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    मेरठ के सेंट्रल मार्केट प्रकरण में आवास विकास के 45 अफसरों और 22 व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

    By Jagran News Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Thu, 16 Oct 2025 05:44 PM (IST)

    Meerut News : मेरठ के शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट मामले में आवास विकास के 45 अधिकारियों और 22 व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आवासीय भूखंड पर बने व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स को खाली करने और गिराने का आदेश दिया था। अदालत ने पूरे प्रदेश में ऐसे निर्माणों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। 

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    मेरठ के सेंट्रल मार्केट प्रकरण में आवास विकास के 45 अफसरों और 22 व्यापारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज 

    जागरण संवाददाता, मेरठ। शास्त्रीनगर की सेंट्रल मार्केट प्रकरण में उप्र आवास एवं विकास परिषद की ओर से गुरुवार को दो मुकदमे दर्ज कराए गए। पहला मुकदमा 21 नामजद एवं एक अज्ञात व्यापारी पर दर्ज हुआ है, इसमें आरोप है कि व्यापारियों ने सुप्रीम कोर्ट के तीन माह में परिसर खाली करने के आदेश का पालन नहीं किया और सरकारी कार्य में बाधा डालकर अवैध निर्माण किया।
    वहीं दूसरा मुकदमा विभाग के ही उन 45 अधिकारियों पर दर्ज हुआ है जिनकी तैनाती 1990 से अब तक मेरठ कार्यालय में रही। विभाग की कमेटी की जांच रिपोर्ट में 49 अधिकारियों की ड्यूटी के प्रति लापरवाही सामने आई थी। इनमें से चार की मौत हो चुकी है। उधर, इस प्रकरण में प्रदेश के गृह सचिव, आवास आयुक्त, एसएसपी और नौचंदी थाना प्रभारी से सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। आवास एवं विकास परिषद की शास्त्रीनगर स्कीम संख्या सात में सेंट्रल मार्केट है।
    सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को सेंट्रल मार्केट के आवासीय भूखंड संख्या 661/6 पर बने व्यावसायिक काम्पलेक्स को तीन महीने में खाली कराने तथा उसके बाद आवास विकास के अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे प्रदेश में आवासीय भूखंडों पर बने व्यावसायिक भवनों पर भी यही समान कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
    शास्त्रीनगर में आवास विकास ने आवासीय भूखंडों पर बने 1,482 व्यवसायिक भवनों को चिह्नित कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन न होने पर सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। शीर्ष कोर्ट ने छह अक्टूबर को सुनवाई हुई याचिका को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने गृह सचिव, आवास आयुक्त, एसएसपी मेरठ, नौचंदी थाना प्रभारी तथा नौ व्यापारियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस मामले को ओडिशा के अन्य केस के साथ मर्ज किया है। अब इस मामले में सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी।
    आवास विकास की रिपोर्ट के मुताबिक इस स्कीम में 6,379 स्वीकृत आवासीय संपत्तियां हैं। इनमें से 860 संपत्ति ऐसी हैं, जिनमें व्यावसायिक काम्पलेक्स बन गए हैं और सराफा, डेरी, रेडीमेड गारमेंट्स, मर्चेंट स्टोर संचालित हो रहे हैं। आवास विकास ने भूखंड संख्या 661/6 पर बने व्यावसायिक काम्पलेक्स के लिए 1.66 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया था।
    अब इसी प्रकरण में आवास विकास परिषद के अवर अभियंता अजब सिंह की तरफ से 21 व्यापारियों को नामजद और एक अज्ञात के खिलाफ नौचंदी थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं, दूसरा मुकदमा उप्र आवास एवं विकास परिषद की जोनल कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर अधिशासी अभियंता आफताब की तरफ से विभाग के 45 अधिकारियों पर दर्ज कराया है।
    कमेटी की जांच में सामने आया था कि 1990 से अब तक तैनात 49 अधिकारी निगरानी के नाम पर खानापूरी करते रहे। उन्होंने ड्यूटी का सही पालन नहीं किया। इनमें से चार अधिकारियों की मौत हो चुकी है। 

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    यह भी पढ़ें- मेरठ का सेंट्रल मार्केट प्रकरण: कौन हैं आवास विकास के 45 अफसर और 22 व्यापारी, जिनके खिलाफ दर्ज हुआ है मुकदमा


    एसएसपी डा. विपिन ताडा का कहना है कि सेंट्रल मार्केट प्रकरण में दो मुकदमे थाना नौचंदी में दर्ज हुए हैं। एक मुकदमे में आवास विकास परिषद के 45 अफसर नामजद किए हैं, जबकि दूसरे मुकदमे में 21 नामजद और एक अज्ञात व्यापारी आरोपित है। दोनों मुकदमे दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है।