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    फर्जी बिल: मनी ट्रेल और इलेक्ट्रॉनिक फुट प्रिंट से खुलेंगे 341 करोड़ की जीएसटी चोरी के राज

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 12:44 PM (IST)

    मुरादाबाद में 1,811 करोड़ के टर्नओवर पर 341 करोड़ की जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है। एसआईटी इलेक्ट्रॉनिक फुट प्रिंट से जांच कर रही है। फर्जी बिलों की खरीद-फरोख्त में शामिल गिरोह का रिकॉर्ड तलाशा जा रहा है। यह गिरोह ई-रिक्शा चालकों और रिश्तेदारों के नाम पर फर्में बनाकर टैक्स चोरी करता है। राज्य कर विभाग बैंक डिटेल और जीएसटी नंबर खंगाल रहा है।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। फर्जी फर्मों के सहारे 1,811 करोड़ के टर्नओवर पर 341 करोड़ की आइटीसी चोरी का राजफाश इलेक्ट्राेनिक फुट प्रिंट से खुलेगा। बैंकों का लेनदेन, रुपया ट्रांसफर और जीएसटी पंजीयन में दर्ज पूरी डीटेल को एसआइटी खंगाल रही है।

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    वहीं राज्यकर की विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) ने उत्तराखंड, जसपुर, रामपुर और ठाकुरद्वारा के अलावा शहर के गलशहीद, रामपुर दोराहा, लाल स्कूल, जामा मस्जिद, एस कुमार चौराहा और करूला क्षेत्रों में बिलों की खरीद-फरोख्त करने वाले गैंग का रिकॉर्ड तलाश करना शुरू कर दिया है।

     

    उत्तराखंड, जसपुर, रामपुर और ठाकुरद्वारा की फर्मों के विरुद्ध दर्ज हो चुकी है प्राथमिकी

     

    फर्जी बिल का सौदा फर्म संचालक तीन से चार प्रतिशत में करते हैं। उदाहरण के तौर पर एक करोड़ के टर्नओवर के बिल देने के बाद 18 प्रतिशत जीएसटी का समायोजन कराया जाता है। फिर आडिट में क्लीयर कराने के बाद कमिशन लिया जाता है। इस बीच आधा रुपया फर्जी बिल लेने वाले से ले लिए जाते हैं।

    छह माह पहले भी दीवान का बाजार स्थित एक मकान पर फर्जी फर्म खोली गई थी। ई-रिक्शा चालक होने की वजह से वह जांच भी नहीं हो पाई थी। वहीं भोजपुर, रामपुर समेत अन्य क्षेत्र में फर्जी फर्मों का लिंक भी जोड़कर देखा जा रहा है। राज्यकर अधिकारियों के अनुसार, चोरी के मामले पकड़ में आने के साथ ही प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।

     

    शहर के घनी आबादी वाले मुहल्लों में सक्रिय हैं फर्जी बिलों की खरीद-फरोख्त वाला गैंग

     


    फर्जी बिलों का खेल करने वाले शातिर अपने परिचित जैसे ई-रिक्शा चालकों, दुकानदारों, मजदूरों और रिश्तेदारों के नाम से फर्म बनवाते हैं। फिर उन्हीं फर्मों से लोहा, पीतल, रांगा, शीशा स्क्रैप जैसे मेटल से जुड़े माल की खरीद-बिक्री के फर्जी बिल तैयार कर लिए जाते हैं। बिलों का सौदा उन लोगों से किया जाता है जिन्होंने बिना बिल का माल खरीदा और अपना माल आगे बिल लगाकर दिया। खेल इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के दुरुपयोग से होता है।

    उदाहरण के तौर पर, फर्म ए बिना माल भेजे फर्म बी को 10 लाख रुपये का बिल बनाती है, जिसमें 1.8 लाख जीएसटी दर्शाया जाता है। सरकार को यह जीएसटी जमा नहीं किया जाता, लेकिन फर्म बी वही राशि अपने जीएसटीआर-थ्री-बी में आईटीसी क्लेम कर लेती है। फिर यही सिलसिला फर्म सी तक चलता है, जिससे सरकार को बार-बार टैक्स नुकसान होता है। पूरी चेन में माल केवल कागज पर ही घूमता है, लेकिन टैक्स चोरी के जरिए करोड़ों रुपये का खेल खेला जाता है।

    राज्य कर विभाग की विशेष शाखा अब ऐसे सभी फर्जी कारोबारियों की बैंक डिटेल, जीएसटी नंबर और लेनदेन के दस्तावेज खंगाल रही है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही कई बड़ी फर्मों के नाम सामने आ सकते हैं। इस प्रकरण में मामले को निपटाने वाले अधिवक्ताओं पर भी विभागीय अधिकारियों की नजर है। ट्रांसपोर्टरों का रिकार्ड भी इसमें चेक किया जाएगा।


    मुरादाबाद के रामपुर, ठाकुरद्वारा के अलावा उत्तराखंड और जसपुर के नाम सामने आए हैं। वहीं शहर में भी कुछ फर्मों की जानकारी मिली है। जो बिना माल के ही फर्जी बिलों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। इसकी भी जांच कराई जा रही है। एक-एक कर सबका रिकॉर्ड खंगाला जाएगा। आरए सेठ, अपर आयुक्त ग्रेड टू एसआइबी मुरादाबाद जोन

     

    भौतिक सत्यापन के बिना फर्मों को मिलता एप्रूवल


    मुरादाबाद। दो मोबाइल नंबरों पर 122 फर्में पंजीकृत और 1,811 करोड़ के टर्नओवर ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 341करोड़ की टैक्स चोरी कम बड़ी बात नहीं है। देशभर में इसको लेकर हलचल मची है। सेंट्रल जीएसटी में पंजीयन के लिए भौतिक सत्यापन नहीं होता है। आनलाइन आवेदन के बाद तीन से सात दिन में पंजीयन मिल जाता है। इसमें कोई भौतिक सत्यापन नहीं होता है। इसको लेकर राज्यकर अधिकारियों ने पत्राचार भी किया है। सेंट्रल और स्टेट जीएसटी में दर्ज फर्मों की सूची भी बनाई गई है।