महिला राइडर्स के साथ यूं ही सहज नहीं हो जाते... स्नेहिल व्यवहार और ममत्व तराशता है घोड़ों का प्रदर्शन
महिला राइडर्स के साथ घोड़ों का सहज होना आसान नहीं है। स्नेहिल व्यवहार और ममत्व घोड़ों के प्रदर्शन को निखारते हैं। घोड़ों को विशेष ध्यान और प्यार चाहिए होता है, जिससे वे सुरक्षित महसूस करते हैं और बेहतर प्रदर्शन करते हैं। महिला राइडर्स का ममत्व घोड़ों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जिससे उनका तालमेल और भी मजबूत होता है।

घोड़े संग बाधाओं को पार करते घुड़सवार प्रवीण कुमार व अपने घोड़े के साथ मेरठ की अंतरराष्ट्रीय घुड़सवार पिया मोदी। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, मेरठ। सामाजिक परिवेश में मनुष्य के साथ रहने वाले अधिकतम पशु, प्रेम व आत्मीय भाव को अधिक महत्व देते हैं। इसी तरह घोड़े भी हैं। एक घोड़े को पुरुष और महिला राइडर से अधिक फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन उनकी परवरिश और आत्मीय भाव मायने रखता है। महिलाओं के व्यवहार में ममतामयी भाव अधिक होने से घोड़े भी अधिक सहज महसूस करते हैं। महिला राइडर्स के साथ घोड़े पुरुषों की तुलना में थोड़ा अधिक बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इसीलिए यूरोपीय देशों में घुड़सवारी में 60 प्रतिशत महिला घुड़सवार दिखती हैं। ओलिंपिक तक की प्रतियोगिताओं में जीतने वालों में भी महिलाओं का प्रतिशत अधिक है। यही कारण है कि घुड़सवारी में महिला व पुरुष की अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही प्रतियोगिता होती है। जूनियर वर्ग से लेकर ओलिंपिक तक दोनों समान रूप से प्रतिभाग करते हैं।
आरवीसी सेंटर एंड कालेज से जुड़े एक वरिष्ठ घुड़सवार व प्रशिक्षक के अनुसार कुछ अध्ययनों में देखा गया है कि घोड़े अपने पिछले अनुभवों और पुरुष–महिला के सामान्य हैंडलिंग स्टाइल के आधार पर अलग व्यवहार दिखा सकते हैं। पुरुषों द्वारा ज्यादा संभाले गए घोड़ों में हल्के बचाव का व्यवहार दिखता है, क्योंकि उनकी ग्राउंड-हैंडलिंग थोड़ी सख्त या तेज हो सकती है। अधिकतर महिलाओं के साथ रहने वाले घोड़े संभालने में आसान, शांत और पास आने में सहज हो सकते हैं।
ऐसे बनता है मजबूत रिश्ता
घोड़े बेहद सामाजिक और बुद्धिमान प्राणी होते हैं। वे उन इंसानों से गहरा, लंबे समय तक चलने वाला बंधन बनाते हैं, जो उन्हें लगातार प्यार, सम्मान और न्यायपूर्ण व्यवहार देते हैं। यह बंधन विश्वास और निरंतरता, सकारात्मक अनुभव, स्पष्ट संवाद से बनता है। जब सवार एक भरोसेमंद, शांत और न्यायपूर्ण व्यक्ति घुड़सवार बनता है, तो घोड़ा सुरक्षित महसूस करता है, जिससे विश्वास और फिर स्नेह पैदा होता है। सवारी के अलावा ग्रूमिंग, घास चराने ले जाना या बस शांत बैठकर समय बिताना, आदि क्रियाकलापों से घोड़े और इंसान दोनों में आक्सीटोसिन (बांन्डिंग हार्मोन) बढ़ता है, जो रिश्ते को और गहरा करता है।
राइडर की प्रतिभा ही बनती है घोड़े की क्षमता
भारत में घुड़सवारी सबसे अधिक सेना के संरक्षण में होती है। पिछले कुछ वर्षों में तेजी से पुलिस, एनसीसी सहित राज्यों की टीमें और निजी क्लबों की टीमों के घुड़सवारों की प्रतिभागिता देखने को मिल रही है। विशेषज्ञों के शोध लेख दर्शाते हैं राइडर के पुरुष या महिला होना घोड़े के प्रदर्शन, उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाओं या सुरक्षा पर लगभग कोई प्रभाव नहीं डालता। हार्ट रेट, घोड़े की गति, न स्ट्राइड की लंबाई और न ही पीक हार्ट रेटगति और प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान जैसी वस्तुनिष्ठ मापों में पुरुष और महिला राइडर्स के बीच कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं मिला।
विशेषज्ञों के निष्कर्ष
-टेलर एंड फ्रांसिस के अनुसार राइडर के विचारों और भावनाओं पर नियंत्रण का घोड़े से संबंध पर विशिष्ट प्रभाव पड़ता है।
-प्रैक्टिकल हार्ममैन लेख के अनुसार राइडर के वजन से भी घोड़े के प्रदर्शन या दबाव वितरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
-कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पुरुष राइडर्स को क्रास-कंट्री टाइम पेनल्टी कम मिली, लेकिन यह समग्र प्रदर्शन का निर्णायक संकेतक नहीं है।
-रिसर्चगेट पर एक अध्ययन के अनुसार महिला राइडर्स में कूल्हों की असमानता जैसी मुद्रा से जुड़ी समस्याएं थोड़ी अधिक हो सकती हैं, जबकि पुरुष राइडर्स में शरीर का झुकाव अपेक्षाकृत कम होता है। हालांकि ये अंतर घोड़े के प्रदर्शन को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।