दिल्ली-एनसीआर से भी बदतर हुई यूपी के इस फेमस शहर की हवा, बिना मास्क के बाहर निकलना खतरनाक
मेरठ में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है। सोमवार को मेरठ, उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक 376 दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

जागरण संवाददाता, मेरठ। शहर में प्रदूषक कणों और गैसों का जमाव विस्तारित और सघन होता जा रहा है। हवा में सांस लेना सुरक्षित नहीं है। सोमवार को मेरठ उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा पहले नंबर बागपत रहा। बागपत देश का तीसरा और मेरठ चौथा सबसे प्रदूषित शहर आंका गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बाेर्ड द्वारा शाम चार बजे 251 शहरों की सूची में मेरठ का एक्यूआइ 376 और बागपत में 384 रिकार्ड किया गया। वायु की गुणवत्ता मेरठ में पिछले तीन दिनों से खराब बनी हुई है। चौंकाने वाली बात यह है कि मेरठ में हवा की गुणवत्ता गाजियाबाद, नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली जैसे शहरों से अधिक बदतर है।
हवा की विषाक्त स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है सोमवार को सुबह 11 बजे पल्लवपुरम में एक्यूआइ 397, जयभीम नगर में 392 और गंगा नगर में 373 आंका गया। सीपीसीबी के मानकों में 300 से 400 तक एक्यूआइ हवा की बेहद खराब स्थिति को दर्शाता है।
बिना मास्क के बाहर न निकलें 
शहर में हवा की स्थिति 24 घंटे में एक भी पल ऐसी नहीं है जो मानव स्वास्थ्य के अनुकूल हो। लेकिन रात गहराते ही हालात अत्यंत गंभीर हो रहे हैं। पल्लवपुरम में रविवार की रात तीन बजे सोमवार को दोपहर 12 बजे तक पीएम 2.5 की मात्रा उच्चतम 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बनी रही। यही स्थिति जयभीम नगर में रही। गंगानगर में पीएम 10 की सांद्रता 450 से 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच लगातार 13 घंटे तक बनी रही।
पीएम 2.5 की मात्रा 380 और पीएम 10 की मात्रा 430 या उससे अधिक गंभीर स्थिति का सूचक है। ऐसे में सुबह के समय स्कूल जाने वाले बच्चों को बिना मास्क के निकलना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। अस्थमा के मरीजों को बाहर निकलने से बचना चाहिए। सैर पर जाने वालों को ऐसे प्रदूषित वातावरण में नहीं जाना चाहिए।
शनिवार और रविवार को भी मेरठ प्रदेश में सबसे प्रदूषित था। वायु गुणवत्ता सूचकांक शाम चार बजे 389 और 381 रिकार्ड किया गया था।
सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट की प्रोग्राम मैनेजर शांभवी शुक्ला ने बताया कि प्रदूषित कणों की चादर इतनी सघन हो गई है कि हवा से उनका विस्थापन एक जगह से दूसरी जगह नहीं हो पा रहा है। यही कारण है दोपहर में बादल न होने के बावजूद धुंध की परत दिखाई दे रही है। तेज हवा और बरसात से ही प्रदूषण की स्थिति में सुधार आ सकता है।
सोमवार को शाम चार बजे अलग अलग शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 
बागपत और मेरठ प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बाेर्ड द्वारा शाम चार मेरठ में एक्यूआइ 376 और बागपत में 384 रिकार्ड किया गया। वायु की गुणवत्ता मेरठ में पिछले तीन दिनों से खराब बनी हुई है।
- तूतूकड़ी 386
 - कैथल 393
 - बागपत 384
 - मेरठ 376
 - गाजियाबाद 340
 - मुजफ्फरनगर 339
 - नोएडा 312
 - दिल्ली 309
 

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