अयोध्या में राम लला को मीरजापुर में बने फूल के स्वदेशी बर्तनों में लगेगा भोग
अयोध्या में राम लला को मीरजापुर में बने विशेष स्वदेशी फूल धातु के बर्तनों में भोग लगेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय की इच्छा पर यह पहल हुई है। 77 किग्रा फूल धातु से बने इन बर्तनों में आयुर्वेदिक गुण हैं, जो पाचन तंत्र को संतुलित करते हैं और प्रसाद को पवित्र बनाते हैं। यह स्वदेशी कौशल को सम्मान देने की पहल है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र महामंत्री व विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय की इच्छा पर बने बर्तन।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर। अयोध्या धाम में भगवान श्री राम लला को मीरजापुर में निर्मित विशेष स्वदेशी फूल धातु के बर्तनों में भोग लगेगा। यह पहल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री एवं विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय की इच्छा पर हुई है।
विहिप के पूर्व प्रांत संगठन मंत्री मनोज श्रीवास्तव ने मेटल व्यापारियों से संपर्क कर स्वदेशी फूल धातु के बर्तन का निर्माण कराया। जनपद 77 किग्रा में फूल धातु की स्वदेशी 24 थालियां, 72 कटोरियां, 24 गिलास, 24 प्लेटें तथा 24 चम्मच बना है। आचार्य शशिकांत मालवीय व नितिन अवस्थी ने रविवार को वेद मंत्रों संग लालडिग्गी स्थित आवास पर पूजा कराया।
उन्होंने बताया कि राम लला के लिए स्वदेशी बर्तनों का निर्माण पारंपरिक तकनीक और शुद्ध फूल धातु मिश्रण से किया गया है, जिसमें आयुर्वेदिक दृष्टि से तांबा, जस्ता और टिन जैसे खनिज तत्व नियंत्रित अनुपात में हैं। आयुर्वेद के अनुसार फूल धातु में बना बर्तन शरीर में पाचन तंत्र को संतुलित करता है, त्वचा और यकृत (लीवर) को लाभ पहुंचाता है। इस पात्र में भोजन करने से ऊर्जा मिलती हैं।
इस धातु में परोसा गया भोजन विषैले तत्वों को निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है, जिससे प्रसाद अधिक पवित्र और आरोग्यवर्धक बनता है। सैकड़ों वर्षों से स्वदेशी पात्र बनाने में दक्ष कारीगरों की कुशलता और समर्पण से कार्य संभव हुआ है। फूल धातु के बर्तनों में भोग लगाने का उद्देश्य केवल परंपरा का निर्वहन नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक शुद्धता और भारतीय संस्कृति का सम्मान भी है।”
यह पहल स्थानीय उद्योगों के उत्थान के साथ-साथ स्वदेशी कौशल को भी नया सम्मान देगी। अमरेशचंद्र तिवारी, श्यामधर पांडेय, आनंद अग्रवाल, अनिल गुप्ता, रवि पुरवार, महेश तिवारी, गणेश तिवारी, रुद्र गोस्वामी, आशीष पांडेय रहे।
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