...तो क्या आप भी खा रहे थे नकली अंडे? इन शहरों में भी बेचे जा रहे थे कत्था-सिंदूर से बने देसी Eggs
खाद्य विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने देसी अंडों की आड़ में चल रहे बड़े फर्जीवाड़े का राजफश किया। जांच में सामने आया कि शहर के घनी आबादी वाले मुहल्लों से लेकर आसपास के जनपदों तक इन तथाकथित ‘देसी’ अंडों की आपूर्ति की जा रही थी।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। खाद्य विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने देसी अंडों की आड़ में चल रहे बड़े फर्जीवाड़े का राजफश किया। जांच में सामने आया कि शहर के घनी आबादी वाले मुहल्लों से लेकर आसपास के जनपदों तक इन तथाकथित ‘देसी’ अंडों की आपूर्ति की जा रही थी।
बाजार में जहां असली देसी अंडे 20 रुपये प्रति पीस बिकते हैं, वहीं गिरोह फार्मी अंडों को देसी बताकर 12-14 रुपये में थोक दुकानदारों को सप्लाई करता था। यह अंतर दुकानदारों को भी लालच में डाल देता था और वे बिना शक किए माल उठा लेते थे। फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपितों ने दुकानदारों को भरोसा दिलाने के लिए पूरा तंत्र खड़ा कर रखा था।
वे दावा करते थे कि वे गांव-गांव जाकर देसी मुर्गियों के अंडे खरीदकर ला रहे हैं। उनकी यही बात यकीन दिलाती थी और दुकानदार उन्हें असली देसी अंडों का कारोबारी मानकर खरीदारी करते थे। खास बात यह रही कि पैकिंग भी बेहद सोच-समझकर की जाती थी। पांच-पांच अंडों को छोटी प्लास्टिक की कंडी (ट्रे) में इस तरह रखा जाता था कि रंग और आकार से कोई अंतर आसानी से पकड़ में न आए।
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गिरोह लंबे समय से इसी तरीके से फार्मी अंडों की आड़ में अवैध कमाई कर रहा था। सस्ते अंडों को देसी बताकर कई गुना लाभ कमाने का यह तरीका न केवल उपभोक्ताओं को धोखा दे रहा था बल्कि बाजार की असली देसी अंडा आपूर्ति पर भी असर डाल रहा था। पकड़े गए अंडों के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।
सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा राजवंश प्रकाश श्रीवास्तव के अनुसार, यह मामला सामने आने के बाद खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुपालन के लिए छापामारी और सख्त की जाएगी। पुलिस अब सप्लाई चेन और इसमें शामिल अन्य लोगों की पहचान में जुट गई है।

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