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    Chinmayanand Bapu: मेरठ में बोले चिन्मयानंद बापू-जिनके धर्म में कमियां हैं, वही करते हैं मतांतरण

    By Jagran NewsEdited By: PREM DUTT BHATT
    Updated: Thu, 03 Nov 2022 02:30 PM (IST)

    Sant Chinmayanand Bapu विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट के संस्थापक व राष्ट्रीय संत चिन्मयानंद बापू ने मेरठ में गुरुवार को पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हमारा धर्म कन्वर्ट नहीं कन्वेंस करता है। भिखारियों वाले फैशन को विदेशों से लाकर किया जा रहा दुष्प्रचार।

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    Chinmayanand Bapu मोबाइल व स्वतंत्रता का किया जा रहा दुरुपयोग। दिशाहीन होता जा रहा है बालीवुड।

    मेरठ, जागरण संवाददाता। Sant Chinmayanand Bapu जिनके धर्म में कमियां हैं, वही मतांतरण करते हैं। हमारा धर्म कन्वर्ट नहीं कन्वेंस करता है। सनातन धर्म कभी भी भय लोभ नहीं दिखाता। भगवान श्रीकृष्ण ने भी महाभारत में अर्जुन को जागृत करने का काम किया था। यह बात गुरूवार को विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट के संस्थापक व राष्ट्रीय संत चिन्मयानंद बापू ने वेस्ट एंड रोड स्थित साधना केंद्र पर पत्रकार वार्ता में कही।

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    आड़े हाथों लिया

    उन्होंने मतांतरण करने वालों को आडे हाथ लिया। इससे आगे उन्होंने कहा कि फटी हुई जींस के बढते प्रचलन को कडे शब्दों में कहा कि भिखारियों वाला फैशन विदेश से लाकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। पत्रकार वार्ता में हर्ष गोयल, ज्ञानेंद्र अग्रवाल, अमन गुप्ता व अमित शर्मा मौजूद रहे।

    वैचारिक व चारित्रिक शुद्धता लाती है कथा

    चिन्मयानंद बापू ने कहा कि कथा हमारे जीवन में चारित्रिक व वैचारिक शुद्धता लाने का काम करती है। उन्होंने कहा कि युवाओं को स्वाध्याय जरूर करना चाहिए। देश के युवाओं में जागृति लौटने लगी है। हम लोग वापस अध्यात्म की ओर लौट रहे हैं। यह एक अच्छा संकेत है। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि रामचरितमानस जरूर पढनी चाहिए। एक दोहा चौपाई रोज हमें पढने की आदत डालनी चाहिए। हमारा देश विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है।

    दिशाहीन होता जा रहा है बालीवुड

    चिन्मयानंद बापू ने पत्रकार वार्ता में बालीवुड को दिशाहीन बताया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पुराने जमाने में फटे हुए कपड़े पहनना दरिद्रता की निशानी होती थी। लेकिन अब बालीवुड के कलाकारों को देखकर युवा वर्ग फटी हुई जींस पहनने लगा है। यह बिल्कुल गलत है। टीवी पर जितने सीरियल आते हैं, उनसे प्रभावित होकर परिवार टूट रहे हैं। समाज में एकल परिवार का प्रचलन बढने लगा है। जबकि, हमारे देश में संयुक्त परिवार आदर्श होता था। घर के बच्चे दादा-दादी, चाचा-चाची व अन्य रिश्तों को नजदीक से जानते थे। प्रयास किया जाए कि हम पुरानी सभ्यता व संस्कृति की ओर लौटें।

    टीवी सीरियलों के बराबर होने चाहिए कथाकार

    टीवी पर बढ़ती फूहड़ता के बारे में बापू कहते हैं कि प्रदर्शन के बजाय जीवन में दर्शन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिल्मों में गजनी कट जैसी चीजें बच्चों के लिए बडी हानिकारक हैं। कहा कि जिस संख्या में टीवी पर सीरियल प्रसारित होते हैं, उसकी अपेक्षा कथाकार कम हैं। सीरियल की भांति ही कथाकारों की संख्या बढ़नी चाहिए।

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