वादकारी कंकरखेड़ा निवासी आदेश कुमार ने धर्मेन्द्र मलिक से अगस्त 18 में सैनिक विहार स्थित मकान का सौदा 31 लाख रुपये में किया। दोनों ही थल सेना के पूर्व सैनिक है और दोस्त है। धर्मेन्द्र की पत्नी बबली ने 31 अगस्त 18 को इसका इकरारनामा किया।

    धर्मेन्द्र इसमें गवाह बना। आदेश ने धर्मेन्द्र को नकद 11 हजार रुपये व चार लाख रुपये बैंक से ट्रांसफर किए। अप्रैल 17 में बैनामा करना तय हुआ। इसी बीच पता चला कि इस मकान पर पंजाब नेशनल बैंक मंगलपांडे नगर से लोन है। बैंक किश्त जमा नहीं करने पर इसे नीलाम करने वाला है।

    आदेश ने धर्मेन्द्र व बबली से रुपया वापस मांगा। उन्होंने 2 अप्रैल 19 को उसे यूको बैंक शाखा नगलाताशी का 4.11 लाख रुपये का चेक दे दिया। 24 अप्रैल, 6 मई, 8 व 9 मई को बैंक में चेक कैश करने को भेजे गए। वह रुपया नहीं होने पर बाउंस हो गया। आरोपित से रुपया वापस देने को कहा तो उसने इंकार कर दिया। इस पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय न्यायालय में परिवाद दायर किया गया।

    न्यायालय में चली सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष के अपने तर्क व साक्ष्य सुने गए। सुनवाई के बाद न्यायालय ने धर्मेन्द्र मलिक को पूरे मामले में दोषी माना। उसे एक साल के कारावास व 6.16 लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड जमा नहीं करने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। न्यायलय ने स्पष्ट किया कि अर्थदंड की एवज में छह माह की सजा भुगतने के बाद भी वादकारी अर्थदंड की राशि आरोपित से वसूलने करने का अधिकारी होगा।